पटना। जदयू की नेताओं की ओर से हमेशा यह दावा किया जाता रहा है कि बिहार एनडीए के घटक दलों में उसकी भूमिका बड़े भाई की है। संकल्प रैली के दौरान भी कमोबेश जदयू बडी भाई की भूमिका साबित करने के लिए जतन करता दिखा। राजधानी पटना की सड़कों पर पिछले एक सप्ताह से चला आ रहा होर्डिंग-पोस्टर वार इसी की बानगी थी। रैली को लेकर जदयू और भाजपा कार्यर्तायों में अधिक पोस्टर टांग देने को होड रही। रैली के दौरान भी जदयू ने खुद को बड़ा भाई साबित करने के लिए तमाम तामझाम किया। भीड़ के दौरान सर्वाधिक झंडे जदयू समर्थकों के हाथों में दिखे। संकल्प रैली के दौरान जदयू नेताओं की ओर से अंदरखाने यह कोशिश की गई कि उनके सर्मथकों की संख्या भाजपा के मुकाबले कमतर न साबित हो।
इसी का नतीजा रहा कि प्रचार-प्रसार और अलग अंदाज पेश करने में महारथ हासिल करने वाली भाजपा को उसी के क्षेत्र में पछाड़ने के लिए जदयू ने पहली बार हाई टेक तरीका अपनाया। राजधानी में बिजली के खंभों पर तीर के निशान वाले हरे रंग के झंडे एनडीए के घटक दलों के झंडों में ऊंचा सबित हुए।
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संकल्प रैली के दौरान जदयू नेताओं की ओर से अंदरखाने यह कोशिश की गई कि उनके सर्मथकों की संख्या भाजपा के मुकाबले कमतर न साबित हो। साथ ही उनके समर्थक अपने अलग अंदाज की वजह से पहचान में आयें। रैली में आने वाले जदयू समर्थकों के हाथ में झंडा दिखा तो वहीं उनके सिर पर तीर निशान वाली टोपी भी शोभयमान रही। झंडे और टोपी के मामले में सड़कों पर भाजपा की भगवा टोपी के मुकाबले जदयू आगे रहा। जदयू नेताओं की ओर से अपने समर्थेकों के उत्साहवर्द्धन के लिए ढोल-नगाड़ों की भी व्यवस्था की गई थी।
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मोदी-मोदी के नारे के बीच गांधी मैदान की ओर कूच करते हुजूम में नीतीश कुमार जिंदाबाद का नारा भी खूब गूंज रहा था। जदयू कार्यकर्ता प्रशिक्षित अंदाज में नीतीश कुमार का नारा बुलंद कर रहे थे। एक ओर जहां नरेंद्र मोदी को लेकर युवाओं में जोश दिखा तो दूसरी ओर महिलाओं में नीतीश कुमार को लेकर उत्साह रहा। रैली स्थल की ओर कूच करती भीड़ में यह अनुमान लगाना मुश्किल था कि लोगों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ज्यादा उत्साह है या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिये।
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