पटना। जदयू की कार्यकारिणी की बैठक के दिन नीतीश कुमार ने बताया था कि सीटों का बंटवारा हो चुका है, समय आने पर इसकी घोषणा भी कर दी जायेगी। तब से ये कयास लग रहे हैं कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा। खासकर जदयू की सीटों के बारे में जानने की उत्सुकता खुद उनके दल के लोगों को जितनी है, उससे कम महागठबंधन के लोगों को भी बेचैनी नहीं। नीतीश के पहले बिहार प्रदेश जदयू के अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य वशिष्ठ नारायण सिंह ने भी साफ कहा था कि सीटों के बंटवारे पर भाजपा से कोई विवाद नहीं है। बंटवारा भी हो चुका है। समय पर ऐलान कर दिया जायेगा।
सूत्र बताते हैं कि जिस फार्मूले पर बंटवारे को अंतिम रूप तकरीबन दिया जा चुका है, उसके मुताबिक भाजपा पिछले चुनाव में जीती 22 सीटों के मुकाबले 20 सीटों से काम चलायेगी और बाकी 20 सीटें साथियों के लिए छोड़ेगी। उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा (दोनों गुट) को 2 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है और राम विलास पासवान की लोजपा को 4 से ही काम चलाना पड़ सकता है। साथियों में सर्वाधिक 14 सीटें जदयू को मिलेंगी।
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इस बंटवारे की रणनीति यह बतायी जा रही है कि विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार बिहार एनडीए के बड़े भाई होंगे और लोकसभा में साफ तौर पर नरेंद्र मोदी ही एनडीए का चेहरा बनेंगे।
उपेंद्र कुशवाहा की हाल के दिनों की ढुलमुल नीति से भाजपा सशंकित है, इसलिए यह मान कर उन्हें 2 सीटें दी जा रही हैं कि वे साथ रहें तो भला और साथ छोड़ भी दें तो कोई फर्क नहीं। इसलिए कि तब उनके कोटे की 2 सीटें रामविलास पासवान को मिल जायेंगी।
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भाजपा का साफ मानना है कि अपने दम पर पिछले चुनाव में उसने 40 फीसद वोट हासिल किये थे। अगर इसमें छीजन भी हुआ तो सहयोगी दलों की ताकत से वह अपने पुराने वोट प्रतिशत को हासिल करने में कामयाब हो जायेगी।
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महागठबंधन के लोगों को सीट शेयरिंग जानने की बेचैनी इस बात को लेकर है कि उनकी टकटकी उपेंद्र कुशवाहा को लेकर है। महागठबंधन का मानना है कि अगर उन्हें उपेक्षित किया गया तो वे बाध्य होकर महागठबंधन में आयेंगे और तब जातीय समीकरण महागठबंधन का मजबूत हो जायेगा। मसलन 16-17 फीसद मुसलमान, तकरीबन इतने ही यादव वोटों के साथ जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के प्रभाव से 10 प्रतिशत और वोटों का जुगाड़ बन जायेगा। यानी 40-45 प्रतिशत वोट उसके खाते में आयेंगे। यह अलग बात है कि जिस तरह जांच एजेंसियों की गिरफ्त में लालू कुनबा फंसा है, उसमें भविष्य में महागठबंधन के नायक राजद में कितनी एका रह पायेगी, फिलहाल कह पाना मुश्किल है।
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