रांची। मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहा कि राज्य सरकार कुल बजट की 42 प्रतिशत राशि आदिवासियों के विकास पर खर्च कर रही है। साथ ही, अनुसूचित जाति के विकास के लिए काफी काम किया जा रहा है। ये दोनों समाज अभी भी काफी पीछे हैं, इन्हें आगे लाने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। उक्त बातें मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने मांडर में आयोजित मुड़मा जतरा मेले के उदघाटन के बाद कहीं।
मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहा कि मुड़मा जतरा मेला मेरे लिए शक्ति का केंद्र है। इस केंद्र से आशीर्वाद लेने आया हूं, ताकि झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता की जिंदगी में खुशहाली आए। हर गरीब के जीवन में बदलाव आए। हर आदिवासी शोषित, वंचित समाज के जीवन में बदलाव आए। हमारी सरकार की नीतियों के कारण झारखंड विकास के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है। इस विकास की गति को आने वाले समय में हमें और तीव्र करना है। जतरा हो, मेला हो, हाट हो या हटिया हो, ये झारखंडवासियों के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन का महत्वपूर्ण स्थान है।
मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहा कि मेला में मिलने-जुलने का एक साधन होता है और मेला में सामान खरीदारी का भी एक अवसर प्राप्त होता है। मेला के माध्यम से जो हमारे गरीब दुकानदार या हमारी स्वयं सहायता की बहनें अपने हाथ से बने उत्पादों प्रदर्शित करती हैं। उन्हें रोजगार और अपनी आय की वृद्धि का एक बहुत बड़ा साधन उपलब्ध होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष इस मुड़मा मेले को महोत्सव का दर्जा देने का वायदा किया था। इसका पालन करते हुए न सिर्फ मुड़मा मेले को बल्कि बोकारो के लुगुबुरु मेले को भी राजकीय सम्मान देने का काम किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने तय किया है कि हर आदिवासी गांव में अखाड़ा बनाया जाये, ताकि हमारे आदिवासी भाई बहनों संस्कृति की पहचान बनी रहे। उसी तरह सरना, मसना धुमकुरिया जैसे सांस्कृतिक केंद्रों को भी हमारी सरकार विकसित कर रही है। नगाड़ा और मांदर की थाप कभी रुकनी नहीं चाहिए।
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