प्रेमचंद के अद्वितीय व्याख्याता : कमल किशोर गोयनका
अमरनाथ
बुलंदशहर (उ.प्र.) के एक व्यवसायी परिवार में जन्मे और जाकिर हुसेन कॉलेज (साँध्य), दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे कमल किशोर गोयनका (11.10.1938 )...
सादर स्मरणः हिंदी साहित्य को नया मोड़ दे गए अज्ञेय
नवीन शर्मा
मैंने हीरा नंद वात्स्यायन अज्ञेय के उपन्यास ही पढ़े हैं, कविताएं नहीं नहीं के बराबर पढ़ीं। उनके उपन्यासों में ‘शेखर एक जीवनी’...
और अविनाश जी की हो गई विदाई, अश्क को मिली पटना की कमान
वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क का पटना आगमन 1997 के मध्य में हुआ और अगले पड़ाव की ओर वह जून 1999 में प्रस्थान कर गये।...
‘मैंने ‘निराला’ की मौत देखी है… अब मैं कविताएं नहीं लिखूंगा’
मिथिलेश कुमार सिंह
'मैंने 'निराला' की मौत देखी है/ भवानी प्रसाद मिश्र को देखा है गीत बेचते/ अब मैं कविताएं नहीं लिखूंगा।' दशकों पहले...
और अब प्रभात खबर का पटना संस्करण बना अगला पड़ाव
मुन्ना मास्टर बने एडिटर- पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की प्रस्तावित पुस्तक हैं। इसे हम लगातार क्रमिक रूप से प्रकाशित कर रहे हैं। गुवाहाटी, रांची, कोलकाता...
“मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश” पंक्ति निराला का आत्मकथन है
भारत यायावर
"मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश" नामक पंक्ति प्रसिद्ध कविता 'सरोज-स्मृति' में है। यह सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का आत्म कथन है। स्वयं...
हिन्दी भाषा के एक दुर्लभ प्रसंग का उद्घाटन- हिन्दी तेरी वह दशा !
उन्नीसवीं शताब्दी में उर्दू का इतना प्रसार और दबदबा था कि हिन्दी उसके नीचे दबी हुई थी। उसके उन्नायक तब दो ही लेखक थे-...
कोलकाता में कामयाबी की इबारत लिखी प्रभात खबर ने
वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की प्रस्तावित पुस्तक का अंश आप धारावाहिक रूप में पढ़ रहे हैं। कोलकाता में प्रभात खबर की शुरुआत अश्क ने...
प्रेमचंद और फणीश्वरनाथ रेणु महज गंवई कथाकार नहीं
प्रेमचंद और फणीश्वरनाथ रेणु गांव और शहर दोनों के कथाकार हैं। इन्हें सिर्फ गांव में ही सिमटा देना एक साजिश है, इनके साथ न्याय...
रूसी शोध छात्रों की टोली जब रेणु के गांव जाने की जिद पर अड़...
रूसी शोध छात्रों की टोली फणीश्वरनाथ रेणु पर शोध कार्य करने आयी थी। इनमें दो लड़कों के साथ चार लड़कियां रेणु से मिलने पटना...