झारखंड में थमने का नाम नहीं ले रहा पारा शिक्षकों का आंदोलन

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  • विशद कुमार

रांची। पिछले 16 नवंबर से झारखंड के पारा शिक्षक अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इससे राज्य के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में पठन-पाठन पूरी तरह ठप्प हो गया है। इसके बावजूद सरकार इन हड़ताली शिक्षकों की मांग मानने को तैयार नहीं है। हालांकि विपक्ष के अलावा सरकार में शामिल आजसू पार्टी सहित सत्तासीन भाजपा के कई जनप्रतिनिधियों की संवेदना पारा शिक्षकों के साथ है। बता दें कि सरकार में शामिल आजसू पार्टी द्वारा सरकार की कार्रवाई के विरोध को इसी से समझा जा सकता है कि पिछले दिनों पारा शिक्षकों के समर्थन में टुंडी के आजसू विधायक राज किशोर महतो ने धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर धरना भी दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कि आजसू पार्टी मानती है कि पारा शिक्षकों की मांगें जायज हैं। रघुवर सरकार उनकी मांगों पर गंभीरतापूर्ण विचार करने के बजाय उनके आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है। सरकार का निर्णय झारखंड के हित में नहीं है। रघुवर सरकार के कदम झारखंड के हित में नहीं हैं। आजसू पार्टी इस सरकार में शामिल है, बावजूद इसके सरकार अगर गलत करेगी तो आजसू विरोध करेगी, पार्टी चुप बैठने वाली नहीं है।

बेरमो के भाजपा विधायक योगेश्वर महतो ‘बाटुल’ का मानना है कि ”सरकार को पारा शिक्षकों के मामले में अपना स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए। विधायक दल की बैठक कर के इस मामले पर विधायकों की राय लेकर पारा शिक्षकों की मांगों पर साकारात्मक निर्णय लेना चाहिए। दूसरी तरफ पूरा विपक्ष पारा शिक्षकों के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। माओवादी पार्टी के प्रवक्ता आजाद ने भी एक बयान जारी कर पारा शिक्षकों के साथ खड़ा रहने के साथ साथ उनके आंदोलन को समर्थन दिया है।

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राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने साफ कहा है कि वे पारा शिक्षकों की गुंडागर्दी नहीं चलने देंगे। वे 19 नवंबर को पलामू पुलिस स्टेडियम में जिला प्रशासन द्वारा आयोजित पलामू प्रमंडलीय ‘चौपाल’ में यह चेतावनी दी थी। इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए झाविमो के केन्द्रीय प्रवक्ता योगेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा पारा शिक्षकों को गुंडा कहना कहीं से भी उचित नहीं है। यह अशोभनीय व निंदनीय है। सीएम अगर पारा शिक्षकों को गुंडा बता रहे हैं तो विधानसभा के अंदर अपशब्दों का प्रयोग करने वाले को क्या कहना चाहिए। उन्हें लगे हाथ इसको भी बता ही देना चाहिए। कितनी हास्यास्पद बात है कि जो वास्तव में गुंडागर्दी कर रहे हैं, उसे गुंडा कहने की हिम्मत सरकार में नहीं है, लेकिन राज्य के नौजवान व महिलाएं जो अपने हक-अधिकार को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, तो उन्हें गुंडा कहा जा रहा है।

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पारा शिक्षकों के आंदोलन के सवाल पर भाकपा माले के पूर्व विधायक बिनोद सिंह कहते हैं कि भाजपा नीत रघुवर सरकार झारखंड को शिक्षा से महरूम रखना चाहती है। राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों का विलय करके आम गरीब व दलित—आदिवासियों के बच्चों की विद्यालय से दूरी बढ़ाकर उन्हें शिक्षा से दूर करने की कोशिश की जा रही है। वहीं पिछले 16 वर्षों से अनुबंधित पारा शिक्षकों की मांगों को लाठी के बल पर दबाने की कोशिश की जा रही है। विनोद सिंह कहते हैं कि ”हमारी मांग है कि जो पारा शिक्षक टेट को क्वालिफाई कर लिया है, उसे स्थायी नियुक्ति दी जाये और जिन्होंने नहीं किया है, उन्हें गैर शिक्षक यानी कलर्क वगैरह में नियुक्त किया जाये।

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