पटना। लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष व सांसद चिराग पासवान पर पार्टी की पूरी जिम्मेदारी है। लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान साफ कर दिया है कि सभी निर्णय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष सांसद व उनके पुत्र चिराग पासवान ही लेंगे। चिराग पासवान इन दिनों दोहरी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। एक तरफ जहां पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए वे प्रयासरत हैं, तो दूसरी तरफ परिवार को एकजुट रखने की भी बड़ी जिम्मेदारी उन पर आ पड़ी है। परिवारवाद की पार्टी के साथ साथ मौसम वैज्ञानिक होने मुहर लगी लोजपा में पारिवारिक निर्णय लेने में ही माथापच्ची जारी है।
लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ने डंके की चोट पर एलान कर रखा है कि वह हर हालत में जमुई से ही चुनाव लड़ेंगे, लेकिन चिराग पासवान अपने पिता लोजपा सुप्रीमो श्री राम विलास पासवान के संसदीय सीट हाजीपुर को लेकर अभी तक कुछ भी खुलासा नहीं कर पाए हैं। खुलासा तो परिवार की तीसरी सीट समस्तीपुर लोकसभा सीट पर भी नहीं हुई है, जहां से चिराग पासवान के चाचा रामचंद्र पासवान सांसद हैं। हालांकि समस्तीपुर सीट से रामचंद्र पासवान एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके हैं। उनके नाम की औपचारिक घोषणा होनी बाकी है।
हाजीपुर सीट पर अटकलों का बाजार गर्म है। लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ने इस बार लोकसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा करते हुए राज्यसभा जाने की इच्छा जताई है। लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ने लगभग 2 माह पहले ही चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी थी। तभी से हाजीपुर सीट पर परिवार के किसी सदस्य को लड़ाये जाने की चर्चा होने लगी। कभी राम विलास पासवान की धर्मपत्नी और चिराग पासवान की माता रीना पासवान के चुनावी अखाड़े में उतरने की चर्चा हुई तो कभी लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष और बिहार सरकार के मंत्री तथा चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस के प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा तेज हुई।
अब चर्चा होने लगी कि हाजीपुर से चुनावी मैदान में सांसद रामचंद्र पासवान के पुत्र प्रिंस पासवान को टिकट दिया जाएगा। जिस तरह से पिछली दफा पहली बार में ही जमुई सीट से चिराग पासवान भारी मतों से विजयी हुए थे, उसी तरह हाजीपुर में अपनी विरासत को लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान अपने भतीजे प्रिंस पासवान को दे सकते हैं। क्योंकि परिवार में रामचंद्र पासवान सांसद हैं तो पशुपति पारस बिहार सरकार के मंत्री, लेकिन चिराग पासवान के द्वारा अभी तक हाजीपुर की सीट को लेकर कोई निर्णय नहीं सुनाया गया है।
लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान यह अवश्य कहते हैं कि सभी निर्णय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष सांसद व उनके पुत्र चिराग पासवान ही लेंगे। फिर परिवारिक निर्णय लेने में 2 माह से भी अधिक समय लगना चर्चा का विषय बना हुआ है। एक को मनाओ तो दूजा रूठ जाता है, जैसी पारिवारिक बातों की चर्चा भी है। पिछले पखवाड़े जिस तरह से लोजपा सुप्रीमो केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने हाजीपुर में 4 दिनों के सरकारी कार्यक्रमों में पूरी सक्रियता से भाग लिया और पत्रकारों के द्वारा पूछे गए सवाल पर यह भी उद्गार व्यक्त किया कि उनके चुनाव लड़ने का निर्णय पार्टी संसदीय बोर्ड लेगा। इस तरह से श्री पासवान ने यह भी संकेत दे दिया है कि यदि पुत्र चिराग पासवान की मर्जी होगी तो न चाहते हुए भी हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
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दूसरी तरफ राजनीतिक पंडितों का कहना है कि भाजपा बिहार की सभी सीटों पर मंथन कर रही है और सिर्फ जिताऊ प्रत्याशी को ही चुनावी अखाड़े में उतारना चाहती है। चाहे वह अपनी पार्टी के हों या जदयू और लोजपा के। यही कारण है कि भाजपा चाहती है कि हाजीपुर सीट पर एक बार फिर लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ही चुनावी मैदान में उतरें और जीत पूरी तरह से सुनिश्चित रहे। हाजीपुर से प्रत्याशी के नाम पर मुहर न लगना लोजपा कार्यकर्ताओं के लिए भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
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