पटना। वर्ष 1991 में बाढ संसदीय क्षेत्र में हो रहे लोकसभा चुनाव के दौरान पंडारक थाने के ढीबर गांव के बूथ पर हुई फायंरिंग में कांग्रेसी कार्यकर्ता सीताराम सिंह की हत्या के मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर परिवाद की सुनवाई पटना हाई कोर्ट में हुई। न्यायाधीश ए. अमानुल्लाह की कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान नीतीश कुमार का पक्ष रखते हए अधिवक्ता वकील सुरेंद्र सिंह ने कोर्ट में कहा कि एक ऐसे व्यक्ति ने मर्डर केस में नीतीश कुमार के खिलाफ शिकायत की है, जिसका केस से कोई लेना-देना नहीं है। उस शिकायत के आधार पर बाढ़ के एसीजेएम ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर नीतीश कुमार के खिलाफ संज्ञान लिया। लिहाजा हाईकोर्ट को इस केस को ही खत्म कर देना चाहिये। उधर नीतीश कुमार के खिलाफ खड़े अधिवक्ता दीनू कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों को कोर्ट में पेश किया। दीनू कुमार के मुताबिक किसी भी मर्डर केस को बगैर ट्रायल के हाईकोर्ट खत्म नहीं कर सकता। लिहाजा नीतीश कुमार को बाढ़ कोर्ट में जाकर मर्डर केस का ट्रायल फेस करना चाहिये।
गौरतलब है कि हत्या का यह मामला मामला 27 साल पुराना है। 16 नवंबर 1991 को लोकसभा के लिए हो रहे मतदान के दौरान पंडारक थाने के ढीबर गांव में बूथ पर फायरिंग हुई, जिसमें कांग्रेसी कार्यकर्ता सीताराम सिंह मारे गए। पुलिस ने इस मामले की जांच की, मगर उसमें नीतीश कुमार का नाम नहीं था। इस घटना का मामला दर्ज कराने वाले अशोक सिंह ने 1 सितंबर 2009 को कोर्ट में परिवाद दायर किया और नीतीश कुमार पर रायफल से गोली चलाकर सीताराम सिंह की हत्या करने का आरोप लगाया। 31 अगस्त 2010 को बाढ़ कोर्ट ने दो गवाहों का बयान सुनने के बाद नीतीश कुमार को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश जारी कर किया।
नीतीश कुमार को 9 सितंबर 2010 को कोर्ट में हाजिर होने को कहा गया था। बाढ़ कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ नीतीश कुमार ने पटना हाईकोर्ट में गुहार लगाई। नीतीश की गुहार पर पटना हाईकोर्ट ने इस मामले पर बाढ़ कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। बाढ़ कोर्ट के फैसले पर रोक के बाद इस मामले पर सुनवाई हाईकोर्ट कर रहा है। कल हुई सुनवाई के दौरान भी नीतीश कुमार के लिए उतरी वकीलों की फौज हाईकोर्ट से मामला खत्म नहीं करा सकी। अलबत्ता कोर्ट से मुख्यमंत्री के लिए राहत की बात है कि मामले की सुनवाई 17 जनवरी तक के लिए टल गई है।
जबलपुर से बुलाए गए थे अधिवक्ता
नीतीश कुमार ने हत्या मामले में अपना पक्ष रखने के लिए जबलपुर हाईकोर्ट के क्रिमिनल मामलों के जानकार अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह को बुलाया था। सुनवाई के दौरान नीतीश कुमार का पक्ष सुरेंद्र सिंह ने ही रखा। सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता गोपाल सिंह को भी नीतीश कुमार का पक्ष रखने के लिए लाया गया था। उन्होंने भी अपनी दलील पेश की। इसके अलावा भी दर्जन भर अधिवक्ताओं की फौज मुख्यमंत्री के लिए दलीलों के साथ तैयार थी। जिसमें पटना बाहर के अधिवक्ताओं के अलावा पटना हाईकोर्ट के भी अधिवक्ता शामिल थे। इनमें मनिंदर सिंह, भास्कर शंकर, राकेश सिंह प्रमुख थे।
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