प्रेमचंद और फणीश्वरनाथ रेणु महज गंवई कथाकार नहीं
प्रेमचंद और फणीश्वरनाथ रेणु गांव और शहर दोनों के कथाकार हैं। इन्हें सिर्फ गांव में ही सिमटा देना एक साजिश है, इनके साथ न्याय...
हिन्दी भाषा के एक दुर्लभ प्रसंग का उद्घाटन- हिन्दी तेरी वह दशा !
उन्नीसवीं शताब्दी में उर्दू का इतना प्रसार और दबदबा था कि हिन्दी उसके नीचे दबी हुई थी। उसके उन्नायक तब दो ही लेखक थे-...
साहित्य के मुख्य विषय इस वर्ष क्या होंगे?
साहित्य के मुख्य विषय इस वर्ष क्या होंगे? अगर संवेदना साहित्य की आत्मा है तो निश्चत ही इस पर विचार होना चाहिए। कलकत्ता विश्वविद्यालय...
मैथिली 8वीं अनुसूची में हिन्दी के पाठ्यक्रम में विद्यापति क्यों?
अमरनाथ
मैथिली 8वीं अनुसूची में हिन्दी के पाठ्यक्रम में विद्यापति क्यों? यह सवाल उठाया है कलकत्ता यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अमरनाथ ने। उनके सवाल में...
अलका सरावगी के उपन्यास ‘कुलभूषण का नाम दर्ज़ कीजिये’- पर ममता कालिया की टिप्पणी
अलका सरावगी के उपन्यास 'कुलभूषण का नाम दर्ज़ कीजिये'- पर वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया ने अपनी बेबाक टिप्पणी दर्ज की है। सीधे कहें तो...
धीरेंद्र अस्थाना के उपन्यास ‘गुजर क्यों नहीं जाता’ का पुनर्प्रकाशन
डा. कृपाशंकर चौबे
धीरेंद्र अस्थाना के उपन्यास ‘गुजर क्यों नहीं जाता’ को वाणी प्रकाशन ने बीस साल बाद नई सज-धज के साथ छापा है।...
ममता कालिया की पुस्तक ‘अंदाज़-ए-बयाँ उर्फ़ रवि कथा’
ममता कालिया की संस्मरणात्मक पुस्तक ‘अंदाज़-ए-बयाँ उर्फ़ रवि कथा’ में ममता कालिया ने खुद को हाईलाइट होने नहीं दिया है। रवींद्र कालिया केंद्र में...
तेरी चाहत का दिलवर बयां क्या करूं…………..
अरविंद चतुर्वेद
पहले से तय प्रोग्राम के मुताबिक रामधनी दुसाध और रामजी चेरो ने नलराजा के मेले में आधा-आधा सेर गुड़हिया जलेबी खाई, एक-एक...
‘गीत कभी गाता हूँ मैं, गीत कभी गाता मुझको’ के बहाने वीरेंद्र की याद
'गीत कभी गाता हूँ मैं, गीत कभी गाता मुझको' के बहाने गीतकार वीरेंद्र जी को याद किया है वरिष्ठ पत्रकार-साहित्यकार हरीश पाठक ने। इसी...
चंद्रकांत देवताले बड़े आत्मीय स्वभाव के विशिष्ट कवि थे
बड़े आत्मीय थे चंद्रकांत देवताले। हिंदी के विशिष्ट कवि होने के बावजूद अत्यंत सरल मानुष थे। चंद्रकांत देवताले जी। 7 नवंबर को उनकी जयंती...