- ग्रामीण सडकों के निर्माण में 9 नई तकनीकों का प्रयोग
- मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के तहत 68 हजार 735 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य
- वर्ष 2018-19 में 9 हजार किलोमीटर ग्रामीण पथों का निर्माण का लक्ष्य
- मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना में 65 सौ किलोमीटर सड़कें विश्व बैंक और ब्रिक्स बैंक के सहयोग से
- दिसम्बर 2020 तक सभी सडकों का निर्माण पूरा कर लेने का लक्ष्य
- 250 से अधिक जनसँख्या वाले सभी टोलों व बसावटों को सड़क संपर्क
- रोड एसेट्स मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट पालिसी में कुल 13062 किलोमीटर लम्बाई की 1435 सड़कें
- 7 साल तक सडकों के मेंटेनेंस के लिए 7 लाख प्रति किलोमीटर का कॉन्ट्रैक्ट
- 6654 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत
पटना। सड़क निर्माण पर सरकार का हमेशा से ही विशेष ध्यान रहा है और निरंतर यही प्रयास रहा है कि बिहार के किसी कोने से राजधानी पटना पहुँचने में छह घंटे से ज्यादा का समय न लगे। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के बाद अब सरकार का लक्ष्य है कि छह घंटे की अवधि को घटा कर पांच घंटे किया जाए, जिसके लिए ग्रामीण टोलों और गांवों को भी सड़क के द्वारा मुख्य सड़क से जोड़ा जा रहा है और संपर्क रास्तों की दूरी को कम करने के लिए पुल पुलियों का निर्माण कार्य तेजी से हो रहा है।
ग्रामीण सडकों के निर्माण पर तेजी से काम हो रहा है। साथ ही साथ इन सड़कों की गुणवत्ता पर ध्यान देना महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। राज्य की ग्रामीण सड़कों के निर्माण में 9 नई तकनीकों का प्रयोग होगा, जिससे कि सड़कों के निर्माण में और मजबूती लाई जा सके। इसमें से 6 तकनीक का उपयोग शुरू हो गया है और 3 का उपयोग भी जल्द ही शुरू हो जायेगा।
सड़कों के निर्माण में सेल फील्ड कंक्रीट, सीमेंट स्टेबलाइजेशन, कोल्ड मिक्स टेक्नोलोजी, फ्लाईऐश सब ग्रेड, नैनो टेक्नोलोजी फॉर वाटर प्रूफिंग, पैनल सीमेंट कंक्रीट, रोलर कोम्पेक्टेड कंक्रीट पेवमेंट, सिलकन टेक्निक तथा वेस्ट प्लास्टिक टेक्निक प्रमुख है। सेल फील्ड कंक्रीट तकनीक में प्लास्टिक डालकर कंक्रीट बनाया जाता है। वहीँ सीमेंट स्टेबलाइजेशन तकनीक का उपयोग वहां किया जाता है, जहाँ की मिट्टी कमजोर होती है। ऐसे में वहां की मिट्टी में सीमेंट मिलाया जाता है, ताकि सड़क निर्माण में सामग्री कम लगे। इसी तरह कोल्ड मिक्स तकनीक में बरसात में भी अलकतरा पीचिंग का काम किया जायेगा। इसमें अलकतरा को गर्म किये बिना ही पीचिंग किया जाता है। इसका उपयोग इसलिए किया जाता है, क्योंकि बरसात के दिनों में सड़क के निर्माण का काम ठप्प हो जाता था। फ्लाई ऐश सब ग्रेड में थर्मल पॉवर की राख को मिलाकर सड़क की मिट्टी को कड़ा किया जाता है। नैनो टेक्नोलोजी फॉर वाटर प्रूफिंग एक केमिकल है, जिसका उपयोग सड़क की उपरी सतह पर किया जा रहा है, ताकि पानी अंदर न जा सके।
