- संजय पाठक
IMF की रिपोर्ट ने भारत के लिए उम्केमीद की किरण जगाई है। वैसे किरण अभी धुंधली है, लेकिन आने वाले समय में भारत विकसित और विकासशील देशों से आगे निकल सकता है। IMF की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत संभावित है, जो विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में सर्वश्रेष्ठ है। वैश्विक महामारी की आपाधापी के बीच विश्व मुद्रा कोष (IMF) ने वैश्विक सकल उत्पादन (Wold GDP) के 2019 के वास्तविक आकंड़े और 2020 तथा 2021 के अनुमानों की रिपोर्ट प्रकाशित कर दी है। हालाँकि इस महीने प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा है कि मई में पुन: प्रकाश्य रिपोर्ट में में ये अनुमान ज्यादा सटीक होंगे।
इस रिपोर्ट में आईएमएफ ने कहा है कि COVID-19 महामारी दुनिया भर में पहले से ही अधिक और बढ़ती मानव लागत की गति को और भड़का रही है। महामारी से बचाव के लिए किये जा रहे आवश्यक सुरक्षा उपाय आर्थिक गतिविधि को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं। महामारी के परिणामस्वरूप वैश्विक अर्थव्यवस्था वृद्धि की गति मे 2020 में 3 प्रतिशत की नकारात्तक वृद्धि के संकेत हैं। यानी -3 %. यह अनुमान 2008–09 के वित्तीय संकट के दौरान की तुलना में बहुत खराब है।
आधारभूत परिदृश्य में जैसा की अनुमान है कि 2020 की दूसरी छमाही में महामारी का प्रकोप कम होगा। इसकी रोकथाम के लिए किये जा रहे प्रयास धीरे-धीरे समाप्त या अत्यंत कम हो जायेंगे। 2021 में वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनः बढ़ने का अनुमान है, क्योंकि आर्थिक गतिविधियां सामान्य हो सकती हैं और नीतियों के क्रियान्यवयन व समर्थन में मदद मिलेगी। हालांकि अधिक गंभीर परिणामों के लिए पर्याप्त जोखिम भी हैं। बदतर परिणामों की संभावना को कम करने के लिए प्रभावी नीतियां अत्यंत आवश्यक हैं और संक्रामक रोगों की रोकथाम व जीवन की रक्षा के लिए किये जा रहे सुरक्षात्मक उपाय दीर्घकालिक मानव-आर्थिक स्वास्थ्य में एक महत्वपूर्ण निवेश हैं।
चूँकि, आर्थिक गिरावट विशिष्ट क्षेत्रों में तीव्र है, अत: नीति निर्माताओं को प्रभावित आबादी और व्यवसायों को घरेलू स्तर पर समर्थन देने के लिए पर्याप्त लक्षित राजकोषीय, मौद्रिक और वित्तीय बाजार उपायों को लागू करने की आवश्यकता होगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बहुपक्षीय सहयोग महामारी के प्रभावों को दूर करने के लिए अत्यंत आवश्यक होगी, जिससे कि आर्थिक रूप से विवश देशों को स्वास्थ्य और धन के दोहरे झटके का सामना करने में मदद करना और कमजोर स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली वाले देशों को सहायता प्रदान करना शामिल है।
आईएमएफ की यह रिपोर्ट रेखांकित करती है कि विश्व आर्थिक आउटपुट में गिरावट का प्रमुख कारण सभी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (Advance Economies) का ध्वस्त होना है।
सबसे बड़ा झटका इटली को लगने वाला है, जिसकी जीडीपी वृद्धि दर -9.1 प्रतिशत अनुमानित है। इसी तरह स्पेन की जीडीपी वृद्धि दर -8.0, फ़्रांस -7.2, जर्मनी -7.0, यूनाइटेड किंगडम -6.5, कनाडा -6.2, यूएसए -5.9, जापान की जीडीपी वृद्धि दर -5.0 प्रतिशत तथा अन्य उन्नत अर्तव्थवस्याओं की -4.6 प्रतिशत अनुमानित है। कुल मिलाकर उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की जीडीपी वृद्धि दर में 6.1 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है।
हालाँकि उभरते बाज़ार एवं विकासशील देशों (Emerging Markets & Developing Nations) की जीडीपी वृद्धि दर में समग्र रूप से सिर्फ 1 प्रतिशत गिरावट संभावित है। इस क्षेत्र की कुछ अर्थव्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावित होने वाली हैं। सबसे ख़राब स्थिति मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, रूस व ब्राज़ील की रहने वाली है, जिनकी जीडीपी वृद्धि दर क्रमश: -6.6, -5.6, -5.5 व -5.3 प्रतिशत अनुमानित है।
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विकसित और विकासशील दोनों ही तरह के अर्थव्यवस्थाओं में सिर्फ भारत और चीन (जीडीपी वृद्धि दर 1.2 प्रतिशत) ही दो बड़ी अर्थव्यवस्थाए जिनकी वृद्धि दर धनात्मक दिखाई गयी है और इस पूरे परिदृश्य में भारत की स्थिति सबसे अच्छी रहने का अनुमान है। आईएमएफ की इस रिपोर्ट के अनुसार भारत की जीडीपी वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत संभावित है, जो कि विकसित और विकासशील दोनों ही तरह के अर्थव्यवस्थाओं में सर्वश्रेष्ठ है। निश्चित रूप से कोविड-19 की महामारी और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में अभूतपूर्व गिरावट के बीच भारत के लिए बड़ी राहत की बात है, आशा की किरण है।
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