JDU के कार्यकर्ता सम्मेलन में कम भीड़ पर RJD हुआ हमलावर

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JDU के कार्यकर्ता सम्मेलन में नीतीश विकास के दावे पर प्रशांत किशोर का ट्वीट
JDU के कार्यकर्ता सम्मेलन में नीतीश विकास के दावे पर प्रशांत किशोर का ट्वीट

पटना : JDU के कार्यकर्ता सम्मेलन में कम भीड़ जुटने से RJD को हमलावर होने का मौका मिल गया है। इधर JDU में भी कम भीड़ से गुस्सा है। इसे पार्टी का गुस्सा कहें या कम भीड़ का जुटना, पर सच यह है कि कार्यकर्ताओं की भीड़ की जितनी उम्मीद पार्टी ने की थी, उसके अनुरूप नहीं लोग नहीं आये। कार्यकर्ताओं की अनुमानित भीड़ के मद्देनजर पार्टी ने खाना बनवाया, लेकिन उसे सड़कों पर फेंकना पड़ा।

आरजेडी की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने जेडीयू पर तंज कसते हुए कहा है कि जेडीयू की जमीन खिसक रही है। कम भीड़ का जुटना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। आरजेडी के ही नेता रामचंद्र पूर्वे का साफ कहना है कि नीतीश कुमार से जनता मोह भंग हो गया है। लालू प्रसाद और राबड़ी के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव का तंज तो और भी तीखा है। उन्होंने कहा- चाचा, गांधी मैदान की जमीन भारी भीड़ के कारण 56 इंच दब गयी। शिवानंद तिवारी ने कहा कि श्रीकृष्ण बाबू से लेकर अब तक बिहार के किसी मुख्यमंत्री की इतनी फ्लाप सभा कभी नहीं हुई।

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इस पूरे प्रकरण में चुनावी रणनीतिकार और हाल ही में जेडीयू से निकाले गये नेता प्रशांत किशोर भी कूद गये हैं। नीतीश कुमार ने कल 15 साल के अपने शासन की तुलना लालू-राबड़ी के शासन काल से की थी। उन्होंने अपनी उपलब्धियों का बखान किया था। प्रशांत किशोर ने नीतीश से पूछा है कि अगर बिहार इतनी तरक्की कर गया तो फिर गरीबी इतनी क्यों है। ट्वीट के जरिये उन्होंने पूछा है कि सुशासन के बावजूद बिहार देश का इतना गरीब और पिछड़ा राज्य क्यों है।

दरअसल राज्यस्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन के लिए लंबे समय से जेडीयू की कवायद चल रही थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता सांसद आरसीपी सिंह ने प्रखंड से प्रमंडल स्तर तक कार्यकर्ता सम्मेलन किये। नीतीश कुमार ने महीना भर जल-जीवन-हरियाली अभियान के बहाने विकास कार्यों की समीक्षा के साथ कार्यकर्ताओं का फीडबैक लिया। फिर राज्यस्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का निर्णय लिया गया और अपने जन्दिन 1 मार्च को राज्यस्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन की तारीख नीतीश ने मुकर्रर की।

इन तमाम उपायों के कारण उम्मीद की जा रही थी कि बड़ी तादाद में कार्यकर्ता आयेंगे। यही वजह रही कि जितने कार्यकर्ताओं के जुटने का अनुमान लगाया गया, खाना का प्रबंध भी उतना ही किया गया। लेकिन लोग नहीं आये और कम भीड़ के कारण खाना सड़क पर फेंक दिया गया।

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जेडीयू ने कम भीड़ की वजह पर सफाई दी कि यह कार्यकर्ता सम्मेलन था, कोई रैली नहीं थी। लेकिन सड़क पर खाना फेंके जाने पर कोई कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। माना जा रहा है कि पार्टी के नेता भारी गुस्से में हैं। प्रसंगवश यह बताना आवश्यक है कि जेडीयू के छह दर्जन विधायक हैं और 16 सांसद। इतने जनप्रधिनिधि भी कार्यकर्ताओं की अपेक्षित भीड़ जुटाने में नाकाम रहे। सदस्यता अभियान चला कर लाखों लोगों को पार्टी ने सदस्य बनाया, लेकिन ये सारी कवायद बेकार चली गयी।

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राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि माइनारिटी वोटों का आधार नीतीश कुमार के पाले से खिसका है। दरअसल एनपीआर, एनआरसी और सीएए पर उनके ढुलुल रवैये के कारण जदयू से माइनारिटी का मोहभंग हो गया है। पारंपरिक तरीके से माइनारिटी तबका आरजेडी के साथ रहा है। बाद में नीतीश ने आरजेडी से उसके बड़े आधार वोट बैंक को अपने पाले में कर लिया। भाजपा से कदमताल करने वाले नीतीश कुमार के सामने मुस्लिम वोटों के जनाधार को बचाये-बनाये रखने की कड़ी चुनौती है। लालू-राबड़ी के जमाने से ही मुसलिम समुदाय आरजेडी का कट्टर समर्थक रहा है। तभी तो एम-वाई समीकरण बना। यानी मुसिलम-यादव समीकरण। लेकिन नीतीश ने पिछले 15 साल में उस जनाधार में सेंधमारी की। येन-केन प्रकारेण मुस्लिम समुदाय को नीतीश ने अपने करीब कर लिया। अब चूंकि नीतीश कुमार भाजपा के कोर एजेंडों- एनपीआर, एनआरसी पर आखिर तक ढुलमुल बने रहे। सीएए का तो जेडीयू ने संसद में ही समर्थन कर दिया। इसलिए उनके माइनारिटी समर्थकों का खिसकना स्वाभाविक है।

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