बेगूसराय (नंदकिशोर सिंह)। बिहार के बेगूसराय जिले के बखरी प्रखंड क्षेत्र के राटन ध्यान चक्की गांव निवासी स्व. चक्रधर सिंह के पुत्र सीआरपीएफ के जवान पिंटू कुमार सिंह (उम्र 35 वर्ष) शुक्रवार को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में हुए सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में शहीद हो गये। चार अन्य जवान भी मुठभेड़ में शहीद हुए थे। पिंटू के शहीद होने की सूचना शुक्रवार की शाम में सीआरपीएफ के वरीय पदाधिकारियों ने उनके भाई को दी। उसके बाद से परिजनों में कोहराम मच गया। बताया जाता है कि शहीद जवान की पत्नी मंजू देवी अपनी 5 वर्षीय पुत्री आरोही सिंह को पढ़ाने के लिए मुजफ्फरपुर में कई माह से रहती हैं। फिलहाल वह गर्भवती बतायी जा रही हैं।
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शहीद जवान अपने पाँच भाइयों में चौथे स्थान पर था। शहीद जवान के बड़े भाई अमलेश सिंह और उसके छोटे भाई विमलेश सिंह भी अपने भाई के शहीद होने की खबर मिलने के बाद से आहत हैं। शहीद जवान की पत्नी को मुजफ्फरपुर से राटन गांव बुलाया लिया गया है। शहीद जवान पिंटू कुमार सिंह के पार्थिव शरीर को देखने के लिए गाँव व जिलेभर से लोग उनके राटन ध्यान चक्की पैतृक आवास पर पहुँच रहे हैं। हालांकि अभी तक उनका शव नहीं पहुंचा है। प्राप्त सूचना के अनुसार शहीद पिन्टू का पार्थिव शरीर दिल्ली से पटना आएगा और उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को बेगूसराय बखरी प्रखंड क्षेत्र के राटन गांव लाया जाएगा।
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शहीद जवान की पत्नी अंजू देवी गर्भवती हैं। उनको इस बात का मलाल है कि वह उनसे फोन पर ठीक से बात भी पूरा नहीं कर सकी थीं और वह पूरे परिवार को छोड़ कर चले गए। पिंटू कुमार सिंह के शहीद होने की खबर मिलने के बाद जिला भर के लोग उनके घर पर पहुँच कर उनके परिजनों को ढांढस बंधा रहे हैं।
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बेगूसराय जिला के बखरी प्रखंड के राटन ध्यान चक्की गांव के रहने वाले पिंटू कुमार सिंह का परिवार इन दिनों मुजफ्फरपुर में डेरा लेकर रहता था। घर पर पिंटू के सहोदर चार भाई रहते हैं। उनकी माँ भी इस दुनिया में नहीं हैं। उनकी गर्भवती पत्नी अंजू देवी बताती हैं कि जब वह जम्मू-कश्मीर से कुपवाड़ा जिला में आतंकियों से लोहा लेने के लिए गाड़ी से रास्ते में जा रहे थे, तब उन्होंने फोन पर पत्नी से बात की थी। परंतु रास्ते में नेटवर्क गड़बड़ रहने के कारण पत्नी से पूरी बातें नहीं हो पा रही थीं। उन्होंने कहा था कि कश्मीर पहुंच कर तुम से मैं बात करूंगा। शहीद जांबाज जवान पिन्टू का वह आखिरी फोन था।
इसके बाद उनका फोन ही नहीं आया। उनके बड़े भाई के फोन पर शुक्रवार की शाम में एक मनहूस खबर जरूर आ गई। इस खबर को सुनने के बाद से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। रोती बिलखती उनकी पत्नी ने बताया कि मुझको यह मलाल रह गया कि वह आने वाले बच्चे का मुँह भी नहीं देख सके। वह कहती हैं कि आखिर हम लोगों से क्या गलती हो गई, जो भगवान ने हमें यह दिन दिखाया हे। भाई को खोने का दर्द शहीद जवान के बड़े भाई अमरेश सिंह के चेहरे पर साफ झलक रहा था।
शहीद पिंटू के भाई यह कहते हैं कि प्रारंभ से ही उसमें अपने देश के प्रति कुछ करने की तमन्ना थी। उन्होंने बताया कि हमारे भाई की 5 वर्ष की एक बेटी आरोही सिंह है। उसे पढ़ाने लिखाने के लिए उसे मुजफ्फरपुर शहर में रखा था।