बिहार-झारखंड से गहरा रिश्ता रहा प्रतिभा पुंज दीप्ति नवल का

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  • नवीन शर्मा

दीप्ति नवल (Deepti Naval) हिंदी सिनेमा के उस दौर की बेहतरीन अदाकारा हैं, जिन्हें समांतर सिनेमा या आर्ट फिल्म कहा जाता है। वे शबाना आजमी व स्मिता पाटिल जैसी काबिल अभिनेत्रियों की श्रेणी में स्थान रखती हैं। दीप्त‍ि का जन्म 3 फरवरी 1952  को हुआ था। दीप्त‍ि अपने खुले विचारों के लिए मशहूर रही हैं। वे एक अभिनेत्री  के अलावा कवयित्री, कहानीकार, गायिका, फोटोग्राफर और पेंटर भी हैं। दीप्ति नवल का बचपन अमेरिका के न्यूयार्क में बीता, जहां उनके पिता सिटी यूनिवर्सिटी में शिक्षक थे। उन्हें बचपन से ही अभिनय के साथ-साथ चित्रकारी एवं फोटोग्राफी का शौक था। एक्टिंग का कोई कोर्स किए बिना ही इंडस्ट्री में आई थीं। उन्होंने अपने फिल्म कैरियर की शुरूआत 1978 में  श्याम बेनेगल की फिल्म ‘जूनुन’ की।फारुख शेख के साथ 1981 में आई फिल्म ‘चश्मे बद्दूर’ ने उन्हें एक बड़ी अदाकारा के रूप में स्थापित किया। दरवाजे पर घंटी बजती है। खोलने पर सामने एक सेल्स गर्ल हाथ में चमको नाम का डिटर्जेंट पाउडर का डिब्बा लिए खड़ी थी। लड़की का नाम, फ़िल्मी पर्दे पर नेहा राजन और असल ज़िंदगी में दीप्ति नवल। दीप्ति मानती हैं कि उन्हें आज भी ‘चश्मे बद्दूर’ की अभिनेत्री के तौर पर बेहतर जाना जाता है।

दीप्ति नवल मशहूर एक्टर फारुख शेख के बेहद करीब मानी जाती थीं। दोनों ने साथ में कई फिल्में कीं। उनकी जोड़ी एक सहज व स्वाभाविक लगती है। खासकर फिल्म साथ-साथ में तो ये दोनों कमाल करते हैं। इस फिल्म में दीप्ति ने अमीर घर की युवती की भूमिका निभाई थी, जो एक गरीब तबके के युवक बने फारूक शेख से प्रेम करती है और परिजनों के मना करने के बाद भी उससे शादी करती है। रोजमर्रा के जीवन व्यापन के लिए यह नवविवाहिता जोड़ा संघर्ष करता है। कुछ वर्षों के बाद जब फारूख बना युवक अपने  सिद्धांतों से समझौता कर घटिया दर्जे की किताबें प्रकाशित करने लगता है तो दीप्ति विरोध करते हुए घर छोड़ कर चली जाती हैं। जब फारुख को अपनी गलती का अहसास होता है तो वह उसे वापस लेकर आता है। इस फिल्म में दीप्ति और फारुख का सहज अभिनय दिल को छू जाता है। इनकी प्रेम कहानी अपनी-अपनी सी लगती है। इस फिल्म के गीत भी सदाबहार हैं। जैसे जगजीत सिंह की लोकप्रिय गजल तुमको देखा तो ये ख्याल आया, ये तेरा घर ये मेरा घर, किसी को देखना हो अगर तो पहले आ  के मांग ले तेरी नजर मेरी नजर और यूं जिंदगी की राह में हम दूर हो गए  आदि।

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दीप्ति की पहचान हमेशा एक नान-ग्लैमरस, ऑर्ट फिल्मों की हीरोइन के रूप में ही रही है। ऐसा नहीं था कि उनकी फिल्में सफल नहीं हुईं, लेकिन उन्होंने चमक-दमक वाली फिल्मों से जान-बूझकर दूरी बनाए रखी। दीप्ति नवल कहती हैं, ”उस जमाने में मुझे हर तरह की फिल्में ऑफर हुईं, कॉमर्शियल, बी-ग्रेड और अच्छी फिल्में भी, लेकिन मुझे उन फिल्मों का माहौल नहीं पसंद आया। मैंने तय किया कि मैं ऑर्ट फिल्में ही करूंगी वही मुझे सूट भी करता था।

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दीप्ति नवल की आपने सिर्फ एक फिल्म कमला देखी होगी तो आप उनकी अभिनय प्रतिभा के कायल हुए बिना नहीं रह सकते। जगमोहन मुंदड़ा के निर्देशन में बनी कमला फिल्म में दीप्ति ने ऐसी महिला का किरदार निभाया है, जिसे बकायदा जानवरों की तरह बेचा जाता है। इसमें दीप्ति ने बहुत ही संवेदनशील अभिनय किया है। वो एक अनपढ़, अबोध व बेहद गरीब महिला के किरदार में जान डाल देतीं हैं। उनकी मासूमियत भरी बड़ी बड़ी आंखें आपको उनके दर्द के साथ हमदर्द बनने पर मजबूर कर देतीं हैं।

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दीप्ति नवल  ने मशहूर फिल्म निर्देशक प्रकाश झा के साथ कई फिल्मों में काम किया था। इनमें से हिप हिप हू रे की शूटिंग तो रांची के विकास विद्यालय में हुई थी। इसके अलावा दामुल फिल्म भी दोनों ने की। 1985 में दीप्ति ने प्रकाश झा से शादी की थी, लेकिन ये शादी अधिक सफल नहीं रही। महज चार साल बाद दोनों का तलाक हो गया। प्रकाश से दीप्त‍ि को एक बेटी दिशा है। दीप्ति, प्रकाश झा से अलग होने के बाद भी एक अच्छे दोस्त के तौर पर उनसे मिलती हैं. दोनों तलाक के बाद अपनी बेटी और दोस्त विनोद के साथ डिनर पर भी गए थे. दीप्ति की बेटी दिशा सिंगर बनना चाहती हैं.। वे अपने पिता की फिल्म राजनीति में बतौर कॉस्ट्यूम सुपरवाइजर काम कर चुकी हैं।

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उन्हें असली लोकप्रियता 1980 में प्रदर्शित फिल्म ‘एक बार फिर’ से मिली। ​जिन फिल्मों के लिए वह जानी जाती हैं उनमें ‘चश्मे बद्दूर’, ‘कथा’ और ‘साथ-साथ’ कमला व दामुल प्रमुख हैं।

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