- इस वर्ष अगस्त तक लाभुक छात्र-छात्राओं की संख्या 7334 थी
- 22 नवम्बर 2018 तक लाभुकों की संख्या 21649 हो गयी है
- 21649 लाभार्थियों में 17289 छात्र, 4359 छात्राएं, 1 ट्रांसजेंडर
- 21649 लाभुकों के लिए 6,230,157,426 रुपये की स्वीकृति
पटना। बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के प्रति छात्र-छात्राओं की रुचि लगातार बढ़ती जा रही है। जैसे-जैसे इस योजना का प्रचार-प्रसार बढ़ रहा है, लोग इसके प्रति जागरूक हो रहे हैं। इसका लाभ लेने वाले लाभुकों की संख्या बढ़ती जा रही है। लोगों को इस योजना के प्रति जागरूक करने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा लाखों छात्र-छात्राओं को लिखे गये व्यक्तिगत पत्र का भी सीधा असर देखने को मिल रहा है। परिणामतः इस वर्ष अगस्त तक इस योजना के लाभुक छात्र-छात्राओं की कुल संख्या 7334 थी, जिसमें 5923 छात्र और 1410 छात्राएं थीं। वहीँ तीन महीने में ही 22 नवम्बर तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार लगभग तीन गुना बढ़ के कुल लाभुकों की संख्या 21649 हो गयी है, जिसमें छात्रों की संख्या 17289 और छात्राओं की संख्या 4359 है।
अब तक इस योजना के 21649 लाभुकों के लिए 6,230,157,426 रुपये की राशि भी स्वीकृत हो गयी है। इस साल कम से कम 50,000 छात्र छात्राओं को इस योजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य है। इस वर्ष के अब तक के 21649 लाभार्थियों में 17289 छात्र, 4359 छात्राएं और 1 ट्रांसजेंडर शामिल हैं। इनमें सामान्य वर्ग के 8118, पिछड़ा वर्ग के 8361, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 3006, एससी के 1881 और एसटी के 283 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। लोन पाने वाले बिहार के प्रथम पांच जिलों में पटना- 2158, मुजफ्फरपुर-1123, रोहतास-1029, सारण- 910, समस्तीपुर-848 हैं।
बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लक्ष्य आवश्यकतानुसार लचीला है, ताकि जितने विद्यार्थी इस योजना के लाभ के लिए इच्छुक होंगे, उतने विद्यार्थियों को इसका लाभ दिया जायेगा। इस वित्तीय वर्ष 2018-19 में 50,000, वित्तीय वर्ष 2019-20 में 75,000 और वित्तीय वर्ष 2020 -21 में 1,00,000 अनुमानित विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ उपलब्ध कराने का प्रारंभिक अनुमान है। इस योजना से लाभ लेने के लिए जाति और आय का बंधन नहीं है।
बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ लेने के लिए पात्रता के तहत बिहार राज्य के निवासी वैसे विद्यार्थी, जिन्होंने बिहार राज्य एवं सीमावर्ती राज्यों से 12वीं कक्षा उतीर्ण की हो तथा उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए इच्छुक हों, उन्हें बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम के माध्यम से शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। इसके लिए अनिवार्य है कि विद्यार्थी द्वारा बिहार एवं अन्य राज्य या केंद्र सरकार के संबंधित नियामक एजेंसी द्वारा मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान में उच्च शिक्षा हेतु नामांकन लिया गया हो या नामांकन के लिए चयनित हो। यह ऋण उच्च शिक्षा के सामान्य पाठ्यक्रमों, विभिन्न, व्यावसायिक एवं तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए दिया जा सकेगा।
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आवेदक विद्यार्थियों के हॉस्टल में रहने की स्थिति में आवेदक के शैक्षणिक संस्थान को राशि उपलब्ध करायी जाएगी। शिक्षण संस्थान के हॉस्टल में नहीं रहने की स्थिति में विद्यार्थियों के लिए फीस के अतिरिक्त रहने के खर्च के लिए वर्गीकृत शहरों के लिए निर्धारित की गयी राशि उपलब्ध कराई जाएगी। महंगाई के आधार पर रहने एवं जीवन यापन की दर में आवश्यकता अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा वृद्धि की जा सकेगी। विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि लाभार्थियों द्वारा पढ़ाई को किसी भी कारण से बीच में छोड़ने पर ऋण की शेष राशि संस्थान या विद्यार्थी को उपलब्ध नहीं करायी जाएगी। अर्थात इस योजना के तहत विद्यार्थी को शिक्षा ऋण की अगली किस्त उनके संबंधित संस्थान /पाठ्यक्रम में अध्ययनरत रहने की स्थिति में ही उपलब्ध करायी जाएगी।
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इस योजना के अंतर्गत शिक्षा ऋण अधिकतम चार लाख रुपये तक स्वीकृति दी जाएगी। इस ऋण राशि पर मोरेटोरियम अवधि, जो कि पाठ्यक्रम समाप्ति से एक वर्ष तक अथवा आवेदक के नियोजित होने के अधिकतम 6 माह (जो सबसे पहले हो) तक ब्याज की राशि देय नहीं होगी। इस ऋण राशि पर सरल ब्याज की दर 4 प्रतिशत होगी। इसके अंतर्गत महिला, दिव्यांग एवं ट्रांसजेंडर आवेदकों को मात्र 1 प्रतिशत सरल ब्याज की दर से ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। ऋण वापसी की प्रक्रिया के अंतर्गत मोरेटोरियम अवधि की समाप्ति के पश्चात 2 लाख रुपये तक के ऋण को अधिकतम 60 मासिक किस्तों में तथा 2 लाख से ऊपर के ऋण को अधिकतम 84 मासिक किस्तों में वापस किया जा सकेगा। उपरोक्त निर्धारित अवधि से पूर्व ऋण वापसी की स्थिति में 0.25 प्रतिशत ब्याज दर की छूट दी जाएगी। उपरोक्त निर्धारित अवधि में नियोजन नहीं होने या स्वरोजगार एवं अन्य साधनों से आय नहीं होने की स्थिति में ऋण वसूली स्थगित रखी जाएगी, किन्तु इसके लिए प्रत्येक जून एवं दिसम्बर के अंतिम पखवारे में आवेदक को इस आशय का शपथ पत्र DRCC पर उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा कि आवेदक नियोजित /स्वरोजगार अथवा अन्य किसी साधनों से आय प्राप्त नहीं कर रहा है। वैसे नौकरी नहीं मिलने की स्थिति में लोन की राशि को परिस्थितियों के अनुरूप सरकार द्वारा माफ़ करने की दिशा में भी विचार किया जा रहा है।
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