पावं लागीं मलिकार। केतना दिन से एगो सवाल हमरा मन में हुड़रहो मचवले बा मलिकार। रउरा अइसन नइखे बुझात कि अपना देश में छोट-बड़ कवनो काम बिना कोट-कचहरी गइले नइखे होत अब। सड़की पर पानी बहत होखे, सरकारी पइसा के लूट होखे, नौकरी में गड़बड़ी होखे, पढ़ाई, रिजल्ट जइसन आसानी से हो जाये वाला काम खातिर भी अब लोग के कचहरी के चक्कर लगावे के परत बा। कचहरी कही, त काम होई, ना त ठंडा घर में परल रही। अब रउरे बताईं मलिकार कि मुझफ्फरपुर में लड़किन के संगे जवन कुकरम भइल, ओकरा के जांचे खातिर पुलिस महकमा रहे। देश के दिल्ली वाली बड़की कचहरी (सुप्रीम कोर्ट) कई दिन से एकरा पीछे लागल बिया। मालूम भइल कि एह कुकरम में शामिल लोग के बचावे खातिर पुलिस कमजोर केस लिख लिहलस। जवन अफसर जांच करत रहले, उनकर बदली क दिहल गइल। कवनो मंजू बरमा बाड़ी, पहिले मंतरी रहली। उनकरो नाम एइमें आइल त ऊ भाग परइली। बड़की कचहरी रगेदलस तब जाके ऊ हाजिर भइली। काल्ह बड़की कचहरी फेर हड़कवलस कि खाली मुजफ्फरपुर वाला ममिला के जांच काहें सीबीआई करी, अइसन त अउरी सोलह गो लड़किन के घर (शेल्टर होम) में भइल बा। बड़की कचहरी के कहला पर अब सगरी अइसन केस के जांच सीबीआई करी। समझदार खातिर इशारा काफी होला मलिकार। नीतीश जी के कचहरी के इशारा समझ जाये के चाहीं।
रउरा इयाद होई मलिकार, लालू-राबड़ी के राज में अइसने बात पटना वाली कचहरी (हाईकोर्ट) रोजे कहे। खबर कागज में रोजे खबर छपे। पांड़े बाबा के बात हमरा अबहीं ले इयाद बा मलिकार, उहां के खबर पढ़ के बतवले रहनी कि कचहरी बिहार में जंगल राज कहले बिया। एक-डेढ़ महीना से पटना से लेके दिल्ली तक के बड़की कचहरी में बिहार के ओइसने बतकही फेर शुरू भइल बा। कबो सड़क त, कबो जाम के लेके कचहरी सरकार के हड़कावत रहे ले।
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हमरा त इहो इयाद बा मलिकार कि लालू जी जब बिहार के गद्दी पर बइठले त पहिला पांच साल त उनकर जय-जयकार होत रहे। बाद के दस साल में उनकरो अइसने फजीहत होखे लागल। आखिर में लालू खानदान से बिहार के सरदारी छिना गइल। नीतीशो जी का संगे अइसने संजोग बा। उनकरो पांच साल के खूब तारीफ भइल। रात में घर से केहू कहीं आवे-जाये लागत। जवन रास्ता सांझ होते सियारन के डेरा बन जाव, ओह सड़क पर रात-बिरात मोटर घरघराये लगली सन। ओकरा बाद लोग उनका डेंढ़र में कींचर निहारे लागल बा लोग। अब त कचहरी उनकरा सरकार के बात-बात में अइसन हड़कावत बिया, जइसन स्कूल में बुढ़वा मास्टर लोग लड़िकन के हड़कावे ला। लालू राज के त अब गुंजाइश नइखे बुझात, बाकिर नीतीश जी के संभर जाये के चाहीं। उनकरा एई पर सोचे के चाहीं कि उनकर ऊ परताप कहां चल गइल बा। काहें अइसन होता कि उनकर पुलिस चोर-बेईमान-घटिया लोग के बचावे में लागल बिया। पाबलिक बुड़बक ना होले मलिकार। सब बूझे ले आ समय पर आपन खींस-पिरीत बता-देखा देले।
राउरे, मलिकाइन
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