पटना। कोविड संकट को ध्यान में रखते हुए निजी व्यावसायिक व औद्योगिक प्रतिष्ठान अपने कर्मियों को पीएम जीवन ज्योति बीमा का लाभ दिलाने की पहल करें। पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुशील कुमार मोदी ने अपील की है कि योजना से प्रतिष्ठान अपने सभी कर्मियों को पीएम जीवन ज्योति योजना से जरूर आच्छादित करें, ताकि किसी अनहोनी की स्थिति में मुख्यमंत्री सहायता कोष से मिलने वाली 4 लाख की राशि के अतिरिक्त उनके परिजनों को 2 लाख की और बीमा राशि मिल सके।
पूर्व उपमुख्यमंत्री मोदी ने सलाह दी कि आम लोग भी दुनिया की सबसे सस्ती मात्र 333 रुपये सालाना की प्रीमियम में मिलने वाली पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना का लाभ जरूर लें। उन्होंने कहा कि पूरे देश में 10 करोड़ 27 लाख लोग, जबकि 31 दिसम्बर, 2020 तक बिहार के 72 लाख 74 हजार लोग इस योजना से आच्छादित हैं। देश में मृत्यु उपरांत ढाई लाख तो बिहार के 8,102 लोगों के परिजनों को क्लेम की 2- 2 लाख की राशि दी जा चुकी है।
बिहार में जीवन ज्योति बीमा योजना में 45 लाख 80 हजार जीविका दीदियां शामिल हैं। राज्य के वाणिज्यिक बैंकों ने अब तक 22 लाख से ज्यादा लोगों को बीमा कवर दिया है। 18 से 50 आयुवर्ग के लोग इस योजना में शामिल हो सकते हैं, जिन्हें 55 वर्ष की आयु तक बीमा कवर मिलेगा।
कोरोना वैक्सीन के लिए ग्लोबल टेंडर निकाले बिहार सरकार
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 18 पार के सभी लोगों को कोरोना का टीका लगाने की शुरुआत होने से 11 करोड़ की आबादी वाले बिहार को वैक्सीन की लाखों वाइल की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में केवल केंद्र सरकार और स्वदेशी टीके पर निर्भर रहने की बजाय राज्य सरकार को दुनिया के किसी भी देश से कोरोना टीका प्राप्त करने के लिए ग्लोबल टेंडर निकालने पर विचार करना चाहिए।
आंध्र प्रदेश, उडीसा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे कई राज्यों ने कोविड वैक्सीन के सीधे आयात की सम्भावना पर विचार के लिए उच्चस्तरीय समिति बनायी है। आंध्र के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ग्लोबल टेंडर निकालने के मुद्दे पर अनुरोध किया है। बिहार सरकार को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए, जिससे वैक्सीन की उपलब्धता में कोई कठिनाई न हो।
बिहार सरकार कोविड वैक्सीन और टीकाकरण के लिए 4,165 करोड रुपये खर्च करने की सैद्धांतिक सहमति दे चुकी है। इसमें से 1000 करोड़ तत्काल आवंटित भी हो चुके हैं। धन की कोई कमी नहीं, लेकिन स्वदेशी दवा कंपनियां रातोंरात उत्पादन बढा कर वैक्सीन की सभी राज्यों की जरूरत समय पर पूरा नहीं कर सकतीं, इसलिए ग्लोबल टेंडर का विकल्प अपनाया जाना चाहिए।
यह भी पढ़ेंः नीतीश कुमार ने कोविड को ले उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की(Opens in a new browser tab)