पटना। बिहार एनडीए में फिलहाल चार घटक दल- भाजपा, जदयू, लोजपा और रालोसपा हैं। भाजपा को दाता मान कर बाकी घटक दल सम्मान के भूखे हैं। सम्मान की बात सबसे पहले जदयू ने महीनों पहले उठाई थी। उसकी मांग परिणाम तक पहुंच गयी। भाजपा के बराबर सीटों पर वह चुनाव लड़ेगी। रालोसपा तो अब तक सम्मान के लिए भाजपा के आगे नाक रगड़ रही है। उपेंद्र कुशवाहा ने प्रधानमंत्री से मुलाकात का समय मांगा था, जिसकी मियाद आज खत्म हो रही है। लोजपा के सम्मेलन में कल चिराग पासवान ने भी सम्मान की बात उठाई।
लोजपा के युवराज चिराग पासवान ने गुरुवार को कहा कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सम्मानजनक सीट समझौते का आश्वासन दिया है। सम्मानजनक का साफ मतलब होता है कि पिछली बार की सीटों से कम नहीं देना, बल्कि संभव हो तो उससे बढ़ा कर देना। अगर सम्मान की रक्षा नहीं होती है तो अगले कदम के बारे में सोचेंगे।
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा तो सम्मान के लिए शहीद होने के कगार पर पहुंच गये हैं। बिहार एनडीए की सरकार में उनके विधायकों में किसी को मंत्रिमंडल में जगह न मिलने का मलाल उन्हें पहले से था। अब तो वह साफ-साफ बोलने भी लगे हैं कि एनडीए में रह कर उनकी पार्टी को कोई तरजीह नहीं दी गयी। जदयू के साथ सीट शेयरिंग पर बातचीत फाइनल होगी कि बराबर-बराबर सीटों पर दोनों लड़ेंगे, लेकिन 2014 की साथी उनकी पार्टी से अब तक इस मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं की गयी। उन्होंने पहले अमित शाह से मिलने की इच्छा जतायी और नाकाम होने पर प्रधानमंत्री से मिलने के लिए 30 नवंबर तक की लक्ष्मण रेखा उन्होंने खींच दी। अभी तक की सूचना के मुताबिक प्रधानमंत्री ने उन्हें मिलने का समय नहीं दिया।
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कुशवाहा को दिसंबर के पहले हफ्ते में अपनी स्थिति साफ करनी है। उन्होंने पार्टी की बैठक बुलाई है। संकेत भी पांच दिन पहले ही दे दिया है कि प्रधानमंत्री से मुलाकात होने पर वह अपनी पीड़ा उनसे शेयर करेंगे। अगर समय नहीं मिला तो पार्टी की बैठक में अगले कदम पर विचार करेंगे। उन्हें तकलीफ इस बात को लेकर है कि उनके नेता-कार्यकर्ता बिहार में लगातार मारे जा रहे हैं। अब तक पांच कार्यकर्ताओं के मारे जाने की बात पार्टी कहती है। उनकी नजर में पार्टी को लगातार अपमान की घूंट पीनी पड़ रही है।
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