दाउद इब्राहिम ने अपने आदमी को बिहार से राज्यसभा भेजने की कोशिश की थी। वह भी तकरीबन तीन दशक पहले। यानी राजनीति को धंधा समझने की परंपरा नयी नहीं है। यहां विधान परिषद और राज्यसभा के टिकटों के बिकने की खबरें आती रही हैं। बड़े पैसे वाले कारोबारी और माफिया डान तक अपने या अपने लोगों को इस माध्यम से राजनीति में प्रवेश करा देते हैं। राजनीतिक दलों के अगुआ भी इसमें शामिल हो जाते हैं। इसलिए कि उन्हें बैठे बिठाये एक मोटी रकम हाथ लग जाती है। ऐसे ही एक वाकये का जिक्र किया है वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर ने।
- सुरेंद्र किशोर
कई दशक पहले की बात है। दाउद इब्राहिम का एक खास आदमी 75 लाख रुपए लेकर राज्य सभा की सीट खरीदने के लिए पटना आया था। नब्बे के दशक में जब उसका निधन हुआ तो पता चला कि उसने दाउद की मदद से दिल्ली में 2500 करोड़ रुपए की अवैध सम्पत्ति बनाई थी। खैर, इन रुपए से एक राज्यसभा और एक विधान परिषद की सीट खरीदनी थी।
विधान परिषद की सीट एक बिहारी नेता के लिए थी। वह उस महा दलाल का दलाल था। उन दिनों रेट यही था। हालांकि बता दूं कि इन सदनों की सारी सीट नहीं बिका करतीं। दिल्ली के राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में दाउद के लिए सक्रिय वह महा दलाल पटना के फ्रेजर रोड के एक बड़े होटल में ठहरा था।
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सब कुछ पहले से तय था। स्थानीय दलाल ने तय करा दी थी। यह काम गुपचुप हो जाना था। पर खुफिया एजेंसी सक्रिय थी। दिल्ली से पटना तक उस उस महा दलाल के नाम पर सनसनी फैल गई। संबंधित दल के प्रधान डर गए। भारी बदनामी का डर था। 75 लाख रुपए नेता जी को दिए जा चुके थे।
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फिर भी नेता ने उसे उम्मीदवार बनाने से अंतिम समय में इनकार कर दिया। वह महा दलाल दिल्ली भाग गया। उसका पैसा डूब गया। पर उस महा दलाल के स्थानीय दलाल को विधान परिषद की सीट मिल गई। क्योंकि उस पर अपराध का कोई आरोप नहीं था।
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