भारत-नेपाल की भावनात्मक रिश्तों को सहेजने की हिमायत
- हरेन्द्र शुक्ला
वाराणसी। किसी समय नेपाल की सियासत में मजबूत दखल रखने वाले कोइराला परिवार की बेटी व प्रसिद्ध सिने तारिका मनीषा कोइराला ने रविवार की शाम को यहां भारत और नेपाल के रिश्तों को मजबूती से सहेजने की हिमायत की। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से एक प्राण रहे दोनों देशों के रिश्तों में आई खरोंच की वजह से चीन जैसा विस्तारवादी देश अब नेपाल में अपने पांव पसार रहा है। सुश्री कोइराला वाराणसी के संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो विश्वम्भरनाथ मिश्र के तुलसीघाट स्थित आवास पर उनके पारिवारिक अतिथि के रूप में यहां मौजूद थीं।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्तों की मजबूती के लिए सियासी प्रयासों से ज्यादा जरूरी नागरिक स्तर पर होने वाली कोशिशें हैं। बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ और भगवान पशुपतिनाथ के प्रतिनिधि दोनों देशों के बीच का धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध युगों से अक्षुण्ण रहा है। यही संबंध हमारे भावनात्मक लगाव का सेतु साबित होगा।
भेंट के दौरान आईआईटी बीएचयू के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के अध्यक्ष एवं संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो विश्वम्भरनाथ मिश्र ने दोनों देशों के बीच संबंधों की एकजुटता पर बल दिया। उन्होंने दृष्टांत दिया कि किस तरह काशी में नेपाली खपरा क्षेत्र काशी में नेपाल की नुमांइदगी करता है। सैकड़ों सालों से नेपाल के लोग यहां के जन-जीवन के साथ मोती और माले की तरह एक सूत्र में बंधे रहे हैं।
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उन्होने कहा कि नागरिक स्तर पर दोनों देशों के भावनात्मक संबंध और मजबूत हों, इस दिशा में वे व्यक्तिगत रुप से प्रयास करते रहे हैं और करते रहेंगे। इस अवसर पर गंगा की सेवा को समर्पित “मदर्स फार मदर” की अध्यक्ष श्रीमती आभा मिश्र ने भी मनीषा और उनकी मां श्रीमती सुषमा कोइराला से अनौपचारिक मुलाकात की और और उन्हें बाबा संकटमोचन का प्रसाद भेंट किया।
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सुश्री मनीषा कोइराला ने अपने पिता और नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. गिरजा प्रसाद की गंगा के प्रति आस्था के संस्मरणों को साझा किया। उन्होने मदर्स फार मदर द्वारा गंगा निर्मलीकरण के लिए किये जा रहे प्रयासों को सराहा और पूर्ण सहयोग का विश्वास भी दिलाया।
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