पैनल सीमेंट कंक्रीट में सड़कों की लगातार ढलाई न करके बड़े-बड़े आकार में ढाला जा रहा है। छह तकनीक में सड़क बननी शुरू हो गई है। वहीँ नैनो टेक्नोलोजी फोर वाटर प्रूफिंग, पैनल सीमेंट कंक्रीट और वेस्ट प्लास्टिक तकनीक में सड़कों का निर्माण शीघ्र शुरू हो जायेगा। राज्य में 33 जिलों में सीमेंट स्टेबलाइजेशन, 16 जिलों में कोल्ड मिक्स टेक्नोलोजी, 6 जिलों में फ्लाई ऐश सब ग्रेड, एक जिले में नैनो टेक्नोलोजी फॉर वाटर प्रूफिंग, 9 जिलों में पैनल सीमेंट कंक्रीट, 5 जिलों में रोलर कोम्पैक्टेड कंक्रीट पेवमेंट, 16 जिलों में वेस्ट प्लास्टिक तकनीक और एक जिला में सिलिकन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
ग्रामीण संपर्क सड़क के निर्माण में भी तेजी से काम हो रहा है और सरकार का प्रयास है कि जून 2019 तक मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना की सभी सड़कों को मंजूरी मिल जाएगी और इसके बाद डेढ़ साल के अंदर यानी दिसम्बर 2020 तक सभी सड़कों का निर्माण पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। यह राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है। इसके तहत सभी जिलों में 250 से अधिक जनसंख्या वाले सभी टोलों व बसावटों को सड़क संपर्कता प्रदान करना है।
इस योजना के तहत प्रखंडवार राज्य कोर नेटवर्क तैयार किया गया है। वित्त्तीय वर्ष 2018-19 में 9 हजार किलोमीटर ग्रामीण पथों का निर्माण करने का लक्ष्य है। इसके लिए 2300 करोड़ बजट का प्रावधान किया गया है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में 2502.17 करोड़ का प्रावधान किया गया था। बिहार में मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के तहत 68 हजार 735 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसमें 25 हजार 30 किलोमीटर सड़कें बन चुकी हैं। 7 हजार 54 किलोमीटर का निर्माण जारी है और 36 हजार 651 किलोमीटर का निर्माण प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना में 65 सौ किलोमीटर सड़कें विश्व बैंक और ब्रिक्स बैंक के सहयोग से बनेंगी। दोनों बैंकों ने इन सड़कों को मंजूरी दी है। विश्व बैंक 2500 व ब्रिक्स बैंक 4 हजार किलोमीटर सड़कें बनाने में मदद करेगा।
बिहार सरकार ने विश्व बैंक के समक्ष 4 हजार किलोमीटर सड़कें बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन प्रथम चरण में 2200 किलोमीटर के लिए मंजूरी मिली। इस पर कुल खर्च 2270 करोड़ होगा। इसमें 70 प्रतिशत राशि ब्रिक्स बैंक लोन के रूप में देगा, जबकि 30 प्रतिशत राशि राज्य सरकार लगाएगी।
राज्य सरकार ने सड़कों के रखरखाव लम्बे समय तक सुचारू और सुदृढ़ रखने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। रोड एसेट्स मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट पालिसी के अंतर्गत कुल 13062 किलोमीटर लम्बाई की 1435 सड़कों को इस कॉन्ट्रैक्ट के अंदर शामिल किया गया है। इन सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी चयनित ठेकेदारों को दी जाएगी, जिन्हें 7 साल तक इन सड़कों का रखरखाव अन्तराष्ट्रीय मानक के अनुरूप करना है।
इस रखरखाव के के लिए प्रति किलोमीटर अनुमानित राशि 7 लाख तय की गई है। इसके लिए सरकार ने 6654 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की है। इस योजना में सड़क सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। सड़क के रखरखाव और मेंटेनेंस कार्य की प्रगति और गुणवत्ता पर आधुनिक तकनीक से आईटी आधारित प्रणाली द्वारा प्रतिदिन निरंतर नजर रखी जाएगी, जिससे काम में कोई कोताही न हो सके।
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