पटना। गुजरात प्रकरण में कांग्रेस को एक बार फिर से निशाने पर लेते हुए भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने कहा कि भाजपा से खुन्नस निकालने के चक्कर में कांग्रेस द्वारा गुजरात में खेले जा रहे गंदे खेल की प्रताड़ना का शिकार सबसे ज्यादा बिहार के दलित और पिछड़े वर्ग के लोग हो रहे हैं। कौन नही जानता कि प्रदेश से बाहर रोजी-रोटी की तलाश में जाने वाले गरीबों में सबसे ज्यादा संख्या इसी समाज के लोगों की है। महज चंद वोटों के लिए कांग्रेस आज इतना नीचे गिर चुकी है कि वर्षों से चले आ रहे बिहारियों और गुजरातियों के आपसी सद्भाव को बिगाड़ने पर तुली है। यह ओछी राजनीति की पराकाष्ठा ही कही जायेगी कि जिन दलित-पिछड़ों के पास कांग्रेस के नेता घर-घर घूम कर वोट देने की मिन्नते करते हैं तथा जिस समाज के यह सबसे बड़े हितैषी होने का दावा करते हैं, आज उन्ही लोगों को अपनी सतही राजनीति चमकाने के लिए इनके नेता सरेआम पिटवा रहे हैं।
अब तो मीडिया में इनके नेताओं के भडकाऊ वीडियो भी सामने आ रहे हैं, जिनमे राहुल के चहेते और बिहार के सह प्रभारी बिहार-यूपी के लोगों के खिलाफ जहर उगलते साफ़ दिख रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के नेता उनके खिलाफ कुछ बोलने के बजाए उल्टे उनका बचाव कर रहे हैं। यहाँ तक कि इनके युवराज राहुल जी के मुंह से भी उनके ख़िलाफ़ दो बोल नहीं फूट रहे हैं। इससे साबित होता है कि एक सोची-समझी साजिश के तहत कांग्रेस के नेता इस घटना को अंजाम दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हकीकत में इस षड्यंत्र के मार्फत राहुल गाँधी के चहेते अल्पेश ठाकोर एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश कर रहे हैं। पहला तो वह अपनी इस ओछी हरकत से तीन राज्यों की जनता को भाजपा के खिलाफ भड़काना चाहते हैं, दूसरा वह खुद को राष्ट्रीय नेता के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं। इस तरह की घृणास्पद राजनीति को प्रश्रय देने वाले कांग्रेस अध्यक्ष को अपना इतिहास पलट कर देख लेना चाहिए। उन्हें याद कर लेना चाहिए कि जब-जब उनके नेताओं ने इस तरह की राजनीति को बढ़ावा दिया है, तब-तब उन्हें इसका खामियाजा खुद भुगतना पड़ा है। कांग्रेस के नेता यह समझ लें कि इस बार भी उनकी पोल जनता के सामने पूरी तरह खुल चुकी है और अगर उन्होंने विभाजनकारी राजनीति से किनारा नहीं किया तो आगामी चुनाव में बिहार का दलित और पिछड़ा समाज उन्हें निश्चय ही सबक सिखाएगा।
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