नीतीश ने राजगीर के घोड़ा कटोरा झील स्थित भगवान बुद्ध की प्रतिमा का अनावरण किया
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को राजगीर के घोड़ा कटोरा झील स्थित धर्म चक्र परिवर्तन की मुद्रा में बने भगवान बुद्ध की प्रतिमा का अनावरण किया। इसके पूर्व महाबोधि टेंपल के मुख्य मांक भंते चालिन्दा समेत बड़ी संख्या में आए बौद्ध भंतों के साथ मुख्यमंत्री ने सामूहिक मंत्रोच्चार किया एवं श्रद्धा भक्ति के साथ परिष्क्रम प्रार्थना में सम्मिलित हुए और पूजा-अर्चना की। ज्ञात हो कि 70 फीट ऊॅची भगवान बुद्ध की यह प्रतिमा देश की दूसरी सबसे ऊॅची प्रतिमा है। यह पूर्णतः पत्थर से निर्मित है। इसमें 45 हजार घन फूट गुलाबी रंग का शैंड स्टोन लगाया गया है। झील की सतह में 16 मीटर गोलाई वाला पैडेस्टल बनाया गया है, जिसके ऊपर प्रतिमा स्थापित की गई है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जतायी कि बिहार का घोड़ा कटोरा ईको टूरिज्म का स्थल बन कर उभरेगा ।
मुख्यमंत्री ने घोड़ा कटोरा झील में नौका विहार कर भगवान बुद्ध की प्रतिमा की परिक्रमा की। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि घोड़ा कटोरा झील ऐतिहासिक स्थल है। यह प्राकृतिक झील है। ये पंच पहाड़ी के बीच में है और यहां पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की गई है। उन्होंने कहा कि यहां लोग आएंगे और झील में भ्रमण करेंगे तथा भगवान बुद्ध के दर्शन का भी सौभाग्य हासिल करेंगे, इसका पूरा ख्याल रखा गया है। उन्होंने कहा कि जब हम 2009 के दिसंबर में यहां आए थे तो उस समय गृद्धकुट पर्वत और विश्व शांति स्तूप तक पहुंचने के लिये पैदल ही जाना पड़ता था। मुख्यमंत्री ने कहा कि झील के आसपास का वातावरण काफी मनोरम रहता है।
उन्होंने कहा कि जल संसाधन विभाग एवं पर्यटन विभाग को झील को डिसिल्टाइज्ड करने की जिम्मेवारी दी गई थी। यहां स्थापित की गयी प्रतिमा पत्थर की है। कहीं दूसरी जगह ऐसी पत्थर की प्रतिमा नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि पर्यटन के दृष्टिकोण से यहां खूबसूरत पार्क का निर्माण कराया जा रहा है। इसके साथ ही लोगों के बैठने की व्यवस्था के इंतजाम किये जा रहे हैं एवं शौचालय का भी निर्माण किया जा रहा है। वन विभाग द्वारा स्थापित टावर से ही सब कुछ दिखायी पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ईको टूरिज्म के लिए यह क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यहां पेट्रोल, डीजल से चालित कोई भी वाहन नहीं चलेंगे।
उन्होंने कहा कि हमलोगों ने पहले ही इस बाबत निर्णय लिया है कि यहां इलेक्ट्रानिक गाड़ियां ही चलेंगी। वन विभाग ने यहां के रास्तों को भी सुगम बनाया है, लेकिन लोग पैदल, साइकिल या फिर टमटम से ही पूरे इलाके के भ्रमण का आंनद उठा पायेंगे। इस क्षेत्र का धार्मिक महत्व भी है क्योंकि भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के पूर्व भी यहां आये थे और ज्ञान प्राप्ति के बाद भी यहां आये। भगवान बुद्ध वेणुवन में ही बारह वर्षों तक रहे। गृद्धकूट पर्वत से ही उन्होंने उपदेश दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान महावीर की भी यह पुण्य भूमि है। इस लिहाज से यह अद्भुत है। हिन्दुओं के लिये यहां मलमास मेला लगता है और शुरू से ही अवधारणा है कि 33 करोड़ देवी-देवता यहां इकट्ठा होते हैं। मखदुम साहब का भी यहां से नाता रहा और बहुत पहले यही मगध की राजधानी थी। उन्होंने कहा कि पौराणिक, धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो जरासंध का अखाड़ा भी यहीं था। यही पाण्डु पोखर भी है। सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव भी यहां आये थे। गुरु नानक देव के बारे में मान्यता है कि पटना साहिब में भी आये थे और यहां भी उन्होंने काफी वक्त गुजारा। कहा जाता है कि गया होते हुए वे नवादा के रास्ते यहां आये। यहां गर्म पानी का झरना है और मान्यता के मुताबिक जब गुरु नानक देव गर्म कुंड पहुंचे तो उनके स्पर्श से ही कुंड शीतल हो गया। इसलिये उस स्थल को गुरु नानक शीतल कुंड कहा जाता है। अगले वर्ष उनका 550वां जन्मोत्सव मनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय के लोगों ने उनसे कहा था कि हम लोग वहां पर एक नया गुरुद्वारा बनायेंगे। वन विभाग एवं केन्द्र से अनुमति मिल गयी है और अब काम जल्द ही पूरा हो जायेगा।
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उन्होंने कहा कि गुरू नानक शीतल कुंड के पास अगले वर्ष तक गुरूद्वारा बनकर तैयार हो जाना चाहिये, जैसा कि सिख समुदाय के सेवादारों का कहना है। उन्होंने कहा कि ईको टूरिज्म को हमलोग बढ़ावा दे रहे हैं।
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