उदीयमान कवि दीपक कुमार की दो कविताएं
दीप प्रकाश की कविताएं
1.
सूर्य!
जिसकी आंखों के सामने
आकार लिया धरती ने।
जिसकी किरणों से
जीवन का संचार हुआ।
वो सूर्य!
आज भी वैसे ही रोज
उगता और ढलता है,
जैसा पहले...
कुमार जगदलवी की चुनिंदा पांच कविताएं
इंसानियत ही मजहब
हम-तुम, जब भी मिलें
अपने, आपे में मिलें
तुम, तुम में ही रहो
मैं, खुद ही में रहूँ।
तुम अपने अक़ीदे में रहो
मैं, अपने यकीं...
ओमप्रकाश अश्क की पांच कविताएं
समस्या है संगिनी
समस्याओं का साथ
मुझे रास आने लगा है।
तभी तो मैंने
इसे संगिनी स्वरूप
स्वीकृति दे दी है।
संज्ञा स्वरूप समस्याएं
रोज साथ सोती हैं,
जागती हैं,दुत्कारती तो...