कुशवाहा को भाजपा से कोफ्त नहीं, निशाने पर हैं नीतीश कुमार

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पटना। उपेंद्र कुशवाहा को फिलहाल भाजपा से कोई शिकायत नजर नहीं आती। पता नहीं उनको कहां से आक्सीजन मिल रहा है कि वे अब यह दावे के साथ कह रहे हैं कि मई के पहले उन्हें मंत्री पद से नहीं हटा सकता। कहीं ऐसा तो नहीं कि नीतीश कुमार के खिलाफ हल्ला बोलने के लिए भाजपा ने ही खुली छूट दे दी है। पिछले कई महीनों से कुशवाहा के निशाने पर सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार हैं। कभी नीतीश कुमार के अपमानसूचक शब्द वापस लेने को कुशवाहा कहते हैं तो कभी अपना मांग पत्र सौंप कर कहते हैं कि मांगें पूरी हो जायें तो वह अपमान भूल जायेंगे। इस बार छात्र संघ चुनाव में सरकार की दखलंदाजी को लेकर उन्होंने नीतीश कुमार पर निशाना साधा है।

अब तो कुशवाहा यह भी कहने लगे हैं कि उन्हें भाजपा कितनी सीटें लोकसभा में देती है, यह कोई मायने नहीं रखता। उन्हें दो सीटें मिलेंगी या नहीं मिलेंगी, इसका मलाल भी उन्हें नहीं है। उनका कहना है कि शिक्षा में गिरावट के खिलाफ उन्होंने जो आंदोलन शुरू किया, उससे नीतीश कुमार खुन्नस खाये हुए हैं। उनका इशारा साफ है कि अब लड़ाई भाजपा सै नहीं, बल्कि सीधे नीतीश कुमार से है।

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कुशवाहा ने छात्र संघ चुनाव में सरकार की दखलंदाजी पर सवाल उठाया है। उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा है कि छात्र संघ चुनाव में सरकार और उसकी पुलिस की भूमिका ठीक नहीं रही है। उन्होंने कहा कि गौरवशाली पटना विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र हूं। विश्वविद्यालय की गरिमा और छात्रों की छवि धूमिल होते देख कर दुख होता है। उन्होंने कहा- जनाब, छात्र संघ चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना कर पुलिस-प्रशासन-विश्वविद्यालय सबको दंडवत करा दिया। इतनी फजीहत करा कर जीत भी गये तो क्या प्रधानमंत्री बन जायेंगे? छात्र संघ चुनाव में सत्ता व सत्ताधारी दल की ताकत का महादुरुपयोग व्यक्ति के अहंकार की पराकाष्ठा है। ऐसा अहंकार तो इतिहास में हमेशा ही सर्वनाश का कारण सिद्ध हुआ है।

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कुशवाहा की यह टिप्पणी सीधे तौर पर नीतीश पर आघात करती है। जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर के छात्र संघ चुनाव में दिलचस्पी को लेकर कुशवाहा ने टिप्पणी की है। प्रशांत किशोर की भूमिका की भाजपा के नेताओं ने भी आलोचना की है। बहरहाल, उपेंद्र कुशवाहा नीतीश पर हमला करने के मौके की तलाश में हैं। उन्हें जब जहां मौका मिला है, उन्होंने नीतीश कुमार पर हमला बोला है। अपने पांच कार्यकर्ताओं के अब तक मारे जाने को भी उन्होंने मुद्दा बनाया। यहां तक संकेतों में कह दिया कि जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।

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