पटना। बिहार में बीजेपी ने एनडीए के सभी साथी दलों की बोलती बंद करा दी है। बात-बात पर बोलने वाले उपेंद्र कुशवाहा इस कड़ी में ताजा उदाहरण हैं। हाल तक वह समाज की सभी जदातियों को लेकर सियासी खीर बना रहे थे, अब अपने धुर विरोधी नीतीश के शासन में बढ़ते अपराध पर बोलने से उन्होंने कन्नी काट ली है। अपनी ही पार्टी के नेता नागमणि के बिहार में बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाने में नीतीश कुमार के फेल्योर पर आई टिप्पणी से उन्होंने किनारा कर लिया, यह कह कर कि उन्होंने खुद तो ऐसा नहीं कहा है। नागमणि के अपने विचार हो सकते हैं।
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उपेंद्र कुशवाहा के पहले रामविलास पासवान ने थोड़ उछल-कूद दिखाने की कोशिश की एससी-एसटी ऐक्ट के नाम पर तो उनके मुंह पर ऐक्ट में संशोधन कर भाजपा ने ऐसा ताला मढ़ दिया कि उन्हें बैसाख में सर्वत्र हरियाली ही अब नजर आ रही है। जदयू के लोग सम्मानजनक सीट समझौता और नीतीश कुमार को बड़ा भाई बनाने की जिद पर अड़े थे। राज्यसभा में उपसभापति की कुरसी जदयू के ही हरिवंश नारायण सिंह को सौंप कर भाजपा ने जदयू नेताओं के मुंह पर अलीगढ़ का मजबूत ताला मढ़ दिया। अब जदयू के लोग भी कहने लगे हैं कि एनडीए में सीटों के बारे में कोई लफड़ा-झगड़ा नहीं है। कम से कम 2020 तक नीतीश को भाजपा के एहसान के कारण मुंह बंद रखने में ही भलाई है। ज्यादा बिदके तो न माया मिलेगी और न राम के ही दर्शन होंगे।
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अब जाकर अमित शाह की यह बात सच साबित होती दिखती है कि साथियों को संभालने उन्हें आता है। पिछली बार बिहार दौरे के वक्त उन्होंने यही बात कही थी। सच में उन्होंने सहयोगियों को संभाला ही नहीं, बल्कि उनकी नाक में नकेल डाल दी है। सबकी जुबान बंद है। सीटों के मसले पर कहीं कोई चूं-चां अब नहीं हो रही।
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