बिहार में NDA टूट के मुहाने पर, BJP-JDU की जुदा हो सकती है राह !

0
255
पटना में लोकनायक जयप्रकाश की जयंती पर माल्यार्पण करते बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी
पटना में लोकनायक जयप्रकाश की जयंती पर माल्यार्पण करते बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी

पटना। बिहार में NDA टूट के मुहाने पर खड़ा है। अगले विधानसभा चुनाव के पहले ही BJP और JDU की राहें जुदा हो जाएं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। नीतीश कुमार के नेतृत्व पर भाजपा नेता पहले से ही सवाल उठा रहे हैं। इसमें पलीता का काम किया है बारिश के पानी ने, जिसने तकरीबन 10 दिनों तक जलभराव के कारण पटना के लोगों की जिंदगी को नर्क बना दिया।

जलभराव से तबाह पटना के लोगों की पीड़ा में शरीक होने के बहाने भाजपा ने अपने विजयादशमी पर होने वाले रावण दहन कार्यक्रम का बायकाट कर दिया। भाजपा को जलभराव से जितनी कोफ्त हुई है, उससे अधिक गुस्सा इस बात पर है कि समस्या की जड़ में सरकारी अफसर हैं। नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने गुरुवार को घोषणा की थी कि जलजमाव की वजहों की पड़ताल के तीन सदस्यों की कमेटी बनायी गयी है। शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने उनके बयान पर यह कह कर पानी फेर दिया कि कमेटी बनाने की बात महज अफवाह है।

- Advertisement -

जलभराव की परेशानी तो महज बहाना है, सच्चाई यह है कि भाजपा नीतीश से किनारा करने की योजना पर काम कर रही है। भाजपा नीतीश को एनडीए का भरोसेमंद साथी नहीं मान रही। इसलिए कि वे उसकी नीतियों और कामों पर समय-समय पर सवाल उठाते रहे हैं। दूसरा गुस्सा यह है कि उन्होंने लोकसभा में भाजपा को मोल-तोल पर मजबूर कर दिया था। तीसरी और ताजा वजह यह कि रावण दहन कार्यक्रम में सुशील मोदी की गैरमौजूदगी में नीतीश ने उनके लिए लगी कुर्सी पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा को बिठाया।

बिहार की राजनीति में एक और नयी बात इन दिनों देखने को मिल रही है। आरजेडी के बड़े नेताओं के निशाने पर सिर्फ नीतीश कुमार हैं। भाजपा के खिलाफ बोलने में अब राजद का कोई कद्दावर नेता रुचि नहीं लेता। ताजा घटनाक्रमों में भी राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव नीतीश की खिल्ली उड़ा रहे, लेकिन भाजपा के खिलाफ बोलने से परहेज कर रहे हैं। लगता है बिहार में फिर कोई सियासी खिचड़ी पक रही है, जो हर दल को पता है, लेकिन कोई खुल कर किसी गोलबंदी का जिक्र नहीं कर रहा।

भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि नीतीश के खिलाफ भाजपा के नेता असहयोग का तेवर आने वाले दिनों में और तेज करेंगे। उनकी मंशा है कि उन्हें उबा दिया जाये कि वे खुद ब खुद किनारे हो जाएं। अगर ऐसा होता है तो नीतीश के सामने फिलवक्त एक ही रास्ता बचा है कि वे कांग्रेस का चुनाव करें। इसका ट्रेलर नीतीश ने रावण दहन के दिन बगल में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को बिठा कर दिखा दिया है।

यह भी पढ़ेंः बिहार में भाजपा से जदयू निभायेगा दोस्ती, झारखंड में लड़ेगा कुश्ती

महागठबंधन में राजद को छोड़ तकरीबन सभी घटक दल कभी न कभी भाजपा के साथ एनडीए का हिस्सा रहे हैं। राजद जिस तरह रुख अपनाये हुए है, उससे संकेत मिलता है कि वह भी भाजपा के साथ जाने में परहेज नहीं करेगा। इससे राजद को दो सहूलियतें होंगी। अव्वल तो नीतीश से वह बदला चुका लेगा और दूसरे लालू घराना जिस तरह तमाम तरह की जांच एजेंसियों के दायरे में आ गया है, उसमें उसे राहत की राहत निकलती दिखेगी। चूंकि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं होता, इसलिए ये अनुमान अगर वास्तविकता में बदल जाएं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। नीतीश के किनारे होने पर भाजपा को भी नये दोस्त की तलाश रहेगी ही।

यह भी पढ़ेंः बिहार में भाजपा और जदयू के बीच बढ़ती ही जा रही हैं दूरियां

- Advertisement -