पटना। जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन दिनों जदयू के लिए सिरदर्द बन गये हैं। एक वक्त था, जब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार समेत सभी नेता उन्हें सिर-आंखों पर बिठाये रखते थे। आज की तारीख में वह सबकी आंखों में चुभने लगे हैं। जदयू ही नहीं. बल्कि एनडीए के दूसरे घटक दल भी उनसे नफरत करने लगे हैं।
हाल के दिनों में उनके तीन बयान विवाद का कारण बने हैं। सीमा परह शहीद होने वाले बेगूसराय के लाल पिंटू कुमार सिंह का शव जिस दिन पटना एयरपोर्ट पर पहुंचा, उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनडीए की संकल्प रैली में शिरकत करने वाले थे। जदयू के तमाम नेता-कार्यकर्ता उसी में व्यस्त थे। श्रंद्धांजलि बतौर दो फूल चढ़ाने के लिए एनडीए का कोई नेता एयरपोर्ट नहीं पहुंचा। अलबत्ता कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष मदनमोहन झा जरूर एयरपोर्ट पहुंचे और श्रद्धा सुमन अर्पित किये। सोशल मीडिया पर जब प्रतिकूल टिप्पणियां आने लगीं तो प्रशांत किशोर ने पार्टी की भूल स्वीकारते हुए माफी मांगी।
जदयू नेताओं को तकलीफ इस बात की हुई कि नीतीश कुमार ने दूसरे ही दिन बेगूसराय जाने का कार्यक्रम बनाया और वह पिंटू के घर पहुंचे। मातमपुर्सी की और पिंटू के परिवार को हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। प्रशांत किशोर के बयान को निजी बताते हुए जदयू के वरिष्ठ नेता आरसीपी सिंह ने इसके लिए प्रशांत किशोर की आलोचना की।
प्रशांत किशोर जदयू के निशाने पर फिर आ गये। जदयू के युवा कार्यकर्ताओं की एक सभा में उन्होंने एक विवादास्पद बयान दे डाला। उन्होंने कहा कि वह एक पीएम और और एक सीएम बना चुके हैं। वह जिसे चाहें, एमएलए और एमपी बना सकते हैं। हालांकि यह बात उन्होंने युवाओं को उत्साहित करने के लिए कही, लेकिन इसका सीधा मतलब यह निकाला गया कि प्रशांत ने दरूर में यह बात कही है। संदर्भ नीतीश और नरेंद्र मोदी से जोड़ा गया। इसके बाद तो उनके खिलाफ जदयू में एक तरह से मोर्चा ही खुल गया।
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प्रशांत किशोर का तीसरा विवादित बयान एक साक्षात्कार में आया। उन्होंने कहा कि जदयू-राजद गठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश कुमार को फिर से जनता के बीच जाकर मैंडेट लेना चाहिए था। इसके बाद जदयू नेताओं-प्रवक्ताओं के साथ एनडीए के दूसरे घटक दलों के नेता उनके खिलाफ हो गये।
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इस बीच राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने आग में घी डालने का काम किया। उन्होंने कहा कि यह प्रशांत किशोर का अपमान है। उन्हें जदयू से तुरंत अलग हो जाना चाहिए। नीतीश कुमार इस पूरे प्रसंग पर फिलहाल खामोश हैं। हालांकि एक बार उन्होंने भी प्रशांत किशोर के बारे में टिप्पणी कर दी थी कि अमित शाह के दो बार फोन आने के बाद उन्होंने प्रशांत को पार्टी में जगह दी थी।
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