पावं लागीं मलिकार। एने तनी अझुरा गइनी हां मलिकार, लड़िकन के बर-बेमारी में, एही से टाइम पर पाती ना लिखवा पवनी। अब नन्हका ठीक बाड़े सन, बाकिर हमही दू-तीन दिन से सरदिया गइल बानी। तुलसी जी के पतई आ गोलमरिच के काढ़ा बना के पीये के पांड़े बाबा कहवीं, त आज से उहे शुरू कइले बानी। तनी आराम बा, बाकिर कपार अबहियो भारी लागत बा। एही में खोंखीयो बा। ओकरा खातिर पांड़े बाबा कहवीं कि बाजार से सांझ खान शीतोपलाद चूरन ले आ देब। मध त माई भेजववले रहली, ऊ अबहीं परले बा। उहां के कहवीं कि दूनो मिला के एकहे चम्मच तीन बेर चाटे के बा। देखीं, काल्ह ले उमेद बा ठीक हो जाई। हमरा माई के इया सरदी-खांसी में इहे दवइया खास। चलीं जिनिगी बा त ई कुल लागले रही। ए मलिकार, कई दिन से पांड़े बाबा एगो खबर सुनावत बानी। उहां के बतावत रहवीं कि गुजरात में कमाये अपना इहां से जे लोग गइल बा, ओह लोगन के गुजरतिया मार-पीट के भगावे पर लागल बाड़े सन। अइसन कई जगहा से कई बेर सुने के मिलल बा। कबो आसाम में बिहारी लोग पिटाला त कबो बंबई में। अब गुजरात में पिटाई शुरू भइल बा। काहें अइसन होला मलिकार। खाली बिहारिये हर जगहा काहें पिटाले।
रउरा संगे त हम आसाम, बंगाला घूमल-रहल बानी। हमनी के संगे केहू के खराब बरताव त कबो ना रहल। रउरा इयाद होई मलिकार, नन्हका के पेट दुखात रहे त आसामी ददवा ओकरे के कोरा में लेके अस्पताल पैदले भागल रहे। बउदियो हमरा संगे अस्पताल गइल रहली। बंगाला रहनी सन त बाड़ी वाली काकी मां के बेटिया कबो हमनी के अपना से अलहदा ना बूझे। बियहल बेटी जब बाहर से घरे आवे त अपना लड़िकवन खातिर कुछ ना कुछ लेके जरूर आवे। हमनी से केहू कबो तनिको टेढ़ ना बोलल। जब-जब ई सुनीले कि फलनवां जगहा बिहारी पिटाइल बाड़े त समझे में ना आवेला कि अइसन ओह लोगन के साथ काहें होला।
एगो कहाउत कहल जाला मलिकार थपड़ी एक हाथ से ना बाजे। जरूर दोस अपना बिहारी लोग में बा। यूपी वाला लोग के केहू यूपी वाला ना कहे। सब जगहा के लोग कहीं ना कहीं बड़ले बा। ओकरा देस के हिसाब से केहू नाम ना राखे। खाली बिहार के लोग के बिहारी कहल जाला आ बड़ा खराब ढंग से। केहू बिहारी कहेला त सुन के बुझाला कि गारी देत बा लोग। रहन-सहन ठीक ना रहला के वजह से अइसन होला, हमरा त इहे बुझाता। पांड़े बाबा बतावत रहवीं कि गुजरात में अपना इहां के कवनो मनबढ़ू डेढ़ साल के लड़िकी के संगे कुकरम कइलस आ ओकरा बादे से मार-पिटाई शुरू भइल। ई ठीक बा कि ऊ गलती कइलस। ओकरा के फांसी पर चढ़ा दिहला पर खुश होखे के चाहीं। बाकिर सब बिहारी अइसने ना नू होइहें मलिकार। अपने इहां देखीं ना, सरदार जी के केतना बड़हन बिजनेस बा। मारवाड़ी, गुजराती, बंगाली ले रोजी-रोटी खातिर आइल बा लोग इहवां। केहू ओह लोगन से नफरत करेला का। ई मुलुक आपन ह। केहू कतहीं जाके कमा-खा-रह सकेला। फेर एतना लफड़ा बिहारी लोग के संगे काहें होता।
सुनी ले मोदी जी गुजरात के हवन। शाह जी ओही जा के हवन। बोले में त एतना मीठ बोलेला लोग कि बुझाला कि मिसिरी टपकत बा। ओही लोग के राज में अइसन होता आ ऊ लोग कुछऊ नइखे बोलत। सुने में आइल कि अपना इहां वाला मोदी जी ओइजा के मुखमंतरी से बतियअवले बाड़े। केहू जनाना ओइजा के मुखमंतरी बाड़ी, पांड़े बाबा का दून नाम पढ़ के बतावत रहवीं। ऊ कहले बाड़ी कि पुलिस नजर रखले बिया। कवनो कांगरेसी नेता के नाम आवत बा एह लफड़ा में।
हम त कहेब मलिकार कि अपना घर में लात खाइल ठीक, बाकिर दोसरा जगहा जाके सतावल गइल ठीक ना। नून-रोटी खा के अपना इहां अपने काम करे के चाहीं। गाय-गोरू पोसे खातिर सरकार पइसा देत बिया। ओइमे आधा-तिया त सरकार माफ क देले। काहें ना लोग गाय-गोरू पोस के दूध-दही के धंधा करत बा।
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नवरातन शुरू होता मलिकार। काल्ह से नौ दिन हमरा भूखे के बा। एह से पाती लिखवावे-पठावे के टाइम ना मिली। रउरो तनी कवनो मंदिर में जाके माथा टेक आयेब।
राउरे, मलिकाइन