बधाई हो सिचुएशन कामेडी और बढ़िया अभिनय की सौगात

0
261
  • नवीन शर्मा

आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurrana) की बधाई हो फिल्म ऐसी फिल्म है, जिसमें आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे। निर्देशक अमित आर शर्मा ने ऐसे विषय को चुना है, जो हास्य का सृजन कर देता है। इसमें रिटायरमेंट की उम्र के आसपास पहुंचे रेलवे टीसी की पत्नी बनी  नीना गुप्ता  प्रेग्नेंट हो जाती हैं।  इसके बाद आक्वर्ड सिचुएशन में फंसे इस टिपिकल मध्यवर्गीय परिवार का मजाक आसपास के लोग उड़ाते हैं। जवान बच्चों के माता-पिता अगर संतानोत्पत्ति करते हैं, तो इसे हमारे समाज में सही नहीं समझा जाता। तरह-तरह की बातें की जाती हैं, मज़ाक उड़ाया जाता है। शादी की उम्र के बच्चों को ख़ुद यह बात अजीब लगती है कि उनके माता-पिता यह क़दम कैसे उठा सकते हैं। फिल्म ऐसी ही सोच पर मज़ाकिया अंदाज़ में आघात करती है। यह फिल्म सौ  करोड़ के क्लब में पहुंचने ही वाली है

इसमें मजेदार बात यह है कि जो मां प्रिगनेंट हुई है, उसके बेटे नकुल (आयुष्मान खुराना ) की उम्र शादी के लायक है। ऐसे में उसके दोस्त-यार तो उसकी खूब खिंचाई करते ही हैं। यहां तक की गर्लफ्रैंड रैने (सान्या मल्होत्रा) भी अपनी हंसी नहीं रोक पातीं। नकुल के छोटे भाई को तो स्कूल में इतना चिढ़ाते हैं कि मारपीट तक हो जाती है। फिल्म की तीन चार खासियतें हैं। पहली यह यूनिक किस्म के टॉपिक पर  फिल्म बनी है।

- Advertisement -

दूसरी खासियत, चार कलाकारों ने तो कमाल का सहज अभिनय किया है। आयुष्मान खुराना नई पीढ़ी के सबसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं में शामिल हैं। विक्की डोनर से शुरू कर कई फिल्मों में उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवाया है। बधाई हो में वे एक बार फिर कमाल करते हैं। नीना गुप्ता भी अच्छी अभिनेत्री हैं। उन्होंने अधेड़ावस्था में प्रिगनेंट बनी महिला के किरदार   में बहुत ही सहज अभिनय किया है। सबसे जबरदस्त अभिनय दादी बनीं सुरेखा सिकरी करतीं हैं। बस आप उनके अभिनय को देख वाह-वाह कहते रह जाएंगे। नीना गुप्ता की टीसी की भूमिका में गजराज राव कम बोल कर इशारों में ही कई बातें बखूबी बयां कर देते हैं। अन्य सहयोगी कलाकारों ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है।

बधाई हो देखने का आनंद इसकी स्थानीय बोली और चुटकीले संवाद और बढ़ा देते हैं। फिल्म में दो तरह की बोलियां रखी गई हैं। एक, जो ये मध्यवर्गीय परिवार बोलता है, जो मेरठ-गाजियाबाद में बोली जानेवाली ब्रजभाषा है। दूसरी, दिल्ली की लोकल बोली जिस पर पंजाबी का असर ज्यादा है। इन दो बोलियों का अंतर रखना काफी अच्छा प्रयास है। डायलॉग का चुटकीलापन  फिल्म के हास्य रस को दोगुना कर देता है।

सौ करोड़ के क्लब में शामिल होने के करीब

31 अक्टूबर को फिल्म को 14 दिन हो गए हैं और इसने बाक्स आफिस पर 91 करोड़ कलेक्ट कर लिए हैं। यह सौ करोड़ के क्लब में पहुंचने ही वाली है। इसके सामने दूसरे सप्ताह में  4 नई फ़िल्में- बाज़ार, काशी- इन सर्च ऑफ़ गंगा, दशहरा और 5 वेडिंग्स की चुनौती थी, मगर दूसरे वीकेंड के कलेक्शन से लगता है कि ‘बधाई हो’ पर ज़्यादा असर नहीं पड़ा है।

यह भी पढ़ेंः उपेंद्र कुशवाहा रहेंगे एनडीए में, लेकिन खटिया खड़ी करते रहेंगे

- Advertisement -