- ट्रांसमिशन लाइन के अधूरे कार्यों को जल्द पूरा करें
- जून के अंत तक फॉरेस्ट क्लीयरेंस का करें निराकरण
- घर घर बिजली पहुंचने से लोगों की सोच बदली है
- बिजली को सामाजिक उन्नति का आधार बताया
रांची। झारखंड में बिजली संकट पर सीएम ने की समीक्षा बैठक। मुख्यमंत्री ने कहा कि ट्रांसमिशन लाइन का अधूरा कार्य जल्द जल्द पूरा हो जाना चाहिए। जून के अंत तक फॉरेस्ट क्लीयरेंस से संबंधित कार्यों के निराकरण का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि घर-घर बिजली पहुंचने से लोगों की सोच बदली है। बिजली सामाजिक उन्नति का आधार है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि पिछले साढ़ें चार वर्षों में राज्य सरकार की साफ नीयत, स्पष्ट नीति एवं टीम झारखंड की अच्छी कार्य प्रणाली और दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण सड़क, बिजली, पानी इत्यादि आधारभूत संरचनाओं में संतोषजनक कार्य हुए हैं। साल 2014 तक राज्य के 68 लाख घरों में से मात्र 38 लाख घरों तक ही बिजली पहुंच सकी थी। वर्तमान सरकार के गठन के 4 साल में ही राज्य के वंचित 30 लाख घरों में तेज गति से बिजली पहुंचाने का काम हुआ है। उक्त बातें मुख्यमंत्री ने आज झारखंड मंत्रालय में आयोजित सभी डीएफओ सहित वन विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ ऊर्जा विभाग (ट्रांसमिशन लाइन) की परियोजनाओं की कार्य प्रगति पर उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक करते हुए अपने संबोधन में कहीं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के 67 साल बीत जाने के बाद भी राज्य में जितने पावर ग्रिड सब स्टेशन बनने चाहिए थे, उतने नहीं बन पाए। यही कारण है कि पूरे राज्य में निर्बाध और गुणवत्तापूर्ण बिजली उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बन गई थी। इस चुनौती को स्वीकारते हुए हमारी सरकार ने राज्य के शत-प्रतिशत घरों में बिजली पहुंचाने का काम किया है। हर घर तो बिजली पहुंचा दी गई है, परंतु 24×7 निर्बाध बिजली उपलब्धता में कुछ समस्याएं अवश्य आ रही हैं। उपभोक्ता परिवारों तक निर्बाध बिजली पहुंचे, यह सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।
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मुख्यमंत्री श्री दास ने ऊर्जा विभाग एवं वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि जून माह 2019 के अंत तक फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं होने के कारण विद्युत संरचना के कार्य में जो रुकावटें आ रही हैं, उनका निराकरण कर लें। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि फाइलों के उलझन में न फंसें। फाइल मूवमेंट कम से कम हो और अधिक से अधिक संवाद स्थापित कर कार्य प्रगति में तेजी लाएं। फाइल एक ही बार में फूल और फाइनल डील हो, यह प्रयास करें। ऊर्जा विभाग के पदाधिकारी, वन विभाग के पदाधिकारी और जिलों के उपायुक्त आपसी समन्वय स्थापित कर नियम कानून का अनुपालन करते हुए फॉरेस्ट क्लीयरेंस का काम जून माह के अंत तक पूरा कर लें।
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बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि राज्य में बिजली को सुदृढ़ करने के लिए विभाग द्वारा प्रस्तावित परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करना राज्य सरकार का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने ऊर्जा विभाग के आला अधिकारियों को विद्युत संचरण से संबंधित कार्य प्रणाली में तेजी लाने का निर्देश दिया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अघोषित बिजली कटौती और तकनीकी समस्याओं का तत्काल निराकरण करें।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आजादी के बाद पहली बार सभी गरीब परिवारों तक बिजली पहुंचाई गई है। सभी घरों में बिजली पहुंचने से लोगों की सोच बदली है। बिजली सामाजिक उन्नति का आधार है। शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी आंगनबाड़ी, स्कूल एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों इत्यादि में बिजली पहुंचने के कारण स्पष्ट रूप से सामाजिक उन्नति देखी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली के बिना विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। हमारा राज्य सभी सेक्टरों में तभी आगे बढ़ पाएगा, जब हम चौबीसों घंटे निर्बाध बिजली उपलब्ध कराने में कामयाब होंगे।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड अपार संभावनाओं से भरा प्रदेश है। उन्होंने आशा जताई कि आगे भी टीम झारखंड इसी तरह से प्रतिबद्धता के साथ कार्य करेगी और राज्य को प्रगति के पथ पर ले जाने में अपनी महती भूमिका निभाएगी। गांव-गरीब किसानों के घरों को रोशन करने के साथ-साथ उनके जीवन स्तर को भी रोशन करना राज्य सरकार का लक्ष्य है। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि ट्रांसमिशन से जुड़े 29 बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य हो रहा है। अक्टूबर तक सभी परियोजनाओं का काम पूर्ण कर लिया जाएगा।
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बैठक में अपर मुख्य सचिव इंदुशेखर चतुर्वेदी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. सुनील कुमार वर्णवाल, ऊर्जा सचिव वंदना डाडेल, मुख्य वन संरक्षक संजय कुमार, ऊर्जा वितरण निगम के एमडी राहुल पुरवार, संबंधित विभिन्न जिलों के उपायुक्त सहित ऊर्जा एवं वन विभाग के अन्य आला अधिकारी उपस्थित थे।
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