- बिहार विधान परिषद के सभापति हारूण रषीद ने कहा, उर्दू की किताबें और अखबार पढ़कर मुस्लिम समुदाय उर्दू को आगे बढाएं
- मैं पाकिस्तान का रहने वाला हूँ, लेकिन मेरा हिन्दुस्तान से जुड़ाव बहुत पुराना है य पाक में माँ की गोद का, तो हिन्दुस्तान में नाना-नानी की गोद का एहसास मिलता है: फरहत शहजाद
- कार्यक्रम में जुटे सैकड़ों बुद्धिजीवियों ने फरहत शहजाद की शायरी और गजलों का जमकर लुत्फ उठाया, दिल को छू लेने वाली थी उनकी शायरी और गजलें
पटना। पटना में ‘एक शाम फरहत शहजाद के नाम’ का आयोजन किया गया। एडवांटेज ग्रुप के एडवांटेज सपोर्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कई नामी लोगों ने शिरकत की। कार्यक्रम में बिहार विधान परिषद के सभापति हारून रशीद ने मुस्लिम समुदाय से उर्दू की किताबें और अखबार पढ़ने की अपील की और कहा कि जब आप उर्दू की अच्छी तालीम हासिल करेंगे, तभी आप शेरो-शायरी और गजलों के मायने और भाव समझ पायेंगे। उर्दू की पढ़ाई में ही उर्दू की तरक्की शामिल है। वे आज शनिवार 22 जून को खुदा बख्श लाइब्रेरी के पास उर्दू अकादमी के सभागार में एडवांटेज ग्रुप के एडवांटेज सपोर्ट द्वारा आयोजित साहित्य कार्यक्रम ‘एक शाम फरहत शहजाद के नाम’ समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने फरहत शहजाद के शेरो-शायरी और गजलों का बखान करते हुए कहा कि उनकी रचनाओं की जितनी तारीफ की जाये, वह कम पड़ेगी। श्री शहजाद जैसे शायर एक देश में बंध कर नहीं रहना चाहते, तभी तो वे अपने लोगों को अपनी रचनाओं से वाकिफ कराने यहां आते हैं। शायरी और गजलों में कवि के दिल का दर्द और खुशियाँ देखने को मिलती हैं। इस मौके पर उन्होंने फरहत शहजाद की नयी पुस्तक ‘कहना उसे’ का लोकार्पण भी किया।
अमेरिका से आये प्रख्यात लेखक और कवि फरहत शहजाद ने अपनी शायरी और गजल से लोगों को अवगत कराने के पूर्व अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि मैं पाकिस्तान का रहने वाला हूँ, लेकिन मेरा हिन्दुस्तान से जुड़ाव बहुत पुराना है। मैं जब पाकिस्तान जाता हूँ तो वहां मैं अपनी माँ की गोद में रहता हूँ और जब हिन्दुस्तान आते हैं तो नाना-नानी की गोद का एहसास होता है। हम इंसान हैं और हर इंसान को दूसरे इंसान से दोस्त जैसा व्यवहार करना चाहिए। इकट्ठा रहने का मजा ही कुछ और होता है।
उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान मेरे दिल में होता है, लेकिन 1947 से पहले वाला हिन्दुस्तान चाहिए, जहां कोई सरहद नहीं थी। अमेरिका सुपर पावर जरूर है, लेकिन वह देश नहीं है, जबकि भारत-पाकिस्तान देश हैं। मैं आज के अपने संबोधन के मार्फत यह संदेश देना चाहता हूँ कि उर्दू को आगे से आगे ले जाने का प्रयास सदैव करते रहना चाहिए। उन्होंने कई शायरी और गजलें पेश कर इस भागमभाग की दौड़ में लोगों में मानवीय संवेदना पेश की। उन्होंने इस मौके पर एडवांटेज सपोर्ट के सचिव खुर्शीद अहमद के प्रति तहेदिल से शुक्रिया अदा की।
एडवांटेज सपोर्ट के सचिव खुर्शीद अहमद ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में कहा कि हमने फरहत शहजाद को बुलाकर यहां के मुस्लिम बुद्धिजीवियों में साहित्य के प्रति जागरूकता लाने की कोशिश की है, ताकि वे अपने कौम के बीच साक्षरता का अलख जगा सकें। एडवांटेज सपोर्ट साक्षरता के लिए वर्षों से अभियान चला रहा है, जिसमें उसे आशातीत सफलता मिली है। अब मैं चाहता हूँ कि शिक्षित हो गये लोगों के बीच उनका साहित्यक स्तर उठाया जाए। इस कार्यक्रम को कराने के प्रति मेरी मंशा यही रही है।
कार्यक्रम की शुरूआत बिहार के जाने-माने सर्जन डा. ए.ए. हई के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने फरहत शहजाद की कृतियों की तारीफ करते हुए कहा कि पाकिस्तान में पैदा हुए शहजाद का दिल हिन्दुस्तान में धड़कता है, यह हम लोगों के लिए बड़ी बात है।
मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एजाज अली अरशद ने कहा कि फरहत शहजाद और मीर की रचनाओं में काफी साम्यता देखने को मिलती है। इनकी गजलों की तारीफ करते हुए कहा कि ये दिल को छूने वाली होती हैं। मगध विश्वविद्यालय उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष साहित्यकार प्रो. अलीम उल्लाह हाली ने कहा कि फरहत शहजाद की गजलें बड़ी आसानी से दिल में उतरती हैं। ये सरल भाषा में गजलें करते हैं जो आम आदमी भी समझ जाता है। उन्होंने कहा कि गजलों का अर्थ नहीं बताया जा सकता है। इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। इनकी शायरी रूमानी होती है और रूमान पर आधारित होती है।
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इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार फैजान अहमद और उर्दू पत्रकार अनवारूल होदा, गृह विभाग के प्रधान सचिव आमीर सुबहानी, नुरी साहब, पुतुल फाउंडेशन के सचिव मनीष वर्मा एवं अच्छी-खासी तादाद में महिलाएं भी मौजूद थी। समारोह के एंकर डा. शकील मोमिन ने अपने शेरो शायरी से लोगों को खूब गुदगदाया। विश्व में मुशायरा के प्रसिद्ध कवि फरहत शहजाद की गजलों को मेहंदी हसन, गुलाम अली, लता मंगेशकर, जगजीत सिंह जैसे अन्य प्रसिद्ध गायकों ने भी गाया है।
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