हर साल तीन करोड़ शिशु होते हैं मौत की कगार पर

0
360

इनको बचाने के लिए बेहतर देखभाल और मजबूत कानून की आवश्यकता

नई दिल्ली / जीनिवा / न्यूयॉर्क। ग्लोबल कोलिशन की एक नई रिपोर्ट के अनुसार हर साल कोई 30 मिलियन (तीन करोड़) बच्चों का जन्म समय से पहले हो जाता है। इनमें बहुत छोटे और बीमार बच्चे भी होते हैं जिन्हें जिन्दा रहने के लिए खास देखभाल की आवश्यकता होती है। ग्लोबल कोलिशन में यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) शामिल है।

यूनिसेफ के डिप्टी एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, उमर अब्दी ने कहा, “बच्चों और उनकी मांओं की बात हो तो सही समय में सही जगह पर सही देखभाल मिलने से काफी फर्क पड़ सकता है।” उन्होंने आगे कहा, “इसके बावजूद लाखों छोटे और बीमार बच्चे तथा महिलाएं हर साल मर रही हैं क्योंकि उन्हें अच्छी देखभाल नहीं मिलती है जो उनका अधिकार है और हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।”

- Advertisement -

इस रिपोर्ट का शीर्षक है, “सर्वाइव एंड थ्राइव : ट्रांसफॉर्मिंग केयर फॉर एवरी स्मॉल एंड सिक न्यूबॉर्न” (Survive and Thrive: Transforming care for every small and sick newborn)  यानी जीवित बचिए और फलिए-फूलिए : प्रत्येक छोटे और बीमार नवजात के लिए देखभाल में बदलाव लाना। इसमें बताया गया है कि समय पूर्व पैदा होने नवजात शिशुओं में ज्यादातर मौत और विकलांग होने के जोखिम में रहते है। ऐसा जन्म के समय मस्तिष्क में चोट, बैक्टीरिया का गंभीर संक्रमण या पीलिया के कारण या फिर जन्मजात कारणों से होता है। इसके अलावा, ऐसे बच्चों के परिवार पर इसका जो आर्थिक और मनोवैज्ञानिक असर होता है उसका प्रभाव उनके ज्ञानात्मक, भाषाई और भावनात्मक विकास पर पड़ता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन में डिप्टी डायरेक्टर जनरल फॉर प्रोग्राम्स डॉ. सौम्या स्वामिनाथन ने कहा, “प्रत्येक मां और बच्चे के लिए गर्भाधान से लेकर जन्म के बाद के कुछ महीने महत्वपूर्ण होते हैं। इसका स्वास्थ्यकर होना आवश्यक है।” उन्होंने आगे कहा, “यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज से यह सुनिश्चित हो सकता है कि नवजात शिशुओं समेत हर कोई आवश्यगक स्वास्थ्य सेवाओं को ऐक्सेस कर सके और इसमें वित्तीय मुश्किलों का सामना न करना पड़े। नवजात शिशु के स्वास्थ्य की देखभाल के क्षेत्र में प्रगति सबके लिए लाभ की स्थिति है। इससे जान बचती है और यह प्रत्येक बच्चे के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इस तरह इसका असर परिवारों, समाज और भविष्य की पीढ़ियों पर पड़ता है।”

रिपोर्ट के मुताबिक, सुविज्ञ उपचार के बिना जोखिम वाले कई नवजात शिशु अपने जीवन के पहले महीने नहीं बच पाएंगे। 2017 में कोई 2.5 मिलियन (25 लाख) नवजात बच्चों की मौत हुई। ज्यादातर मौतें रोके जा सकने वाले कारणों से हुईं। मरने वाले बच्चों में तकरीबन दो तिहाई का जन्म समय पूर्व हुआ था। और अगर ये बच्चे बच भी जाते हैं तो कई बीमारियों के शिकार होते हैं या इनका विकास सामान्य नहीं होता है। इसके अलावा, अनुमान है कि एक मिलियन छोटे और बीमार नवजात शिशु दीर्घ अवधि की विकलांगता के साथ बचते हैं।

