नीतीश कुमार ने बड़े पैमाने पर शिक्षकों की नियुक्ति का रिकार्ड बनाया। 96 लाख गरीब परिवारों को अपनी जीविका के लिए उद्यम खड़ा करने में दो-दो लाख मदद की घोषणा की। बरखास्त हुईं आंगनबाड़ी सेविकाओं को बहाल किया। नीतीश की नीतियों की वजह से बिहार में गरीबी भी घटी है। नीति आयोग के आंकड़े बिहार में गरीबी घटने का संकेत दे रहे हैं। अगर काम को आधार बना कर वोट मिलते हैं तो नीतीश बिहार में सर्वाधिक वोट हासिल करने का पूरा बंदोबस्त कर चुके हैं।
पटना। नीतीश कुमार ने बिहार में न सिर्फ सड़कों का जाल बिछाया, बल्कि बिजली-पानी और स्वास्थ्य-शिक्षा की सुविधाएं भी मुहैया कराई हैं। जाति सर्वेक्षण जैसा दुरूह काम तो किया ही है। यह ऐसा काम था, जिसके बारे में दूसरे राज्य सोचते और योजना बनाते रह गए। नीतीश ने न सिर्फ उसे कर दिखाया, बल्कि उसमें निकली जातियों की संख्या के अनुसार आरक्षण की सीमा भी बढ़ा दी। नियोजित शिक्षकों को सरकारी शिक्षक का दर्जा दिया। बड़े पैमाने पर शिक्षकों की नियुक्ति का रिकार्ड बनाया। 96 लाख गरीब परिवारों को अपनी जीविका के लिए उद्यम खड़ा करने में दो-दो लाख मदद की घोषणा की। बरखास्त हुईं आंगनबाड़ी सेविकाओं को बहाल किया। नीतीश की नीतियों की वजह से बिहार में गरीबी भी घटी है। नीति आयोग के आंकड़े बिहार में गरीबी घटने का संकेत दे रहे हैं। अगर काम को आधार बना कर वोट मिलते हैं तो नीतीश बिहार में सर्वाधिक वोट हासिल करने का पूरा बंदोबस्त कर चुके हैं।
जाति सर्वेक्षण के बाद आरक्षण की सीमा बढ़ाई
नीतीश के उल्लेखनीय कामों पर नजर डालें तो सबसे पहले जाति सर्वेक्षण और आरक्षण सीमा बढ़ाने का जिक्र होगा। केंद्र के इनकार के बाद नीतीश ने अपने स्तर से जाति आधारित गणना का काम शुरू किया। कोर्ट-कचहरी की बाधा पार कर बिहार में सेवाओं और शिक्षण संस्थानों में दाखिले को लेकर 75 प्रतिशत आरक्षण लागू किया। नीतीश कुमार के इस काम को उनका ब्रह्मास्त्र माना गया। बाद में सभी विपक्षी दलों ने जाति जनगणना और आरक्षण सीमा उसी अनुरूप तय करने की रट लगानी शुरू की। कांग्रेस ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में तो इसे मुद्दा ही बना लिया। राहुल गांधी तो उछल कर बोलने लगे कि उनकी सरकार बनी तो राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना कराएंगे। जिसकी जितनी आबादी होगी, उसी अनुरूप आरक्षण देंगे। नीतीश के इस कदम को चुनाव जीतने का उनका बड़ा हथियार माना जा रहा है।
सवा दो लाख शिक्षक नियुक्त कर रिकार्ड बनाया
देश में जहां बेरोजगारी को लेकर रोज लोग विलाप करते हैं। खासकर विपक्षी पार्टियां इसके लिए एनडीए सरकार को कोसती रहती हैं। उलाहने देती हैं। वहीं नीतीश कुमार ने बड़े पैमाने पर बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति कर रिकार्ड बना दिया है। बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा के पहले चरण में 1,40,741 पदों पर नियुक्ति का विज्ञापन निकला तो लोगों को यह सिर्फ शिगूफा लगा था। लेकिन जब इनमें से 1.12 लाख शिक्षकों की बहाली हुई तो सबके कान खड़े हो गए। नवंबर 2023 से शुरू शिक्षक नियुक्ति प्रकिया जनवरी 2024 तक चली। यानी तीन महीने में तकरीबन सवा दो लाख शिक्षकों को बिहार सरकार ने नियुक्ति पत्र दे दिया। शिक्षक नियुक्ति के दूसरे चरण में 1.20 लाख पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकला था। जांच परीक्षा में करीब आठ लाख लोग शामिल हुए। परीक्षा में सफल 1.10 लाख लोगों को 13 जनवरी को नियुक्त पत्र सौंप भी दिया गया। यानी नीतीश ने सवा दो लाख परिवारों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
