CPM ने सर, कमर और आंख पर चोट की, BJP ने तो टांग तोड़ दीः ममता

0
478
सेंट्रल फोर्स की 800 कंपनी तैनात किये जाने के बावजूद बंगाल में दूसरे चरण का चुनाव हिंसा से अछूता नहीं रह पाया। ममता बनर्जी ने गड़बड़ी का आरोप लगाया।
सेंट्रल फोर्स की 800 कंपनी तैनात किये जाने के बावजूद बंगाल में दूसरे चरण का चुनाव हिंसा से अछूता नहीं रह पाया। ममता बनर्जी ने गड़बड़ी का आरोप लगाया।
  • डी. कृष्ण राव

कोलकाता। CPM ने सर फोड़ा, कमर तोड़ी, आंख पर चोट की, पर BJP ने तो टांग तोड़ दी। ममता बनर्जी चुनाव प्रचार के दौरान यह बताना-गिनाना नहीं भूल रही हैं। चुनाव प्रचार के दौरान ममता बनर्जी ये चार बातें जरूर कहती हैं। नंदीग्राम में चोटिल होने के बाद ममता बार-बार यह कह कर CPM और BJP को एक साथ निशाने पर ले रही हैं।

चुनाव प्रचार के दौरान  नंदीग्राम में हुए कथित हमले के बाद  ममता ने अब तक जितनी भी सभाएं की हैं, प्रायः हर सभा में वे इन चार जख्मों और जख्म देने वाला का उल्लेख जरूर  कह रही हैं। खासकर बंगाल के  आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में। बांकुड़ा,  पुरुलिया और झाड़ग्राम की सभाओं में उन्होंने अपना जख्मी प्लास्टर चढ़ा पैर दिखाते हुए कहा कि  CPM ने अपने समय में  मेरे  सर, हाथ, कमर,  यहां तक कि  आंख पर भी हमला किया, लेकिन मुझे रोक नहीं पायी। मुझे रोकने के लिए BJP ने आखिरकार  मेरा पैर तोड़ दिया और चुनाव प्रचार से दूर रखने की कोशिश की,  लेकिन बीजेपी के लोग मुझे रोक नहीं पाएंगे।

- Advertisement -

एक पैर पर खड़ा होकर मुझे संबोधित करने में  काफी दिक्कत हो रही है, लेकिन मैं आप तक इसलिए पहुंच रही हूं कि  मुझे पता है कि आपका प्यार  और आपके पैर मुझे  यह दूरी तय करने में सहायता करेंगे। ममता बनर्जी ये बातें कह कर  ग्रामीण इलाकों के असहाय और  सीधे-सादे लोगों के दिल में  सेंटीमेंट पैदा करने की कोशिश कर रही हैं। वे इस बार बंगाल में  इस सेंटीमेंट के  आधार पर चुनावी नैया पार करने की कोशिश कर रही हैं। यह भी सच है कि ग्रामीण इलाकों में ममता बनर्जी के इस सेंटीमेंट  उभारने वाले बयान का असर भी दिख रहा है। BJP के दिग्गज बैट्समेन को इसकी काट खोजने में काफी असुविधा हो रही है। BJP के राज्य स्तरीय एक नेता का कहना है कि  बंगाल के हर आदमी को पता है कि ममता बनर्जी पर  हमला नहीं हुआ, बल्कि यह एक हादसा था, लेकिन  सभाओं में ममता बनर्जी जिस तरह की अपील लोगों से कर रही हैं, उससे  कुछ लोगों के  दिल पर जरूर असर कर रहा है।

ममता बनर्जी हर मीटिंग में एक और बात कह रही हैं कि वह बंगाल में अकेले चुनाव प्रचार कर रही हैं, जबकि BJP ने 1000 से भी ज्यादा  अपने मंत्री और नेताओं को बंगाल चुनाव में उतारा है। चुनाव के दिन हजारों की संख्या में बाहरी लोग ट्रेन से आएंगे। आपके बूथ पर पहुंचने से पहले वे आपका वोट लूट लेंगे। बाद में BJP के नेता आपको अपने घर से भी निकाल देंगे। आपके बच्चे को घर से उठा ले जाएंगे। आपकी जमीन  लूट लेंगे। आपको असहाय और बेसहारा बना देंगे।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि  ममता बनर्जी जैसे मुख्यमंत्री का  इस तरह का गैर जिम्मेदाराना बयान  आदिवासी इलाके के आम लोगों के मन में  एक तरह का  भय उत्पन्न कर रहा है। जानकार यह भी कहते हैं कि ममता बनर्जी जान-बूझकर ये बातें कह रही हैं, ताकि कुछ लोगों के मन में डर बैठ जाए  और इसका लाभ उन्हें मिल जाये। यह सब सोची-समझी  रणनीति का हिस्सा है, जिसके पीछे  पीके यानी प्रशांत किशोर का दिमाग होने का पूरी संभावना है।

और एक बात ममता बनर्जी बेझिझक कह रही हैं कि  सत्ता में लौटते ही  ‘द्वारे सरकार’ के जरिये राशन लोगों के घर तक पहुंचाएंगी। इसे मतदाताओं को प्रलोभन मान कर चुनाव आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए  जांच भी शुरू कर दी है। लेकिन  आज भी चुनावी सभाओं में  ममता बनर्जी यह बात कहते हुए सुनी जा सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक ममता का यह वादा टीएमसी के घोषमा पत्र में भी शामिल किया गया है, जो अभी जारी नहीं हुआ है। ममता यही चाहती भी हैं कि चुनाव आयोग इस पर कार्रवाई करे और वह जनता को संदेश दे सकें कि जनता के लिए किये वादे पर चुनाव आयोग सक्रिय हो गया है। आयोग नहीं चाहता कि जनता को यह सेवा मिले। इसके लिए वे चुनाव आयोग के बहाने अमित शाह को कठघरे में खड़ा करना चाहती हैं।

चुनाव जितना नजदीक आ रहा है,  ममता बनर्जी अपने  चुनाव प्रचार की स्टाइल भी पूरी तरह बदल रही हैं। शुरू के दिनों में जो प्रचार  था कि बाहरी और बंगाली अस्मिता के साथ विकास के मुद्दे पर ममता की पार्टी टीएमसी चुनाव लड़ेगी, ममता बनर्जी उससे इतर चुनाव को दूसरी तरफ ले जाने की कोशिश कर रही हैं। भाजपा के प्रति लोगों  को आतंकित करना  और अपना  पुराना सेंटीमेंट कार्ड एक बार फिर ममता सामने लेकर आयी हैं। पता नहीं, इससे चुनावी वैतकणी वह पार करेंगी या जनता उनके खेल को समझ कर अपने विवेक का परिचय देगी, यह आने वाला समय ही बताएगा।

- Advertisement -