पटना। राज्य सरकार की ओर से आरक्षण के तहत प्रमोशन में दिए जा रहे आरक्षण पर अदालत में सुनवाई की दौरान कहा कि इस बीच राज्य सरकार जो भी करे अंतिम फैसला कोर्ट का होगा। इस मामले पर विस्तार से सुनवाई 30 अक्टूबर को की जाएगी। राज्य सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर गाइडलाइन जारी किया है, उसी के तहत प्रमोशन में आरक्षण दिया जा रहा है। पूरा मामला अनुसूचित जाति-जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण से जुड़ा है। राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर प्रमोशन में आरक्षण दे रही है।
2016 में हाईकोर्ट के फैसले के बाद बिहार सरकार को प्रमोशन में आरक्षण बंद करना पड़ा था। इसके बाद 17 मई 2018 और 5 जून 2018 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण के लिए नई गाइडलाइन जारी की थी, जिसके बाद बाद बिहार सरकार ने एक कमेटी का गठन कर दिया था और अब इसी कमेटी की सिफारिशों के आधार पर प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था एक बार फिर से कर दी गई।
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सुप्रीम कोर्ट ने 5 जून को केंद्र सरकार को कानून के तहत कर्मचारियों की निश्चित श्रेणी में प्रमोशन में आरक्षण देने की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण को लेकर मौजूदा आरक्षण व्यवस्था को तब तक बरकरार रखने को कहा था, जब तक संविधान पीठ मामले में अंतिम फैसला न सुना दे।
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बिहार सरकार की ओर से जारी निर्देश के अनुसार, आरक्षित वर्ग के उच्च पदों पर प्रमोशन का वही बेंचमार्क होगा, जो अनारक्षितों के लिए होगा। प्रमोशन के लिए बिहार सरकार ने नौ प्रकार के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
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