अच्छी देखभाल से ये बच्चे किसी खास जटिलता के बगैर जिन्दा रह सकते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि स्मार्ट रणनीतियों से 2030 तक 81 देशों में 2.9 मिलियन (29 लाख) महिलाओं, समय पूर्व पैदा हुओं की जान बचाई जा सकती है। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य की देखभाल करने वाली एक ही टीम अगर मां और बच्चे – दोनों की देखभाल प्रसव, जन्म और बाद की देखभाल के काम करें तो वे समस्याओं को समय रहते पहचान सकेंगे।

इसके अलावा, 2030 में सामान्य उपायों से नवजात शिशुओं की मौत के तकरीबन 68 प्रतिशत मामले टाले जा सकेंगे। इसमें खासतौर से स्तनपान कराना; बच्चे का मां या पिता की त्वचा से त्वचा का सीधा संपर्क; दवाइयां और आवश्यक उपकरण; तथा कुशल स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं वाले साफ, आवश्यक सुविधाओं से युक्त स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच शामिल हैं। अन्य उपाय, जैसे खुद ठीक से सांस नहीं ले पाने वाले बच्चे के लिए आवश्यक उपाय, मां का रक्तस्राव रोकने के लिए सुई लगाना या नाभि नाली को काटने में देरी करके भी लाखों जानें बचाई जा सकती हैं।  ।

रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक नवजात शिशु के लिए हेल्थकेयर में बदलाव नहीं लाया गया तो दुनिया अंतरराष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएगी। द्रुत प्रगति के बिना कुछ देश अपने लक्ष्य अगले 11 दशक तक पूरे नहीं कर पाएंगे। नवजात शिशुओं की रक्षा केलिए रिपोर्ट निम्न लिखित सिफारिशें करता है :

  • नवजात शिशुओं के लिए एक सप्ताह तक अस्पताल में रखकर चौबीस घंटे देखभाल मुहैया कराना।
  • नर्सों को परिवारों के साथ मिलकर आवश्यक देखभाल मुहैया कराने के लिए प्रशिक्षण।
  • अभिभावकों और परिवारों को यह बता कर कि बच्चों की देखभाल कैसे की जाए, उनकी शक्ति को निखारना। इससे तनाव कम होगा, बच्चों का वजन बढ़ने में सहायता होगी और उनके मस्तिष्क ठीक से बढ़ पाएंगे।
  • उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल मुहैया कराने देश की नीतियों का भाग होना चाहिए और जन्म से छोटे या बीमार लोगों के लिए जीवन भर का निवेश होना चाहिए।
  • हरेक छोटे और बीमार पैदा हुए बच्चों की गिनती और उन्हें ट्रैक करने से प्रबंधकों के लिए प्रगति पर नजर रखने और नतीजे बेहतर करने में मदद मिलती है।
  • अतिरिक्त निवेश के रूप में प्रति व्यक्ति $ 0.20 अमेरिकी सेंट की बचत करने से 2030 तक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 3 नवजात में से 2 को बचाया जा सकेगा।

यह भी पढ़ेंः RTPS काउंटर से बिहार में पंचायत सरकार भवन की बढ़ेगी उपयोगिता  

कोई तीन दशक पहले कनवेशन ऑन द चाइल्ड राइट्स (Convention on the Rights of the Child) में स्वास्थ्य की देखभाल के सर्वोच्च स्तर के अधिकार की गारंटी थी और रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक बच्चे के लिए इस अधिकार को वास्तविकता में बदलने के लिए सभी विधायी, मेडिकल, मानवीय और वित्तीय संसाधन उपलब्ध हों।

यह भी पढ़ेंः अभी तो वेंटिलेटर से आईसीयू में आई है पोलियोग्रस्त कांग्रेस

- Advertisement -