- डी. कृष्ण राव
कोलकाता। असेंबली इलेक्शन के पहले फेज में ही हो जाएगी शुभेंदु अधिकारी की अग्निपरीक्षा। पहले फेज की 6 सीटें ऐसी हैं, जहां अधिकारी परिवार का दबदबा है। शुभेंदु अधिकारी नंदीग्राम से ममता के खिलाफ बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 27 मई को होने जा रहा है। पहले तरण में 30 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। पहले चरण में पुरुलिया, बांकुड़ा, झाड़ग्राम, पूर्व मेदिनीपुर और पश्चिम मेदिनीपुर की 30 सीटों के लिए मतदान कराया जाएगा। पहले चरण में ही शुभेंदु अधिकारी का गढ़ माने जाने वाले कांथी लोकसभा के अंतर्गत उत्तर और दक्षिण कांथी, पताशपुर, रामनगर, भगवानपुर, खिजुरी और एगरा समेत कुल 7 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। पिछले दो दशक से यहां की रामनगर सीट को छोड़ बाकी 6 सीटों का उम्मीदवार के चयन से लेकर, कौन जीतेगा, इसका निर्णय अधिकारी बंधुओं के घर शांतिकुंज से होकर गुजरता था। अगर सीधे शब्दों में कहा जाए तो शुभेंदु के पिता सांसद शिशिर अधिकारी ही पूरे पूर्व मेदिनीपुर के बेताज बादशाह थे।
खुद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इन दिनों प्रत्येक सभा में स्वीकार कर रही हैं कि पूर्व मेदिनीपुर एक परिवार के कब्जे में था। खुद उन्हें भी पूर्व मेदिनीपुर में घुसने के लिए उस परिवार की इजाजत लेनी पड़ती थी। हालांकि अब ममता बनर्जी उस परिवार के शुभेंदु अधिकारी और शिशिर अधिकारी के खिलाफ गद्दार, मीरजाफर जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रही हैं और यह भी कह रही हैं कि दूध-केला खिला कर जिन सांपों को पाल रखी थीं, उससे पावर अब छीन लिए हैं।
सवाल उठता है कि क्या असल में ऐसा हुआ है? आप अगर पताशपुर से लेकर रामनगर तक और भगवानपुर से लेकर एकरा तक देखें तो पता चल जाएगा कि लोग क्या कहते हैं। लोगों का कहना है उनके लिए सिंबल जरूरी नहीं है। दादा जहां हैं, हम वहीं हैं। चाय की दुकान पर एक ही चर्चा होती कि है लॉकडाउन और भयंकर तूफान के दिनों में दादा यानी शुभेंदु अधिकारी ने ही तो बचाया था। इसका संकेत समझा जा सकता है।
पताशपुर असेंबली क्षेत्र में इस बार उत्तम बारिक को तृणमूल कांग्रेस की ओर से टिकट दिया गया है और यहां के तृणमूल विधायक ज्योतिर्मयी कौर को कांथी दक्षिण भेज दिया गया। बारिक का कहना है कि अधिकारी परिवार यहां का राजा है और लोकतंत्र में राजा की कोई जगह नहीं है। इस बात से ही पता चल जाता है कि वे यह स्वीकार रहे हैं कि अब भी इस लोकसभा क्षेत्र समेत पूरे जिले में अधिकारी घराने का ही दबदबा है। पूरा जिला पहले भी उसी घराने के हाथ में था। ममता बनर्जी कब तक और कहां तक उस घराने से जिला को अपने कब्जे कर पाएंगी, यह देखना दिलचस्प होगा। यानी सीधे शब्दों में कहें तो अधिकारी परिवार पर ही जिले के विधानसभा क्षेत्रों का परिणाम निर्भर करता है। पताशपुर से भाजपा के उम्मीदवार शिक्षक अरूप दास का कहना है कि तृणमूल समर्थक भी भाजपा को ही वोट डालेंगे, क्योंकि दादा है तो संभव है।
एगरा असेंबली क्षेत्र से इस बार भाजपा के उम्मीदवार अनूप कुमार दास हैं। वे पूरी तरह तो दादा के ऊपर निर्भर नहीं हैं, क्योंकि वह यहां के पुराने आरएसएस कार्यकर्ता हैं, लेकिन वह भी यह बात स्वीकार कर रहे हैं कि अधिकारी परिवार के भाजपा संग आने से उनको काफी सुविधा हुई है। इसी असेंबली क्षेत्र के तृणमूल प्रत्याशी तरुण कुमार माइती अपने साथ महिलाओं की भीड़ दिखाते हुए कहते हैं कि नारी शक्ति हमारे साथ है, इसलिए हमारी जीत जरूर होगी, जबकि भाजपा के प्रत्याशियों के साथ पूरा युवा ब्रिगेड देखने को मिल रहा है।