Opinion- अब समझ में आया  कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रेस कांफ्रेंस क्यों नहीं करते !

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नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
  • सुरेंद्र किशोर
सुरेंद्र किशोर, वरिष्ठ पत्रकार
सुरेंद्र किशोर, वरिष्ठ पत्रकार

विपक्षी नेता लगातार यह सवाल उठाते रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रेस कांफ्रेंस क्यों नहीं करते, पत्रकारों का सामना क्यों नहीं करते, वही लोग आज 14 टी.वी. एंकरों का सामना करने से भाग रहे हैं। ऐसा क्यों भाई ? ठीक है। कोई बात नहीं। उनका सामना मत कीजिए। आपको यदि कुछ खास एंकरों के बहिष्कार का अधिकार है, तो उसी तरह किसी प्रधानमंत्री को भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं करने का अधिकार है। उम्मीद है कि अब आप यह सवाल नहीं करेंगे कि मोदी प्रेस कांफ्रेंस क्यों नहीं करते।

पूर्व PM मोरारजी ने भी कभी प्रेस कांफ्रेस नहीं बुलाया था

अस्सी के दशक की बात है। पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई पटना आए थे। उनका सत्येंद्र नारायण सिंह के आवास पर प्रेस कांफ्रेंस था। मैं भी उसमें शामिल था। एक वरिष्ठ संवाददाता से मोरारजी भाई का संवाद की जगह ‘विवाद’ हो गया। देसाई जी ने तुनक कर कहा कि ‘मैंने जीवन में कभी पत्रकार सम्मेलन नहीं बुलाया।’ बाद में पता चला कि सत्येंद्र बाबू के यहां से पत्रकारों को निमंत्रण चला गया था। संभव है कि मोरारजी भाई को कहा गया होगा कि प्रेस वाले आ रहे हैं, बात कर लीजिए। उससे पार्टी का थोड़ा प्रचार हो जाएगा।

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मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान में प्रेस कांफ्रेस किया था

सन् 2015 में पाकिस्तान जाकर वहां के एक टी.वी. चैनल पर बोलते हुए कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तानियों से सार्वजनिक रूप से यह अपील की थी कि ‘पहले आप लोग मोदी को हटाइए।’ उस पर सन् 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि मणि शंकर अय्यर ने मेरे लिए पाकिस्तानियों को ‘सुपारी’ दी थी। मुझे हटाने के लिए वे कह आए। हटाने से उनका मतलब क्या था ? कांग्रेस के प्रथम परिवार के करीबी व पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर के इस बयान का इस देश के गैर मुस्लिम मतदाताओं पर कैसा असर पड़ा होगा ? असर तो यह हुआ कि 2017 में योगी आदित्यनाथ यू.पी. में सत्ता में आ गये और मोदी 2019 में केंद्र में सत्ता में।

ए.के. एंटोनी ने बताया था 2014 में कांग्रेस क्यों हार गई

उससे पहले यानी सन् 2014 के लोकसभा चुनाव के तत्काल बाद ए.के. एंटोनी ने अपनी रपट में कहा कि कांग्रेस 2014 का लोकसभा चुनाव  इसलिए हारी, क्योंकि बहुसंख्यकों को लगा कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों की ओर कुछ अधिक ही झुकी हुई है। सोनिया गांधी ने एंटोनी को एक जिम्मेदारी दी थी। उनसे कहा था कि वे 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के कारणों की पड़ताल करें। याद रहे कि सन् 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के कहा था कि यह हमला आर.एस.एस. ने कराया है।

दिग्विजय व अय्यर की तरह नुकसान पहुंचाने पर आमादा

जो नुकसान कांग्रेस को पहले दिग्विजय सिंह और मणिशंकर अय्यर जैसे नेताओं ने पहुंचाया, वही नुकसान अब नये गठबधंन I.N.D.I.A को जूनियर स्टालिन और जूनियर खड़गे जैसे नेतागण पहुंचा रहे हैं। इन लोगों को लगता है कि सनातन पर हमला करने से ‘‘इंडिया’’ को एकमुश्त मुस्लिम वोट मिल जाएंगे। यदि एकमुश्त मुस्लिम वोट मिल भी जाएं तो उसकी प्रतिक्रिया सनातनी मतदाताओं पर नहीं होगी क्या ? दरअसल अपने देश के अधिकतर लोग, जिनमें नेता भी शामिल हैं, अपने ही इतिहास से नहीं सीखते। नतीजतन वे उसे दुहराने को अभिशप्त होते हैं।

मध्य युग और ब्रिटिश काल के इतिहास से भी नहीं सीखा

मध्य युग और ब्रिटिश काल के इतिहास से भी हमने कितना सीखा है ? इस देश के हितों के खिलाफ सक्रिय देशी-विदेशी शक्तियां यह चाहती हैं कि बहुसंख्यक समाज जातियों में बंट जाए या बांट दिया जाए  तथा अल्पसंख्यक समुदाय की एकता और भी मजबूत हो जाए। इस देश के कुछ दल और नेतागण जाने-अनजाने उन्हीं देश विरोधी शक्तियों को ताकत पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इसका 2024 के लोकसभा चुनाव पर कितना असर पड़ता है !

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