पावं लागीं मलिकार। परब-तेउहार एने एतना पर गइल हा मलिकार कि रउरा जरी पाती पठावे में तनी देरी हो गइल। हम जानी ले कि रउरा एह खातिर खिसाययेब ना, बाकिर कर जोर के रउरा से देरी खातिर माफी मांग लेत बानी। ए मलिकार, एगो कहाउत सुनले होखब- बेमन के बियाह कनपट्टी ले सेनुर। आज हम एही पर रउरा से बतियायेब।
ए मलिकार, ई कुल का सुनाता। कई दिन से पांडे बाबा एगो खबर सुनावत बानी कि लालू के बड़का बेटवा अपना मेहरारू के छोड़े खातिर कोट में अरजी दिहले बा। एही साल नू बियहवा भइल रहल हा मलिकार, जवना में बाराती लोग खाये खातिर पलिहर के बानर नियर एने से ओने धुरत रहे लोग। ओह दिन हमहू पांड़े बाबा के घरे गइल रहनी त टीबी पर देखावत रहे। बाबा रे बाबा, केतने बड़-बड़ लोग जुटल रहे। जेकरा से मारा-काटी होत रहेला लालू जी के घर वाला लोग के, ऊ नीतीशो कुमार ओह बियाह में गइल रहले।
हमरा त ओही घरी ई बियाह समझ में ना आवत रहे। पांड़े बाबा बतावत रहनी कि लड़िकिया दिल्ली में मनेजरी पढ़ले बिया। लड़िका राम के पढ़ाई-लिखाई दुनिया जानत रहल हा। कवनो मेल ना बुझाइल ई बियाह में। शक त हमरा तदबे से रहल हा मन में कि एकनी में कइसे पटरी बइठी। अब त सभका सामने आ गइल।
रउरा त जानते होखब मलिकार, साल भर में तीन गो अइसन घटना भइल बा, जवना के देख के केहू के आंख के पट्टर खुल जाई। सबसे पहिले सुननी की कवनो कलक्टर आपन जान एह खातिर दे दिहलस कि ओकरा अपना जनाना के रहन ना पसन पड़े। सुने में आइल कि लड़िकवा कलक्टर हो गइल रहे, बाकिर ऊ हमनी अइसन साधारन घर के रहे। ओकर जनाना बड़ घर के बेटी रहे। ऊ जवना रंग-ढंग से रहे के चाहे, ओइसन ओकरा इनका संगे ना मिले। बेचारा लड़िका माई-बाप का ओर कबो ताके त कबो आपन परिवार देखे। ओकरा मन पर एतना बोझा बन गइल टेंसन कि बेचारा जान देके पिंड छोड़ा लिहलस। थोरही दिन पहिले पांड़े बाबा एगो अउरी खबर सुनावत रहनी कि बिहारे के कवनो आदमी यूपी में पुलिस के बड़का अफसर भइल रहे। ओकरो अपना जनाना से ना पटल त जान दे दिहलस।
लोगवा जान-बूझ के काहें अइसन बियाह करत बा मलिकार। आरे, सब कुछ पइसे ना ह। तिलक-दहेज आ बड़ घर देख के जवन बियाह होई, ओइसन लोग सुख से ना रह पाई। माई-बाप के ई कुल देखे के चाहीं। बेमेल बियाह कबो ना करे के। पुरनिया लोग एही से कहे कि नाता-रिश्तेदारी बराबरी में करे के चाहीं। अब रउरे बताईं कि जवना धूमधाम से लालू के बेटवा के बियाह भइल, ओइमें कवनो मेल रहे। धन-संपत आज बा, काल्ह ना रही। जिनगी संगे गुजारे के होला। तालेमेल ना बइठी त कइसे केहू सुख से रही। एही से कहल बा मलिकार बेमन के बियाह कनपट्टी ले सेनुर। वरमाला के समय दूनो के देख के बुझात रहे कि जबरिया कनपट्टी ले सेनुर ओह लड़की के लागल रहे। ना रूप-रंग, रहन-सहन आ ना पढ़ाई-लिखाई में कवनो मेल। अइसने बियाह खातिर कहल बा कि बेमन के बियाह कनपट्टी ले सेनुर।
देवराई बीतत बा मलिकार। गोधन से बरतुहारी शुरू हो जाई। अब अपनो नन्हकीन खातिर कहीं देखल-सुनल शुरू करीं। एके गो बा धेयान राखेब, बेमन के कुछऊ मत करेब। रउरा त पड़ाका से पिरीत त ना ह, बाकिर खाये-पीये में उमिर के ख्याल राखेब। बरम बाबा के आशीरवाद आ काली माई के किरपा से इहवां सब केहू नीमन-नीरोग बा। अजान पीर बाबा से हम गोहरावत बानी कि रउरा नीक-नीरेग रहीं।
राउरे, मलिकाइन
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