- सब्जी उत्पादन/ उत्पादकता को बढ़ाना, पोस्ट हार्वेस्ट लॉस घटाना है
- वेजिटेबल सप्लाई चेन को बिचौलियों से बचाना और प्रभावी बनाना है
- पॉयलट प्रोजेक्ट में 5 जिले शामिल, इन्हें मिला कर बना है संघ
- 92 प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहयोग समितियों का हुआ निबंधन
- अब तक 32 प्रखंडों में 10,000 वर्गफीट भूमि की गई है चिन्हित
पटना। बिहार सब्जी उत्पादन एवं उत्पादकता के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में से एक बने, इसके लिए राज्य सरकार लगातार काम कर रही है। सब्जी उत्पादकों को बाजार से लेकर भंडारण तक सारी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए योजनावद्ध तरीके से कार्य भी किया जा रहा है। जल, जलवायु, उपयुक्त मिट्टी एवं सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में पारंपरिक दक्षता के कारण सब्जी उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन एवं विपणन के क्षेत्र में यहां अपार संभावनाएं उपलब्ध हैं। राज्य सरकार की इस योजना का मुख्य उद्धेश्य एक प्रभावी सब्जी आपूर्ति श्रृंखला का सृजन करना है, जिसका मुख्य उद्देश्य सब्जी उत्पादकों को उचित मूल्य दिलाना, ग्राहकों को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण सब्जी की आपूर्ति सुनिश्चित करना, सब्जी प्रक्षेत्र में प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्द्धन करना तथा रोजगार की संभावनाओं को फलीभूत करना शामिल है। त्रि-स्तरीय सहकारी व्यवस्था के तहत प्रखंड स्तर पर इन पांचों जिलों में कुल 92 प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहयोग समितियों का निबंधन हो चुका है तथा प्रखंड स्तर पर सब्जी उत्पादकों से सब्जी का संग्रहण कर शॉर्टिंग, ग्रेडिंग सब्जी हाट, लघु शीत भंडारण आदि की व्यवस्था के लिए अब तक 32 प्रखंडों में 10,000 वर्गफीट (प्रति प्रखंड) भूमि को चिन्हित कर लिया गया है।
बिहार राज्य के सहकारी क्षेत्रों को ढांचागत सुविधा उपलब्ध कराने तथा सहकारिता को सबल बनाने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों में इसे कार्यान्वित भी किया जा रहा है। बिहार राज्य के सब्जी प्रक्षेत्र में सब्जी के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करते हुए पोस्ट हार्वेस्ट लॉसेज को कम करना है। साथ ही वेजिटेबल सप्लाई चेन को बिचौलियों से मुक्त कर प्रभावी बनाते हुए सब्जी क्षेत्र में मूल्य संवर्धन करना बिहार राज्य संबंधी प्रसंस्करण एवं विपणन योजना के मुख्य उद्देश्यों में शामिल है।
इस योजना के अंतर्गत सब्जी उत्पादकों एवं ग्राहकों के लिए त्रि-स्तरीय सहकारी समितियों के माध्यम से उत्पादन का समय चक्र स्थापित करना है, जिससे सब्जी उत्पादकों को उत्पाद का लाभकारी मूल्य मिल सके तथा उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सब्जी की आपूर्ति प्रतिस्पर्द्धात्मक दर पर हो सके। इस योजना की कुल लागत राशि 1750 करोड़ है जिसका व्यय दो चरणों में किया जाना है। इस योजना की ब्रांडिंग की गई है। बिहार की सब्जी का ब्रांड नेम “तरकारी” होगा। इस योजनान्तर्गत पॉयलट प्रोजेक्ट के रुप में 5 जिलों पटना, वैशाली, समस्तीपुर, बेगुसराय एवं नालंदा को चुना गया है एवं इन पांचों जिलों को सम्मिलित कर एक संघ का गठन कर लिया गया है। इस योजना के अंतर्गत त्रि-स्तरीय सहकारी व्यवस्था के तहत प्रखंड स्तर पर इन पांचों जिलों में कुल 92 प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहयोग समितियों का निबंधन हो चुका है तथा प्रखंड स्तर पर सब्जी उत्पादकों से सब्जी का संग्रहण कर शॉर्टिंग, ग्रेडिंग सब्जी हाट, लघु शीत भंडारण आदि की व्यवस्था के लिए अब तक 32 प्रखंडों में 10,000 वर्गफीट (प्रति प्रखंड) भूमि को चिन्हित कर लिया गया है।
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बिहार राज्य सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन योजनान्तर्गत प्रत्येक प्रखंड स्तरीय समितियों को 20 लाख 60 हजार रुपए अधिसूचना स्थापित करने के लिए दिया जाना है, जिसमें राज्य सरकार की हिस्सा पूंजी, ऋण (ब्याज सहित/ ब्याज रहित) एवं अनुदान दिया जाना है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में इस योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार द्वारा 20.39 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराते हुए व्यय की स्वीकृति प्रदान की गई है।
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त्रि-स्तरीय सहकारी व्यवस्था के अंतर्गत प्रखंड स्तर पर प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहकारी समितियों का गठन कर इसको बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में बिहार अग्रणी भूमिका निभा सके। इसके लिए सब्जी के उत्पादकों से सब्जी का संग्रहण कर प्रखंड स्तर पर सारी व्यवस्थाओं को मुहैया करायी जा रही है ताकि इस व्यवस्था का माध्यम से योजना के उद्देश्यों की प्राप्ति हो सके। इस योजना का मूल उद्देश्य है कि एक प्रभावी सब्जी आपूर्ति श्रृंखला का सृजन करना है जिसका मुख्य उद्देश्य सब्जी उत्पादकों को उचित मूल्य दिलाना, ग्राहकों को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण सब्जी की आपूर्ति सुनिश्चित करना, सब्जी प्रक्षेत्र में प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्द्धन करना तथा रोजगार की संभावनाओं को फलीभूत करना शामिल है।सहकारी समितियों के माध्यम से समुचित विकास करते हुए समितियों के सदस्यों में स्वरोजगार एवं स्वावलंबन को स्थापित करना मुख्य उद्धेश्य है।
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