- गांधी मैदान में 3 फरवरी की होगी रैली
- बाहुबलियों के कारण पुराने वर्कर संशय में
पटना। बिहार की राजनीति में कांग्रेस तकरीबन तीन दशक से अप्रासांगिक-सी हो गई थी। कांग्रेस ने 29 साल बाद पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में अपन बूते 3 फरवरी को रैली करने की हिम्मत जुटाई है। रैली को राहुल गांधी संबोधित करेंगे। राहुल गांधी की रैली को सफल बनाने के लिए भीड़ जुटाने का कांग्रेस हर हथकंडा अपना रही है। कांग्रेस में नामी-गिनामी बाहुुबलियों की मिलती धड़ाधड़ एंट्री से पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं में हताशा साफ झलक रही है, लेकिन उनकी मदद के बगैर भीड़ का जुटान संभव नहीं।
कांग्रेस के पास जनाधार वाले नेताओं का अकाल है। ऐसे में पार्टी दम-खम रखनेवाले बाहुबलियों के भरोसे गांधी मैदान भीड़ जुटाने में लगी हुई है। कांग्रेस ने अपने विधायकों और जिलाध्यक्षों को भीड़ जुटाने का जिम्मा दे रखा है। हर विधायक को कम से कम दो हजार लोगों की भीड़ लाने का फरमान जारी हुआ है। लोकतंत्र में भीड़तंत्र के गणित को कांग्रेस साधने की कोशिश कर रही है।
गांधी मैदान में 3 फरवरी की रैली प्रियंका गांधी वाड्रा के सक्रिय सियासत में एंट्री होने का गवाह भी बनेगा। ऐसे में कांग्रेस 3 फरवरी की रैली को ऐतिहासिक बनाने की कोशिश में जी-जान से जुटी हुई है। इसके लिए कांग्रेसी नेता कई बाहुबलियों की मदद ले रहे हैं, जिन्हें पुरस्कारस्वरूप कांग्रेस अपने कोटे से लोकसभा अथवा विधान सभा में टिकट दे सकती है। वैसे कई बाहुबलियों के नाम पर राजद को भी आपत्ति है। हालांकि महागठबंधन के किसी भी घटक ने राहुल गांधी की रैली में मदद करने का अभी तक कोई संकेत नहीं दिया है।
सांसद पप्पू यादव राहुल गांधी की रैली को दमदार बनाने के लिए अपना योगदान देने में व्यस्त हैं। मुजफ्फरपुर से पूर्व विधायक विजेन्द्र चौधरी का भी नाम उन नामों में शामिल है, जो कांग्रेस में शामिल होने की कतार में खड़े हैं। दीगर है कि विजेन्द्र चौधरी की आपराधिक छवि है। उन पर आपराधिक मुकदमों की लंबी फेहरिस्त है और वे आरजेडी से लेकर जेडीयू तक अपनी राजनीतिक यात्रा को अंजाम दे चुके हैं। फिलहाल वे हाथ के सहारे किसी सदन में एंट्री करने की जुगत में हैं।
मोकामा के बाहुबली व निर्दलीय विधायक अनंत सिंह तो मुंगेर से कांग्रेस प्रत्याशी होने का दावा भी करने लगे हैं। वे 18 जनवरी को गाड़ियों के लंबे काफिले का साथ रोड शो भी कर चुके हैं। अनंत सिंह ने दावा किया है कि राहुल गांधी की रैली में लाखों लोगों की भीड़ होगी और गांधी मैदान छोटा पड़ जाएगा। अनंत सिंह भारी संख्या में भीड़ जुटाने में लगे हुए हैं। वे साबित करने का प्रयास करेंगे कि उनकी जनता के बीच गहरी पैठ है। वे मुंगेर लोकसभा सीट से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।
कांग्रेस में एंट्री का सपना संजोए बैठे बाहुबलियों की लिस्ट रोज-ब-रोज बढ़ती जा रही है। फिलहाल सभी को राहुल गांधी की 3 फरवरी की रैली को कामयाब बनाने को कहा गया है। इसमें महाराजगंज के जीतेंद्र स्वामी, शिवहर से सजायाफ्ता आनंद मोहन की पत्नी व पूर्व सांसद लवली आनंद, साधु यादव के नाम शुमार हैं। राहुल गांधी और सोनिया की करीबी माने जानेवाली सांसद रंजीता रंजन के पति सांसद पप्पू यादव भी गांधी मैदान की रैली को सफल बनाने में जुटे हैं। बताते चलें कि पप्पू यादव को रिम्स के प्राइवेट वार्ड में भर्ती राजद मुखिया लालू यादव ने मुलाकात करने से मना कर दिया था। तब से पप्पू यादव खासा खाफा बताये जाते हैं। वे अपनी पार्टी के लिए 3 सीट की मांग पर अड़े हैं।
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नालंदा के पप्पू खान की भी कांग्रेस में एंट्री हो चुकी है। पप्पू खान 20 हजार समर्थकों के साथ बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुए थे। पप्पू खान राजद से विधायक रह चुके हैं और कई आपराधिक मामलों में उनका नाम भी दर्ज है। कांग्रेस उनके जरिये मुसलमानों में अपनी पकड़ मज़बूत करना चाहती है। सूत्रों की मानें तो पप्पू खान राहुल गांधी की रैली को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
कांग्रेस में बाहुबलियों और आपराधिक छविवाले नेताओं की बढ़ती एंट्री से कई वरिष्ठ व प्रतिबद्ध कार्यकर्ता असहज बताये जाते हैं। सदाकात आश्रम की एक बैठक में प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष ब्रजेश पांडेय, सुबोध कुमार सहित कांग्रेस के महासचिव चंदन यादव ने इस पर चिंता जताई थी। इन लोगों ने बाहुबलियों को शामिल किए जाने और उन्हें विशेष तवज्जो देने को लेकर खासा नाराजगी दिखाई थी। इसमें कई वरीय पदाधिकारियों ने साफ कर दिया था कि ऐसा होने पर पार्टी के कार्यकर्ता ही पार्टी के विरोध में काम करने को मजबूर हो जायेंगे। इन लोगों ने पिछले पंद्रह सालों में पार्टी के बुरे दिनों में काम करने की दुहाई भी दी और अपने से कहीं अधिक बाहुबली चेहरों को ज्यादा तवज्जो दिये जाने पर नाराजगी जताई।
बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मदनमोहन झा भी पार्टी के बदले रुख से खासे नाराज बताये जाते हैं। आलम यह है कि पप्पू यादव जब कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल से मुलाकात कर रहे थे तो मदन मोहन झा को इसकी जानकारी तक नहीं थी। उन्हें बाद में इसकी जानकारी दी गई। बहरहाल कांग्रेस बाहुबलियों की बदौलत राहुल गांधी की रैली को सफल बनाने में जुटी है। राहुल की रैली के बाद कांग्रेस राजनीतिक सौदेबाजी में किस हद तक कामयाब हो पाती है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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