प्रदूषण से भारत में बीते साल 12 लाख से ज्यादा मौतें, हर 8वीं मौत प्रदूषण से, बिहार में 97 मरे
नयी दिल्ली। प्रदूषण से होने वाली मौतों के आंकड़े चौंकाते हैं। हर साल भारत में औसतन 12 लाख मौतें मौतें वायु प्रदूषण के कारण हो रही हैं। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के डा. बलराम भार्गव की एक शोध रिपोर्ट में इन आंकड़ों की पुष्टि की गयी है। वायु प्रदूषण से न सिर्फ मौतें हो रही हैं, बल्कि बड़े पैमाने पर लोग रोग का शिकार भी हो रहे हैं। बिहार के आंकड़ों की बात करें तो यह सूबा प्रदूषण के मामले में देश में तीसरे स्थान पर है। पहले दो स्थान दिल्ली और उत्तर प्रदेश के खाते में जाते हैं।
वायु प्रदूषण के कारण कई तरह की बीमारियों से लोग ग्रसित हो रहे हैं। इनमें लाइफ स्टाइल की बीमारी मानी जाने वाली मधुमेह (शुगर) भी शुमार है। इसके अलावा फेफड़े के रोग आम हैं। हार्ट अटैक के खतरे भी प्रदूषण के कारण बढ़ रहे हैं। शोध के मुताबिक 2017 में देश में 12.4 लाख मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुईं। मरने वाले सभी 70 साल से कम उम्र के थे। इनमें 4.8 लाख मौतों का कारण की घर की प्रदूषित हवा थी।
शोध के परिणामों को लेकर अगर बिहार की बात करें तो यहां भी हालात खतरनाक स्तर पर पहुंच गये हैं और हालात पर काबू नहीं पाया गया तो यह राज्य भी मौतों के मामले में दूसरे राज्यों से पीछे नहीं रहेगा। वर्ष 2017 में बिहार में वायु प्रदूषण 97 हजार लोगों की मौत का कारण बना।
दिल्ली की हालत तो सर्वाधिक खराब है। दिल्ली वासियों की औसत उम्र वायु प्रदूषण के कारण 1.6 साल घट गयी है। औसत उम्र घटने के मामले में राजस्थान 2.5, उत्तर प्रदेश 2.2 और हरियाणा 2.1 साल की कमी के साथ खड़े दिखते हैं। यद्यपि दिल्ली में प्रदूषण ज्यादा है, लेकिन वहां औसत उम्र में दूसरों के मुकाबले कमी इसलिए दिखती है कि दिल्ली में बेहतर मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं। बिहार में प्रदूषण के कारण लोगों की औसत उम्र 62.2 साल है। शोध में बताया गया है कि अगर प्रदूषण नहीं होता तो बिहार में लोगों की औसत उम्र 71.1 साल रहती।
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दुनिया की 18 फीसद आबादी भाकत में बसती है। प्रदूषण के कारण समय से पहले बीमार होने वाले और मरने वालों में भारत के 26 प्रतिशत लोग हैं। प्रदूषण बढ़ने के कई कारण हैं, जिनमें मोटर वाहनों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि, प्लास्टिक जलाने से निकलने वाले धुएं, बढ़ता शहरीकरण और घटते वन प्रमुख कारण हैं।
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