बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के प्रति आश्वस्त नहीं हैं नीतीश !

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नीतीश कुमार ने भी माना है कि बिहार असेंबली की कल हुई घटना शर्मनाक है। इसके लिए विपक्ष को कोसा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पत्रकारों से बात कर रहे थे।
नीतीश कुमार ने भी माना है कि बिहार असेंबली की कल हुई घटना शर्मनाक है। इसके लिए विपक्ष को कोसा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पत्रकारों से बात कर रहे थे।

PATNA : नीतीश कुमार बिहार विधानसभा के इस साल होने वाले चुनाव में अपनी जीत के प्रति आशान्वित नहीं दिख रहे। यह उनके हाल के बयानों से साफ है। जेडीयू के कार्यकर्ता सम्मेलन में पिछले दिनों उन्होंने कहा कि आप भले किसी को वोट दें, मैं काम पर विश्वास रखता हूं। कल मधेपुरा में भी उन्होंने इसी अंदाज में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हम वोट के चक्कर में नहीं रहते, काम पर विश्वास करते हैं। सेवा ही हमारा धर्म है। हम लोगों को बिहार में जनता यदि फिर काम करने का मौका दे तो हमारा एक सपना है कि सिंचाई के लिए हर खेत तक पानी पहुंचाना। उसे साकार करेंगे। इस यदि शब्द में ही नीतीश के मन की आशंका झलकती है।

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कहते हैं न कि जह समय खराब होता है तो कुत्ता भी शेर को डराने में कामयाब हो जाता है। विपक्ष तो हाथ धोकर नीतीश के पीछे पड़ा ही हुआ है, उनके अपने गठबंधन एनडीए के लोग भी उनके खिलाफ बोलने से बाज नहीं आ रहे। भाजपा के गिरिराज सिंह तो समय-समय पर उनके खिलाफ बम फोड़ते ही रहते हैं, भाजपा के ही कई और नेता खुल कर बयान दे चुके हैं कि अब नीतीश को गद्दी छोड़ देनी चाहिए। भाजपा में उनसे कम कद के नेता नहीं हैं। उनके खिलाफ ताजा माहौल लोक जनशक्ति पार्टी के नेता सांसद चिराग पासवान ने बोलना शुरू कर दिया है।

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चिराग पासवान तो साफ कहते हैं कि बिहार में पिछड़ापन बरकरार है। अपराध बेकाबू हैं। बढ़ते अपराध के कारण जंगल राज का हवाला देकर ही नीतीश कुमार बिहार की सत्ता में आये थे और हालात फिर वैसे ही हो गये हैं। विपक्षी आरजेडी के नेता भी यही बात कहते हैं कि लालू-राबड़ी शासन को नीतीश जंगल राज कहते नहीं अघाते, लेकिन बिहार में वास्तविक जंगल राज के हालात तो अब बने हैं। भले ही नीतीश कुमार सुशासन बाबू के नाम से अपने को प्रचारित करायें, पर सतच्चाई यही है।

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चिराग ने तो नीतीश सरकार की नीतियों की भी आलोचना की है। नियोजित शिक्षकों के आंदोलन का उन्होंने समर्थन किया है, जिनकी मांगों को नीतीश सरकार ने मानने से न सिर्फ इनकार कर दिया है, बल्कि उनके खिलाफ कार्रवाई भी होने लगी है। चिराग उन दारोगा अभ्यर्थियों के समर्थन में भी बोल रहे हैं, जो लगातार तकरीबन महीने भर से आंदोलन कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि जो असफल होते हैं, वे तो आरोप लगाते ही हैं। दारगा अभ्यर्थी असफल होने के बाद गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन चिराग उनकी मांगों के प्रति सहानुभूति जता रहे हैं।

MUST WACH : https://youtu.be/8384cnoXsVU

हालांकि चिराग ने सफाई दी है कि इसे नीतीश सरकार की आलोचना न समझी जाये। गठबंधन धर्म के नाते वे उन कमियों को उजागर कर रहे हैं, जिन्हें सरकार ठीक करे। कमियां होती हैं, लेकिन उनकी पड़ताल कर या किसी के बताये जाने पर ठीक करना चाहिए।

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