हाजीपुर। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने भले ही अभी तक लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी नहीं की है, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के बयानों पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया लोजपा की ही आ रही है। लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। मामला सीटों का है। रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा एनडीए छोड़ते हैं तो लोजपा की लार उनके कोटे की दो सीटों पर है।
उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक चाल ने बिहार में भूचाल खड़ा कर रख दिया है। भले ही उपेंद्र कुशवाहा का साथ उनके अपने ही सांसद और विधायक नहीं दे रहे हैं, बावजूद इसके उपेंद्र कुशवाहा ने अपने समर्थकों के बलबूते मोर्चा संभाला है। लगातार जनता दल यू और विशेष रूप से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उन्होंने निशाने पर रखा है। कुशवाहा ने उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के खिलाफ भी विगत कई दिनों से मोर्चा खोल रखा है। कुशवाहा की बयानबाजी का सीधा असर लोजपा पर पड़ता दिख रहा है।
उपेंद्र कुशवाहा ने कभी भी लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के खिलाफ किसी भी तरह की बयानबाजी नहीं की है, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के प्रति लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान की कड़ी प्रतिक्रियाएं लगातार आ रही हैं। रालोसपा सुप्रीमो कुशवाहा के बयानों और कार्यक्रमों को लेकर भले ही भाजपा और जनता दल यू के प्रवक्ताओं ने मोर्चा संभाल रखा है, लेकिन इन दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व द्वारा किसी भी प्रकार की टिप्पणी नहीं की गई है। दूसरी तरफ लोजपा का शीर्ष नेतृत्व लगातार उपेंद्र कुशवाहा पर बयानबाजी कर रहा है। इसके पीछे बड़ा कारण सीटों का बंटवारा है।
लगभग 1 माह पहले दिल्ली में जब बिहार भाजपा के प्रभारी भूपेंद्र यादव लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के घर जाकर मिले तो चिराग ने कहा था कि बहुत ही सफल वार्ता रही। उसी दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ वार्ता हुई और दोनों ने संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता कर बताया कि बराबर-बराबर सीटों पर सहमति बन गई है और घोषणा 1 से 2 दिनों में हो जाएगी। बताया जाता है कि इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के अनुरोध के बावजूद उपेंद्र कुशवाहा बिहार में कार्यक्रमों का हवाला देकर दिल्ली नहीं गए और बैठक में शामिल नहीं हुए। मामला यहीं से अंटकना शुरू हुआ और आज तक सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया।
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बताया जाता है कि रालोसपा को जो सीटें मिलनी थीं, अब वह लोजपा के खाते में जा सकती हैं। रालोसपा एनडीए में रहती तो उसे 2 सीटें निश्चित रूप से मिलनी थीं। तब लोजपा को सिर्फ 4 सीटें मिलती थीं। रालोसपा के एनडीए से बाहर होने की स्थिति में लोजपा को 6 सीटें मिलने की पूरी उम्मीद है। यही कारण है कि लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान चाहते थे कि उपेंद्र कुशवाहा जल्द ही कोई निर्णय लें।
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