पौने चार लाख नियोजित शिक्षकों को सरकारी दर्जा
नीतीश कुमार का एक मास्टर स्ट्रोक नियोजित शिक्षकों को सरकारी शिक्षक का दर्जा देने का रहा। राज्य के पौने चार लाख नियोजित शिक्षक लंबे समय से अपने लिए सरकारी का दर्जा मांग रहे थे। कई बार इसके लिए धरना-प्रदर्शन भी हुए। आखिरकार लंबे संघर्ष के बाद नीतीश ने उन्हें सरकारी शिक्षक का दर्जा देने पर हामी भरी। राज्य सरकार ने अब नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का फैसला कर लिया है। 26 दिसंबर 2013 को कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। नियोजित शिक्षकों के लिए बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2023 बनाई गई है। इस नियमावली के तहत बिहार के नियोजित शिक्षकों को अब सरकारी शिक्षक का दर्जा मिलेगा। उनको उन्हीं शिक्षकों की तरह लाभ मिलेगा, जिनकी नियुक्ति बीपीएससी से हुई है। नियोजित शिक्षकों को सारी सुविधाओं का लाभ सक्षमता परीक्षा पास करने के बाद मिलेगा। मसलन नीतीश ने पौने चार लाख नियोजित शिक्षकों के परिवारों का दिल जीत लिया है।
बिहार के 94 हजार गरीब परिवारों को दो-दो लाख
जाति आधारित गणना में पता चला कि राज्य की विभिन्न जातियों के 94 लाख 33 हजार 312 परिवार गरीब हैं। नीतीश ने इन्हें अपना उद्यम खड़ा करने के लिए दो-दो लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का ऐलान किया था, ताकि ये गरीबी रेखा से बाहर आएं। गरीब परिवार का पैमाना यह था कि ऐसे परिवार, जिनकी मासिक आय छह हजार रुपये से कम है, वे गरीब माने जाएंगे। राज्य सरकार ने अब तय किया है कि ऐसे परिवारों को अगले पांच साल तक दो लाख रुपये की आर्थिक मदद की जाएगी, ताकि परिवार का कम से कम एक सदस्य रोजगार का बंदोबस्त कर ले। बिहार लघु उद्यमी योजना के तहत दो लाख की रकम तीन किस्तों में दी जाएगी। इसके लिए 1250 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है। वर्ष 2023-24 के लिए 250 करोड़ दिए जाएंगे। वर्ष 2024-25 के लिए सांकेतिक रूप से एक हजार करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति भी दी गई है। यानी नीतीश ने 94 लाख परिवारों पर डोरे डाल दिए हैं।
बर्खास्त आंगनबाड़ी सेविकाएं फिर से बहाल होंगी
नीतीश कुमार ने बरखास्त हुईं 18 हजार आंगनबाड़ी सेविकाओं-सहायिकाओं को भी उनकी पुनर्बहाली के आश्वासन से गदगद कर दिया है। ये सेविकाएं-सहायिकाएं हड़ताल के दौरान बर्खास्त की गई थीं। सीएम नीतीश ने 6 जनवरी को इसका एलान किया। सीएम से आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं के शिष्टमंडल की मुलाकात के दौरान यह घोषणा हुई। नीतीश ने न सिर्फ पुनर्बहाली का आश्वासन दिया, बल्कि आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं के मानदेय में सम्मानजनक वृद्धि का भरोसा भी दिया। अपनी मांगों को लेकर साल 2023 में राज्यभर की आंगनबाड़ी में काम करने वाली महिलाओं ने हड़ताल कर दी थी। पटना में प्रदर्शन भी किया था। हड़ताल खत्म न करने पर 10,203 आंगनबाड़ी सेविकाओं और 8016 सहायिकाओं को सरकार ने सेवामुक्त कर दिया था। नीतीश ने सेविकाओं-सहायिकाओं का भी दिल जीत लिया है।