पटना। GST करदाता बिना दंड के 30 जून तक टैक्स जमा कर सकेंगे। कोरोना वायरस को लेकर देश में लाकडाउन के मद्देनजर करदाताओं को बड़ी राहत दी गयी है। अब वे 31 मार्च की जगह 30 जून तक बिना किसी विलम्ब शुल्क, दंड के कर का भुगतान व विवरणी दाखिल कर सकेंगे। यह जानकारी बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दी है।
श्री मोदी ने कहा कि 5 करोड़ से कम टर्नओवर वाले करदाता मार्च, अप्रैल और मई का कर भुगतान व विवरणी बिना किसी ब्याज, विलम्ब शुल्क और दंड के 30 जून तक दाखिल कर सकेंगे। बिहार में इसका लाभ कुल GST करदाताओं के करीब 85 प्रतिशत यानी 2.75 लाख लोगों को मिलेगा। वहीं, 5 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले 20 हजार GST करदाता भी मार्च-मई तक के कर का भुगतान 30 जून तक बिना किसी विलम्ब शुल्क व दंड के कर सकेंगे, परंतु उन्हें 18 की जगह 9 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज का भुगतान करना होगा।
कम्पोजिशन स्कीम के तहत निबंधित करदाताओं को जिन्हें अगले वित्तीय वर्ष में इसी स्कीम में रहना है या सामान्य जीएसटी में जाना है के विकल्प चुनने की अवधि को भी 31 मार्च से 30 जून तक विस्तारित कर दिया गया है। ऐसे करदाता भी वर्ष 2019-20 के कर के भुगतान व विवरणी 30 जून तक दाखिल कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त जीएसटी अधिनियम के अन्तर्गत जितनी भी सूचना, अधिसूचना,अपील, विवरणी,आवेदन व अन्य दस्तावेज जिन्हें 20 मार्च से 29 जून तक दाखिल करना था की अवधि 30 जून तक बढ़ा दी गयी है।
बिहार के बाहर फंसे मजदूरों के लिए 100 करोड़ की घोषणा
श्री मोदी ने कहा कि जहां केंद्र सरकार ने गरीबों के लिए 1 लाख 70 हजार करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है, वहीं बिहार सरकार ने दिल्ली और अन्य स्थानों पर फंसे मजदूरों को उनके स्थान पर ही भोजन-आवासन की व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 100 करोड़ रुपये दिये। पूरा शासन तंत्र “कोरोना को मानव के प्रति करुणा” से हराने के प्रधानमंत्री मोदी के मंत्र के अनुरूप काम कर रहा है। लाकडाउन के कठिन दिनों में गरीबों की मदद करना समाजवाद है, लेकिन कांग्रेस इसमें भी पूंजीवाद सूँघ रही है।
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उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद जिन जन-धन खातों का विरोध कर रहे थे, उन्हीं खातों के जरिये 30 करोड़ गरीबों को बिना कमीशनखोरी के सबसिडी और सरकारी सहायता मिल रही है। अब लाकडाउन के दौरान मदद के लिए हर खाते में पांच-पांच सौ रुपये भी आएंगे। जो लोग जेल के भीतर से या बिहार के बाहर से ट्वीट कर रहे हैं, उन्हें गरीबों के साथ खड़ी सरकार के काम दिखाई नहीं पड़ते।
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