ममता बनर्जी को महल नहीं, अपना खपड़ैल घर ही पसंद है

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बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

ममता बनर्जी को महल नहीं, अपना टाली बाड़ी (खपड़ैल मकान) ही पसंद है। दो बार केंद्रीय मंत्री और दो बार से बंगाल की वह मुख्यमंत्री हैं। तल्ख तेवर, कड़ी बातें और अड़ियल रुख के लिए उनकी आलोचना हो सकती है, पर सादगी की मिसाल उन्होंने अब भी कायम रखी है। निम्न मध्यवर्गीय परिवार में जन्मी ममता बनर्जी का कालीघाट में एक छोटा सा मकान है खपड़े की छत वाला। केंद्र में मंत्री रहने या राज्य की मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने अपना वह घर नहीं छोड़ा। हमेशा उनका आवासीय कार्यालय वही टाली बाड़ी रहा।

ममता का पैत्रिक टाली बाड़ी
ममता का पैत्रिक टाली बाड़ी

तकरीबन साढ़े तीन दशक तक बंगाल में वाम दलों के शासन का अकेले अपने दम पर अंत कराने का श्रेय ममता को जाता है। तमाम विरोध और अवरोदों को पार करती हुईं वह लगातार दूसरी बार बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं। अपने विरोधियों को नेस्तनाबूद कर दिया। अब उनका सामना देश में सब जगह छा जाने की मंशा रखनेवाली भाजपा से है। उनकी कड़ी और तीखी बातों की भले आलोचना की जाए, लेकिन उनकी सादगी पर कोई सवाल खड़ा नहीं होता।

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ममता बनर्जी दो बार केंद्रीय मंत्री रहीं। अपनी तुनुकमिजाजी से उनका गठबंधन में किसी से नहीं निभा। फिर उन्होंने बंगाल की राजनीति को अपना केंद्र बनाया। वह दूसरी बार सीएम का पद संभाल रही हैं। इसके बावजूद ममता की सादगी में कोई फर्क नहीं आया। वह उसी मकान में आज भी रहती हैं, जहां उनका बचपन बीता। उन्हें कभी किसी महल अटारी की आवश्यकता महसूस नहीं हुई। सरकारी स्तर पर मिलने वाला बंगला भी उन्होंने नहीं लिया।

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उनके जीवन पर गौर करें तो उनकी सादगी का कोई जवाब नहीं। देश में अग्नि कन्या और बंगाल में दीदी के नाम से मशहूर अपने राजनीतिक कैरियर के लिए दुनिया में वह जानी जाती हैं। निम्न मध्यवर्ग के परिवार में जन्म लेने के बावजूद और आज ऊंचे ओहदे पर रहने के बावजूद उनका अपने कालीघाट के उस छोटे से मकान से मोह भंग नहीं हुआ है। खपड़े की छत वाला मकान है। केंद्र में मंत्री या राज्य की मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने अपना घर नहीं छोड़ा। सचिवालय भवन के अलावा अपने टालीबाड़ी को ही उन्होंने आवासीय कार्यालय बनाया।

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सफेद तांत की रंगीन पाट्टीदार साड़ी हमेशा बनती हैं। किसी तरह का गहना या श्रृंगार उन्हें पसंद नहीं। केंद्र में मंत्री रहीं और अभी मुख्यमंत्री हैं, पर पैरों में हमेशा हवाई चप्पल ही पहनती हैं। हवाई चप्पल में वह संसद भवन भी जाती थीं। खानपान में बेहद सादगी। मूढ़ी और बादाम खाने में खास पसंद है उन्हें। पेंटिंग व कविता लेखन में रुचि है। कपड़े का झोला हमेशा उनके साथ रहता है।

बंगाल में 34 साल की वाम शासन का उन्होंने अगर अंत किया तो इस जीत के पीछे उनकी सहज सरल जीवन शैली की अहम भूमिका रही। अभी तक उनके दामन पर घोटाले या भ्रष्टाचार का दाग नहीं लगा है। यह अलग बात है कि उनके दल या उनकी सरकार में कुछ लोग ऐसे रहे, जो केंद्रीय एजेंसियों की जांच के दायरे में हैं। पर, वह खुद बेदाग रहीं। ममता के पास भी न अपनी कार है और न बंगला। कोई जमीन भी नहीं है। जब वह मुख्यमंत्री बनी थीं, उनके पास 24810 रुपए के गहने थे। यह आंकड़ा 2010-11 का है। तब उनकी कुल संपत्ति 454,608 रुपए थी।

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