November में पटना में होगा पिछड़ों-अतिपिछड़ों का जुटानः राजीव 

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बिहार
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पटना पिछड़ा/ अतिपिछड़ा समाज को एकजुट करने के लिए चलाए जा रहे राज्यव्यापी अभियान के तहत नवंबर माह में राजधानी पटना में पिछड़ा/ अतिपिछड़ा महाम्मेलन आयोजित करने की बात कहते हुए पिछड़ा/अतिपिछड़ा महासम्मेलन के अध्यक्ष तथा इस्लामपुर के पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने कहा कि पिछड़ा/ अतिपिछड़ा समाज को लामबंद करने तथा उनमें आपसी एकता को बढ़ाने के उद्देश्य से आज हम राज्य भर में इस समाज के लोगों को अपने साथ जोड़ रहे हैं।

अपने इस अभियान की शुरुआत हमने 5 अगस्त को राजगीर में आयोजित महासम्मेलन से की थी, जिसमें भारी बारिश के बावजूद नालंदा के कोने-कोने से हजारों की संख्या में इस समाज के लोगों ने शिरकत की, जिससे महासम्मेलन अभूतपूर्व ढंग से सफल हुआ। आयोजन के बाद उपस्थित पिछड़ा/ अतिपिछड़ा समाज के लोगों ने एक स्वर से इस अभियान को राज्य के कोने-कोने तक ले जाने की मांग की तथा साथ ही इस महासम्मेलन को राज्य स्तर पर आयोजित करने का आग्रह किया, जिससे प्रेरित हो आज हमारे समाज के लोग हमारे उद्देश्य को राज्य के कोने-कोने में बसे पिछड़ा/ अतिपिछड़ा समाज के लोगों तक ले जा रहे हैं, जहां से हमारे इस अभियान को काफी अच्छी प्रतिक्रिया और प्रोत्साहन मिल रहा है।

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हमारे समाज के लोगों द्वारा मिल रहे व्यापक समर्थन और मांग से प्रेरित हो हम अब इस अभियान के अगले चरण में आगामी नवंबर माह में पटना में स्व. रामशरण सिंह सेवा संस्थान के बैनर तले राज्य स्तर पर इस महासम्मेलन को करने जा रहे हैं। इस महासम्मेलन में हम चाहते हैं कि इस समाज सर्वमान्य नेता होने के कारण माननीय मुख्यमंत्री भी शिरकत करें, इसलिए आने वाले 5-6 दिनों के भीतर हम उनसे मिल कर उन्हें इस महासम्मेलन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित करने वाले हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि पिछड़े-अतिपिछड़े समाज को एकजुट करने के लिए की जा रही हमारी मेहनत रंग लाएगी और इस समाज के लोग भी पूरी तरह विकास की मुख्यधारा से जुड़ पाएंगे।

श्री रंजन ने आगे कहा कि हमारे इस आयोजन के मूलतः तीन उद्देश्य थे, जिनमें पहला पिछड़ा/ अतिपिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाना था, जिसे हाल में ही केंद्र सरकार ने पूरा कर दिया है। हमारा दूसरा उद्देश्य इस समाज की एकता को पुनर्स्थापित करना तथा तीसरा उनके राजनीतिक और सामाजिक भागीदारी को बढ़ाना है, जो इनकी आपसी एकता से ही संभव है। ज्ञातव्य हो कि मंडल कमीशन के अनुसार इस समाज की जनसंख्या 52% है, लेकिन इन्हें पीछे रखने के लिए कांग्रेस व अन्य राजनीतिक पार्टियों ने देश में सबसे ज्यादा संख्या वाले इस समाज को उचित अनुपात में राजनीतिक भागीदारी न देकर कोटा के तहत भागीदारी देने का प्रावधान किया, जो सरासर इस समाज के प्रति अन्याय है। 52% लोगों को 8-9% के कोटे में सीमित कर देना कहीं से भी उचित नहीं कहा जा सकता।

बिहार में देखें तो यहाँ की कुल जनसंख्या तकरीबन 12 करोड़ है, जिसमें लगभग 6.20 करोड़ लोग इस समाज के लोग हैं। पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज के लोगों को यह समझना होगा कि समुचित भागीदारी से ही इस समाज का उद्धार हो सकता है। यही वजह है कि आज हम पूरे राज्य के पिछड़े/ अतिपिछडे समाज को एकजुट करने के अभियान पर चल रहे हैं और लोगों के मिल रहे समर्थन को देखते हुए हमारे प्रयासों का सफल होना निश्चित है।

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