चिराग पासवान ने कहा- उपेंद्र जी दो नावों की सवारी करना छोड़ दें
पटना। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के फिलहाल सर्वेसर्वा चिराग पासवान ने भी रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा को नसीहत दी है कि वे दो नावों की सवारी करना छोड़ दें। चिराग का कहना है कि सीटों के बंटवारे का मुद्दा कुशवाहा को सार्वजनिक मंच पर उठाने के बजाय एनडीए के फोरम में रखना चाहिए। इधर कुशवाहा लोगों की लाख लानत सह कर अब भी प्रधानमंत्री से मिलने की आस संजोये हुए हैं। उन्होंने दिल्ली में डेरा जमाया है और ट्वीट के जरिये जानकारी दी है कि उन्होंने प्रधानमंत्री से 27 से 30 नवंबर के बीच मिलने का समय मांगा है। जब एक मंत्री को अपने प्रधानमंत्री से मिलने के लिए नाक रगड़ने की नौबत आ जाये तो उस आदमी को अपनी औकात का अंदाज लगा लेना चाहिए।
एनडीए के गलियारे में चर्चा है कि कुशवाहा को दो सीटें मिलनी तय थीं, लेकिन उनकी नकचढ़ी की वजह से एनडीए में उनकी गिनती ही अब नहीं हो रही। लोकसभा में कुशवाहा के तीन सांसद थे। एक अरुण कुमार ने अपना अलग गुट बना लिया था।
यह भी पढ़ेंः सरयू राय साफ-साफ बोलते हैं, जानिए क्या कहा लालू के बारे में
दो सीटें कुशवाहा को मिलनी पक्की थीं, लेकिन बिहार सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ उन्होंने अभियान तो छेड़ा ही, कभी राजद के करीब बोली-बतकही से दिख रहे थे तो कभी मिल रहे थे। भाजपा नेतृत्व ने उनके इस आचरण को उचित नहीं माना। शायद यही वजह रही कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें मुलाकात का समय नहीं दिया। हार कर वह भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव से मिल कर रह गये। अब प्रधानमंत्री से मिलने के लिए लालायित हैं।
यह भी पढ़ेंः सिर्फ सम्मान के लिए एनडीए में झटकेे खा रहे हैं उपेंद्र कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा के सामने अब दो ही रास्ते बचते हैं। वह या तो पूरी तरह भाजपा के रहमोकरम पर एनडीए में रहें या फिर राजद नीत महागठबंधन का दामन थाम लें। अगर वह एनडीए से सम्मान मांग रहे हैं तो उस सम्मान का कोई मतलब नहीं, जो भारी अपमान के बाद उन्हें हासिल होगा। उनके लिए बेहतर यही होगा कि अगर नीतीश कुमार के खिलाफ उन्होंने मोरचा खोल दिया है तो वह उसी स्टैंड पर कायम रहते हुए दूसरा रास्ता अख्तियार कर लें।
यह भी पढ़ेंः उपेंद्र कुशवाहा रहेंगे एनडीए में, लेकिन खटिया खड़ी करते रहेंगे