- प्रबल महतो
बिहार चुनाव में आज पीएम नरेन्द्र मोदी की इन्ट्री होने वाली है। उनकी आगवानी में मुद्दों को भटकाने की जमीनी तैयारी शुरू हो गयी। नड्डा जी टुकड़ृटुकड़े गैंग, राम भक्त विरोधी और राष्ट्रद्रोही ले आये। रक्षामंत्री महोदय सरहद पर चीन के साथ तनातनी और उसमें शहीद बिहार रेजिमेंट के जवानों को याद कर गये।
योगी जी भी कश्मीर से धारा 370 हटाने की बात के साथ-साथ राहुल गांधी और ओवैसी जी को ललकार गए हैं। केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री बिहार में कश्मीर के आतंकवादियों का ठौर दिखाने लगे हैं। कह दिया- बिहार में राजद की सरकार बनी तो बिहार कश्मीर के आतंकियों का ठिकाना बन जायेगा। मतलब, बिहार चुनाव में धीरे-धीरे वही संवेदनशील क्षद्म मुद्दे अपना पर पसारने लगे हैं, जिनके बदौलत भाजपा चुनाव जीतती रही है।
इससे यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि मोदी जी बिहार चुनाव की रैलियों में क्या क्या मुद्दे उछालने वाले हैं। चुनावी पैकेजों और घोषणाओं के मामले में अब उनकी भी विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है। फिर भी उम्मीद की जानी चाहिए आज अपनी तीन रैलियों में वे कुछ लालीपाप देंगे। सासाराम, गया और भागलपुर में रैलियां होने वाली हैं।
अब तक जो नीतीश बाबू के सुशासन और विकास के आंकड़े थे वो नेपथ्य में चले जायेंगे। ये सब मतदाताओं की नाराजगी और महा गठबंधन द्वारा उठाये जा रहे जमीनी मुद्दों के समक्ष फीके पड़ रहे हैं। झारखंड के बाद, शायद बिहार में पहली बार ऐसा हुआ है कि चुनाव का मुद्दा विपक्ष ने सेट किया है और सत्तारूढ़ दल को उसका कोई काट नजर नहीं आ रहा है। वह विपक्ष को अपने मुद्दों पर उलझाने में लगी है। राजद ने 10 लाख सरकारी नौकरी की घोषणा की तो बीजेपी ने 19 लाख रोजगार के आफर दे दिये।
कांग्रेस अक्सर मोदी ब्रिगेड के इस चाल में फंसती रही है। संभव है, फिर इन मुद्दों पर ताल देने के लिये ओवैसी जी तो हैं ही। क्योंकि उनकी भी राजनैतिक पूंजी इसी तरह के मुद्दे रहे हैं। महा गठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने रोजगार, कोरोना काल में सरकार की विफलता, राज्य में स्वास्थ्य, शिक्षा एवं किसानों की समस्याओं को चुनाव का केन्द्रीय मुद्दा बनाया है और बाम दलों से गठबंधन के कारण इन मुद्दों को जमीनी स्तर पर धार भी मिल रहा है।
अब समय बतायेगा कि तेजस्वी यादव भाजपा के इन क्षद्म संवेदनशील मुद्दों के जाल में फंसते हैं या अपने जमीनु मुद्दों को चुनाव परिणाम तक पहुंचाते हैं। अभी चुनाव का शुरूआती दौर है, फिर भी इन मुद्दों पर पर तेजस्वी यादव को जिस तरह का जन समर्थन मिल रहा है उससे बिहार चुनाव का परिणाम भी दिखने लगा है।