लड़िका मालिक, बूढ़ दीवान ममिला बिगड़े सांझ विहान। ई कहाउत त रउरा सुनलहीं होखेब मलिकार। मलिकाइन एही से पाती शुरू कइले बाड़ी। पाती में आगे लिखले बाड़ी- रउरा त जानते बानी मलिकार, हमार बड़की माई किस्सा-कहाउत के मास्टर रहली। ओह घरी ना बुझाव उनकर ई कुल बात, बाकिर अब बुझाता कि केतना गूढ़ माने-मतलब के बतकही ऊ करस।
काल्ह पांड़े बाबा जब दुआर पर जुटल लोग के ई सुनावत रहवीं त हमरा कान में पड़ुवे। हम दोगहा में बइठल नन्हकी के मूड़ी में ओ बेरा ढील हेरत रहवीं। ई सुनते कान खड़ा हो गउवे। केतना दिन बाद ई कहाउत सुने के मिलल रहुए। तनी धेयान से बतकही सुनवीं, तब समझ में अउवे कि केकरा बारे में उहां के ई कहनी हां।
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बात लालू जी के लाल लोग के होत रहुवे। लालू के जेल में रहला पर उनकर औलाद लोग अपना पाटी के मालिक बन गइल बा लोग। देवान साहेब कवनो तिवारी बाबा आ रघु बाबू के उहां के बतावत रहवीं। उहां के कहवीं कि अइसन चानस एकनी के मिलल रहल हा अबकी, बाकी कई गो बे पेनी वाला नेता के लालू के एक जना लड़िका भेड़िया जुटान क के सीट के परसादी बांट दिहले। अइसन नेतवन के अपनहीं जीतल मुसकिल बा।
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उहां के कहवीं कि खाली हाथ छाप आ ललटेन छाप आपस में मिल के लड़ित त लड़ाई बढ़िया होइत। पहिलका गलती त ई कइले सन कि वोट होखे के दू-चार दिन पहिले सीट फरियवले सन। दोसरका गलती ई बतावत रहवीं कि जवना पाटी के केहू पुछवइया नइखे, ओकनी के परसादी नीयर पांच-पांच गो सीट दे दिहले सन। ऊ लगले सन टिकट बेचे। एगो कवन दूना हाथ छाप वाला नेता के नाम उहां के धरत रहवीं, जवना के बेटा एही गिरोह के दोसरा पाटी से चुनाव लड़त बा। ई गड़बड़ी त रहबे कइल हा, ऊपर से लालू के बड़कू बेटा अलगे टिकट बांटे लगले। उहां के त इहो कहत रहवीं कि टिकट खातिर ऊ कई जाना से पइसा ले लिहले रहल हा।
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उहां के कहनाम रहुवे कि ई सगरी गड़बड़ी लालू के ना रहला से लड़िकन के मलिकई मिलला से भइल बा। लालू सगरी टेंट-घेंट जानत-समझत रहले हां। केकरा के हड़कावे के बा आ केकरा के दुलारे भा लतियावे के बा। जवन नीतीश बाबू उनका फूटलो आंख ना सुहात रहले, लालू जी समय के फेर-चाल समझ के उनकरा संगे गांठ बान्ह लिहले आ पटना वाला वोट में ऊ लोग फूल छाप वाला लोग के पानी पिया दिहले रहे। कवन दूना एगो किताब के बात पांड़े बाबा बतावत रहवीं कि ओइमे लिखल बा कि फेर नीतीश बाबू उनकरा से संगे आवे खातिर पांच बेर कोशिश कइले, बाकिर नवछेड़िहा मालिक बनल उनकर बेटा लोग ना तेयार भइल।
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पांड़े बाबा नीतीश बाबू के खूबे सराहत रहवीं। कहत रहवीं कि आज बिहार के रंगे बदल गइल बा। दुआरी तक डामर भा सीमिट (सीमेंट के मलिकाइन सीमिट लिखले बाड़ी) के सड़क केहू कबो सोचले रहे। नल के पानी त सपनो में केहू ना सोचले रहे। जवन बवल (बल्व) बीस घंटा बुताइल रहत रहे आ चार घंटा खाली ओकर फिलमेट (फिलामेंट) खाली लाल होखे, उहां दिन-रात अंजोर रहत बा। लोग अब अपना घर में ठंडा करे वाला मशीन (एसी) लगवा लेले बा। सभे चैन से सुतत बा।
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आह रे बलिया, हम त ई कुल बतकही लिखवावे में अइसन अझुरा गइनी कि रउवा के पांव लागल ले भुला गइनी। आंचर से दूनो हाथ जोड़ के माफी मांगत बानी मलिकार। भूल-चूक माफ करेब। हमार पांवलगी कबूल करेब। गर्मी बढ़ गइल बा। बइसाख में ई हाल बा त जेठ में का होई, अबे बुझाये लागत बा। अपना दुआर पर पकड़ी के पेड़ रहल हा त भर दिन लोग गरमी में लोग ओइजा डेरा जमवले रहत रहल हा। गाछ-बिरिछ लोग कटववले जाता, आ ठंडा खातिर ठंडा करे वाला मशीन लगवा लेता। एक दिन आपन नन्हका कवनो किताब में पढ़ के बतावत रहे कि गाछ कटइला से कबो खूब गरमी त कबो कुबेरा बाढ़-बरखा के खतरा रहेला। अबकी रउआ आईं त एगो नीमन बगइचा लगवा दीं। हमनी के ओकर फल खाये खातिर ओह बेरा ले भले ना रहेब सन, बाकिर पाबलिक त खाई। हवा-बेयार त बढ़ी। नन्हके बतावत रहे कि पीपर के गाछ चौबीसो घंटा सांस लेबे खातिर कवन गैस छोड़ेला। मूअतो आदमी त ओइजा चल जाव त कुछ देर जिंदा रह जाई। चलीं, ई कुल त बाद के बात बा, गरमी में आपन धेयान राखेब। बेल मिले त ओकर शरबत रोज पीयेब। बूंट के सतुआ गरमी भर घरे राखेब। ओकर घोर बना के रोज पीयल करेब। कांच पियाज रोज खाइल करेब। बाकी अगिला पाती में।
राउर, मलिकाइन
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