झारखंड में नए साल में शुरू होगी मुख्यमंत्री सुकन्या योजना

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मुख्यमंत्री ने कहा

  • 26 लाख परिवार की बच्चियों को मिलेगा इसका लाभ
  • 18 वर्ष तक की उम्र तक की बच्चियों को वित्तीय लाभ
  • डीबीटी के माध्यम से खाते में जाएगी प्रोत्साहन राशि

रांची। मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहा कि आने वाले नए साल में  झारखंड में मुख्यमंत्री सुकन्या योजना शुभारंभ की जाएगी। इस योजना को लागू करने की पूरी तैयारी चल रही है। 1 जनवरी 2019 से इस योजना का लाभ  सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना के तहत आने वाले 26 लाख परिवारों की बच्चियों को मिलेगा। जन्म से लेकर 18 वर्ष तक की बच्चियों को शिक्षा के साथ साथ अन्य आर्थिक-सामाजिक विकास के लिए राज्य सरकार समय-समय पर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगी। बच्चियों के सहायतार्थ मिलने वाली राशि का भुगतान सीधे डीबीटी के माध्यम से उनके बैंक अकाउंट में किया जाएगा। उक्त बातें मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने आज झारखंड मंत्रालय में आयोजित “बाल विवाह उन्मूलन हेतु कार्य योजना” कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य से गरीबी, पलायन, अशिक्षा, कुपोषण, बाल विवाह आदि कुव्यवस्था को समूल नष्ट करना सरकार की प्राथमिकता रही है। सरकारी तंत्र, गैर सरकारी तंत्र और पंचायती राज की संरचनाओं में आपसी समन्वय स्थापित कर के ही समाज में व्याप्त कुव्यवस्थाओं को मिटाया जा सकता है।  सभी स्वयंसेवी संस्थाएं जिलों के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बाल विवाह के खिलाफ मुहिम चलाएं। लोगों को जागरूक कर के ही इस मुहिम में सफलता पाई जा सकेगी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 5 जिले गोड्डा, देवघर, कोडरमा, गिरिडीह और पलामू के ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह के ज्यादा मामले उभर कर सामने आए हैं। इन 5 जिलों में बाल विवाह उन्मूलन के प्रति अधिक से अधिक फोकस करना हम सबों की जिम्मेवारी है। इन जिलों में बाल विवाह के रोकथाम हेतु बड़े स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है। बाल विवाह महिला एवं पुरुष दोनों के लिए हानिकारक है। बाल विवाह शारीरिक और मानसिक  तनाव का बड़ा कारण है। बाल विवाह से मातृत्व मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि हालांकि पिछले 4 वर्ष में मातृत्व एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आई है, परंतु अब भी और कार्य करने की आवश्यकता है। हमें राज्य से बाल विवाह जैसी कलंक प्रथा को जड़ से मिटाने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री श्री दास ने कहा कि राज्य सरकार नारी सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। महिलाओं के विकास के लिए राज्य में कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। राज्य में बच्चियों का ड्रॉप आउट  रोकना सरकार की प्राथमिकता है। बच्चियों को भी उच्च शिक्षा प्राप्त हो, इस हेतु शिक्षा के स्तर में भी काफ़ी कार्य किए जा रहे हैं। भारतीय संस्कृति में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।

श्री दास ने कहा कि महिला एवं पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं। नारी शक्ति को हमें सिर्फ परिवार की ही शक्ति नहीं, बल्कि राष्ट्र की शक्ति बनानी है। नारी शुरुआत से ही सबला रही है और अंत तक साबला ही रहेगी। वर्तमान समय में सभी क्षेत्रों में चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो, खेल-कूद का क्षेत्र हो, अन्य सभी क्षेत्रों में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों ने अपना परचम लहराया है। उन्होंने  उपस्थित लोगों से अपील की कि लड़कियों की भी परवरिश लड़कों की तरह करें। देश की मातृत्व शक्ति में अपार क्षमता है। मां ही अपने बेटे-बेटियों की सही परवरिश करती है। अतः बाल विवाह को रोकने में मातृत्व शक्ति का अहम योगदान होगा। समाज में अशिक्षा असमानता जैसी बुराई को रोकने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण साबित होगी।

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