कुमार जगदलवी की कविता- लड़ो या मरो………
कुमार जगदलवी
सामने खतरा था
मैं उससे लड़ सकता था
मगर ज़ेहन ने कहा
काहे को लड़ना
लड़ने पर जोखिम है
बेहतर है कि
मैं रास्ता बदल लूं
मैंने रास्ता बदल...
रवि यज्ञसेनी की 2 कविताएं- पापा अब परदेश न जाना/ अब ना जाओ दूर...
रवि यज्ञसेनी
पापा अब परदेश ना जाना
हम रूखा-सूखा खा लेंगे।
दूर हुए अपने गाँवो से,
दूर खेत-खलिहानों से,
दूर तीज-त्योहार हुए,
और बासंती मेलों से।
पापा मेरी फिक्र ना...
सुधांशु शेखर की कविता- कब निकलेगा समाधान प्रिये !
सुधांशु शेखर
इस लॉक डाउन के चंगुल से
कब निकलेगा समाधान प्रिये !
तुम लॉक डाउन की बढ़ती डेट
मैं वस्तु का घटता दाम प्रिये !
तुम ग्रीन...